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News Strike Madhav National Park Photograph: (thesootr)
News Strike : मध्यप्रदेश में कोई भी सियासी हलचल होती है तो ज्योतिरादित्य सिंधिया का जिक्र खुद ब खुद आ ही जाता है। हाल ही में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की बात हुई तो ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम खूब चमका और संगठन में दबदबा भी खूब दिखाई दिया। लेकिन अब ये दबदबा सत्ता की कसौटी पर भी कसने जा रहा है। सिंधिया संगठन में जो प्रभाव रखते हैं क्या वही प्रभाव, साथ या तालमेल उनका मोहन यादव सरकार के साथ भी नजर आएगा। ये जानने के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा। बस कुछ दिन और ये तस्वीर भी साफ हो ही जाएगी। क्योंकि मामला माधव नेशनल पार्क से जुड़ा है।
सिंधिया के लिए माधव नेशनल पार्क क्यों है इतना अहम
माधव नेशनल पार्क से जुड़ा मामला सिंधिया के लिए बहुत गंभीर क्यों हैं। पहले ये समझ लेते हैं कि सिंधिया के लिए माधव नेशनल पार्क क्यों इतना अहम रहा है। असल में माधव नेशनल पार्क राजा महाराजाओं के जमाने से ही सिंधिया राजघराने की मिल्कियत रहा है। माधव राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1958 में मध्यप्रदेश के राज्य बनने के साथ ही की गई थी। सिंधिया घराने के पूर्व महाराजा के नाम पर यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया के परदादा के नाम पर की गई थी। इत्तेफाक से उनके पिता का नाम भी माधव ही था। यह मूलतः सिंधिया परिवार का शाही शिकार का अभयारण्य था। इसी जंगल में सिंधिया घराने के राजाओं ने खूब शिकार भी खेला। जहां बाप दादा ने दिन गुजारे हों उस जगह से जज्बात जुड़ने लाजमी हैं। इस नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व में तब्दील करने के लिए सिंधिया कई बार पत्र लिख चुके हैं। बीजेपी में शामिल होने के बाद भी उन्होंने इस संबंध में कई बार संबंधित मंत्रालय को पत्र लिखे।
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माधव नेशनल पार्क का कोर एरिया 375 वर्ग किलोमीटर
अब समझ लीजिए कि सिंधिया की ये ख्वाहिश भी पूरी हो चुकी है। एक दिसंबर 2024 को ही ये खबर आई कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण यानी एनटीसीए की तकनीकि समिति ने माधव नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व बनाने की मंजूरी दे दी है। अब राज्य सरकार जैसे ही इस पार्क को टाइगर रिजर्व बनाने की अधिसूचना जारी करेगी। वैसे ही ये नेशनल पार्क की जगह टाइगर रिजर्व के नाम से जाना जाने लगेगा। मेन मुद्दे पर पहुंचने से पहले थोड़ी सी और डिटेल बता देते हैं। टाइगर रिजर्व बनने के बाद माधव नेशनल पार्क का कोर एरिया 375 वर्ग किलोमीटर, बफर एरिया 1276 वर्ग किलोमीटर और कुल एरिया 1751 वर्ग किलोमीटर होगा। इसके साथ ही यहां एक और नर और मादा बाघ भी छोड़े जाएंगे।
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माधव नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व बनाने का नोटिफिकेशन जारी नहीं
