News Strike : छत्तीसगढ़ से सटे मध्यप्रदेश के कुछ इलाकों पर नक्सलियों का खौफ हमेशा ही मंडराता रहा है, लेकिन अब ये खतरा अमरकंटक के रास्ते और गहराने के आसार है। नक्सलियों की नई एक्टिविटी पर मिल रहे इंटेलिजेंस के इनपुट चौंकाने वाले भी हैं, डराने वाले भी हैं और सतर्क करने वाले भी हैं। पहले भी सुरक्षा बलों ने बालाघाट में नक्सलियों से जमकर मुकाबला किया है। अब फिर वैसे ही तेवर दिखाने का समय आ चुका है। नक्सलियों के मूवमेंट से जुड़े जो इंटेल सामने आ रहे हैं। वो ये साफ कर रहे हैं कि जरा देर की तो मध्यप्रदेश के एक अहम हिस्से में नक्सलियों का रेड हेड क्वार्टर बन सकता है।
नक्सलियों ने नया हेडक्वार्टर अमरकंटक की पहाड़ियों को चुना
बालाघाट और उस से सटे चंद इलाकों के लिए नक्सलियों का खौफ कोई नई बात नहीं है। यहां पहले भी ऐसा खतरा मंडराता रहा है। एमपी के सुरक्षा बलों से एक बार मुंह की खा चुके नक्सली एक नए प्लान के साथ प्रदेश की तरफ बढ़ रहे हैं। इस बार उन्होंने सीधे बालाघाट को न चुनकर अमरकंटक को चुना है, लेकिन अमरकंटक ही क्यों चुना है। इसकी दो बड़ी वजह हैं।
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद की जड़ें बहुत गहरी हैं, लेकिन वहां भी सुरक्षा बल सक्रिय होते रहते हैं। जिसके बाद नक्सली नए-नए ठिकाने तलाशते हैं। अब नक्सली दलों को एक नया और सेफ रेड कॉरीडोर नजर आ रहा है। नक्सलियों ने अब अपने एक्सपांशन और एक्टिविटीज दोनों के लिए अमरकंटक की पहाड़ियों को चुना है। इस जगह को नक्सली अपने नए हेडक्वार्टर के रूप में डेवलप करना चाहते हैं। वैसे जब बात हेड क्वार्टर की होती है तो जेहन में एक बिल्डिंग की तस्वीर जरूर उभरती है। बड़ी ऊंची सी हाई टेक बिल्डिंग, लेकिन नक्सलियों का हेड क्वार्टर ऐसा नहीं होता क्योंकि ऐसी बिल्डिंग बनाएंगे या थोड़ा सा भी पक्का निर्माण करेंगे तो निगाह में आ जाएंगे। नक्सली असल में एक जगह अपना ऐसा बेस तैयार करते हैं। जहां वो सुरक्षित रह सकें और नए शामिल हुए कमांडर्स को ट्रेनिंग दे सकें। इसके लिए अमरकंटक का पहाड़ी इलाका उन्हें सबसे सेफ दिख रहा है। इस क्षेत्र की एक खास बात ये है कि अमरकंटक के घने जंगल के कुछ हिस्से में आज भी आम लोगों का आना जाना आसान नहीं है।
अमरकंटक का एरिया मप्र-छत्तीसगढ़ को टच करता है
छत्तीसगढ़ का बस्तर वाला इलाका वैसे भी नक्सलियों का गढ़ बन चुका है, लेकिन सुरक्षा बल भी यहां अलर्ट मोड पर रहते हैं। ऐसे में अमरकंटक के एरिये को नया गढ़ बनाकर नक्सली एक सेफ रेड कॉरिडोर तैयार करने की फिराक में है। इसका दूसरा बड़ा कारण ये भी है कि ये एरिया मध्यप्रदेश को भी टच करता है और छत्तीसगढ़ से भी सटा हुआ है। इस वजह से नक्सली एक ही जगह रहकर दो प्रदेशों पर नजर रख सकते हैं। जिस जगह नक्सली अपना नया मजबूत ठिकाना बनाने की फिराक में हैं वहां से कवर्धा, बालाघाट और मंडला जिलों की सीमा नजदीक है। हालांकि, इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के बाद मध्यप्रदेश पुलिस में हरकत में आ चुकी है। बालाघाट में तो नक्सल विरोधी अभियान पहले से ही जारी था। तब से अब तक पुलिस तकरीबन 13 हार्डकोर नक्सलियों को गिरफ्तार कर चुकी है। करीब आठ नक्सल विरोधी ऑपरेशन्स के जरिए पुलिस ने उन्हें धरदबोचा। अब ऐसे ही नक्सलविरोधी अभियान की जरूरत अमरकंटक के घने और कुदरती इलाके में भी पड़ सकती है।
