कोरोना काल में जहां लोगों के रोजगार छिन रहे हैं वहीं बस्ती के रोशन अली ने नया कारोबार खड़ा कर दिया। लॉकडाउन में घर लौटे रोशन ने गांव में फ्रॉक बनाने की फैक्ट्री शुरू की। और आज वह अपने गांव के आसपास के 200 से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रहे हैं। रोशन अली बताते हैं कि फ्रॉक बनाने के लिए कच्चा माल मुम्बई से आता है। एक महिला एक दिन में चालीस से पचास फ्रॉक आसानी से सिल लेती है। इस तरह से घरेलू कामों के साथ अच्छी खासी कमाई भी कर ले रही हैं। रोशन फ्रॉक की सप्लाई दूसरों राज्यों में भी करते हैं। इस कारण कम समय में ही उन्होंने कई लोगों को रोजगार दिया।
फ्रॉक की फैक्ट्री में काम करते थे
मटेरा के रहने वाले रोशन अली हैदराबाद में बच्चों के फ्रॉक बनाने वाली एक फैक्ट्री में काम करते थे। यहां उनकी अच्छी आय थी। काम करते- करते अनुभव बढ़ा तो मन में ख्याल आया कि क्यों न अपने गांव में ही कारोबार शुरू किया जाय। इसके बाद वे गांव लौटे और बच्चों के फ्रॉक बनाने वाली फैक्ट्री डाल दी। रोशन अली ने उन महिलाओं और नवयुवकों को अपने कारोबार से जोड़ना शुरू किया जिन्हें रोजगार की तलाश थी। अपने पैसे से गांव की महिलाओं और पुरुषों को सिलाई मशीन खरीद कर दीं। इसके बाद से गांव वाले अपने घर में ही फ्रॉक बनाने लगे।
दूसरे राज्यों से आ रही डिमांड
गांव में फ्रॉक बनाने से रोशन की लागत भी घटी है। इनकी फैक्ट्री में बने फ्रॉक यूपी, ओडिशा असम, कोलकाता, बिहार तक में सप्लाई हो रही है। इस कारण रोशन अली कम लागत में ही ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं।
गांव के लोगों को रोजगार
फैक्ट्री डालने के बाद धीरे धीरे कारोबार बढ़ा तो आसपास के क्षेत्रों में अच्छी खपत होने लगी। इस काम से न सिर्फ गांव की महिलाओं को रोजगार मिला बल्कि जिले के दूसरे इलाकों के कई लोग भी इनके कारोबार से जुड़ते चले गए। अब इन गांवों के हर घर में महिलाएं और पुरुष रोजाना 300 से 500 रूपए कमा रहे हैं। फैक्ट्री से रोशन ने करीब 200 लोगों को रोजगार दिया है। कोरोनाकाल में जब लोगों को रोजगार जा रहा था तब रोशन अली लोगों को रोजगार दे रहे थे।