नक्सली काफी समय से सेफ कॉरिडोर की कर रहे थे तलाश
नक्सलियों से मिले इंटेल के मुताबिक छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र पुलिस ने नक्सलियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई जारी रखी है। इसके बाद नक्सली काफी समय से ऐसे सेफ कॉरिडोर के लिए जगह तलाश रहे थे। इसी बीच उन्होंने अमरकंटक के आसपास के इलाकों का भी सर्वे किया था। उनकी ये कार्रवाई शुरू हुई साल 2016 से 17 के बीच में। तब से अब तक वो चोरी चुपके इस जगह मूवमेंट कर रहे हैं। खबरें ऐसी भी हैं कि जब बालाघाट में पुलिस ने नक्सलियों के खिलाफ बड़ी मुहिम चलाई थी। तब ऐसे कुछ दस्तावेज भी बरामद हुए थे। जो इस तरफ इशारा कर रहे थे कि नक्सली अमरकंटक के आसपास हेड क्वार्टर स्टेब्लिश करने की कोशिश में हैं। और उसमें कामयाब नहीं हुए तो उनका अगला टारगेट बालाघाट होगा।
नक्सली अब नए प्लान के साथ वापसी करने के मूड में हैं
साल 2018 के आसपास ये खबर भी आई थी कि नक्सली छत्तीसगढ़ से सटे मध्यप्रदेश के कुछ जिलों में स्लीपर सेल को भी एक्टिव कर रहे हैं। बालाघाट, मंडला, डिंडौरी, अनूपपुर और उमरिया के 500 गांव उस समय ऐसे चिन्हिंत किए गए थे जहां के कुछ ग्रामीणों के स्लीपर सेल में तब्दील हने का शक था। नक्सली प्लाटून 2 ने तब बालाघाट, डिंडौरी, और मंडला के सौ गांवों के लिए नक्सली कोड तैयार किया था और प्लाटून 3 छत्तीसगढ़ की तरफ से ये मोर्चा संभाल रही थी। उस साल का इंटेल था कि छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश पुलिस के ऑपरेशन से परेशान होने के बाद नक्सलियों ने बालाघाट के आसपास पनाह लेने का प्लान तैयार किया है। हालांकि, तब उनके मंसूबे पूरी तरह कामयाब नहीं हो सके। इसलिए नक्सली अब नए प्लान के साथ वापसी करने के मूड में हैं। बालाघाट में प्लान फेल होने के बाद नक्सलियों ने अमरकंटक की रैनी की। अमरकंटक न सिर्फ कुदरती रूप से उनके लिए महफूज है बल्कि, ये जगह धार्मिक रूप से भी काफी लोकप्रिय है। अमरकंटक से ही नर्मदा नदी का उद्गम हुआ है। इस वजह से यहां आम लोगों का आना जाना काफी होता है। सैलानी की तरह नक्सली भी यहां आसानी से मूव कर सकते हैं। हालांकि, बालाघाट की तरह ही ऑपरेशन चला तो नक्सलियों का ये प्लान भी नाकाम होगा।
स्पेशल फोर्स ने 8 बार नक्सली प्लान नाकाम कर 13 को मार गिराया
बालाघाट में पुलिस बलों ने बीते 5 साल के अंदर 20 से ज्यादा नक्सलियों का एनकाउंटर किया है। मारे गए नक्सलियों पर महाराष्ट्र, मप्र, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में 3 करोड़ से ज्यादा का इनाम रखा गया था। पांच ऐसे नक्सलियों को भी गिरफ्तार किया, जिन पर 1 करोड़ से ज्यादा का इनाम था। बीते दो सालों में प्रदेश की स्पेशल फोर्स ने 8 बार नक्सल क्षेत्रों में ही उनके प्लान नाकाम भी किए। 13 नक्सलियों को भी मार गिराया। तब से अब तक इन इलाकों में नक्सलियों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन चलता रहता है। इस बार भी उम्मीद है कि नए इंटेल के बाद सुरक्षा बल ज्यादा मुस्तैदी से कार्रवाई करेंगे।
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