आपको ये जानकर ताज्जुब होगा कि माधव नेशनल पार्क के अलावा रातापानी अभ्यारण्य को भी टाइगर रिजर्व का दर्जा देने का रास्त साफ हो गया था। इसके लिए मोहन यादव सरकार ने नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है, लेकिन माधव नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व बनाने का नोटिफिकेशन अब भी जारी नहीं हुआ है इसकी क्या वजह हो सकती है। असल में सारा मुद्दा यहीं से शुरू होता है। माधव नेशनल पार्क... फिलहाल हम इसे नेशनल पार्क ही कहेंगे टाइगर रिजर्व नहीं। क्योंकि सरकार ने इसका नोटिफिकेशन जारी नहीं किया। तो मामला ये है कि इस नेशनल पार्क को लेकर सिंधिया हमेशा से ही काफी संजीदा रहे हैं। खासतौर से शिवपुरी में इस पार्क से सिंधिया घराने की साख भी जुड़ी हुई है। इसलिए इससे जुड़ा कोई मसला होता है तो सिंधिया की उसमें खास दिलचस्पी होती है। सिर्फ इतना ही नहीं उनकी कोशिश ये भी होती है कि माधव नेशनल पार्क से जुड़े कुछ अहम कामों का ऐलान दस मार्च को हो। इस तारीख की भी खास वजह है। वजह ये है कि इसी दिन माधव राव सिंधिया की जयंती आती है।
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ज्योतिरादित्य चाहते हैं माधव राव की जयंती पर हो ऐलान
सिर्फ इतना ही नहीं उनकी कोशिश ये भी होती है कि माधव नेशनल पार्क से जुड़े कुछ अहम कामों का ऐलान दस मार्च को हो। इस तारीख की भी खास वजह है। वजह ये है कि इसी दिन माधव राव सिंधिया की जयंती आती है। इसलिए सिंधिया की हमेशा कोशिश होती है कि माधव नेशनल पार्क में उनके पिता के बर्थडे के दिन ही कुछ खास काम हों। आपको याद होगा साल 2023 में जब माधव नेशनल पार्क में नए टाइगर्स छोड़े गए थे। तब भी दस मार्च का ही दिन चुना गया था। तब शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया एक साथ इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इस बार नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने अप्रेल से पहले ही दो बाघों को छोड़े जाने की मंजूरी दे दी है। हो सकता है पिछली बार की तरह दस मार्च को ही नए टाइगर छोड़े जाएं और इस दिन को यादगार बनाया जाए।
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ज्योतिरादित्य सिंधिया के कहने पर सीएम ने नोटिफिकेशन किया होल्ड!
पर ये तभी संभव है जब सिंधिया और मौजूदा सीएम के बीच भी वैसा ही तालमेल हो जैसा सिंधिया और शिवराज के बीच रहा है। सिंधिया की बात मानकर शिवराज ने दस मार्च को ही दो नए टाइगर छोड़े थे, लेकिन अब सियासी हलकों में अटकलें अलग-अलग हैं। एक तबका ये कहता है कि सिंधिया के कहने पर सीएम ने नोटिफिकेशन होल्ड किया है, जबकि कुछ सूत्र ये कहते हैं कि ये नोटिफिकेशन सीएम ने खुद ही रोका हुआ है। इसकी क्या वजह है फिलहाल उसका खुलासा नहीं हुआ है।
संगठन में तो ज्योतिरादित्य अपना दबदबा दिखा ही चुके हैं
अब नोटिफिकेशन के जारी होने का दिन ही ये बताएगा कि सिंधिया की नए सरकार के साथ कितनी पटरी बैठ रही है। वैसे संगठन में तो वो अपना दबदबा दिखा ही चुके हैं। हाल ही में हुए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में क्राइटेरिया को ताक पर रखकर सिंधिया अपने समर्थक जसवंत जाटव को जिलाध्यक्ष बनवाने में कामयाब हुए। ग्वालियर में उन्होंने वीडी शर्मा की पसंद को समर्थन दिया और अशोक नगर में हितानंद शर्मा की पसंद को। कुल मिलाकर वो सब के साथ समीकरण साध कर चल रहे हैं। ये समीकरण मोहन यादव के साथ कितने सही जमे हैं। इसका अंदाजा माधव नेशनल पार्क के टाइगर रिजर्व में तब्दील होने के नोटिफिकेशन जारी होने के दिन के साथ हो ही जाएगा। अगर नोटिफिकेशन दस मार्च को ही जारी होता है तो समझिए कि मोहन और ज्योतिरादित्य की खूब जम गई है। पर पहले या बाद में होता है तो समझिए कि फिलहाल सत्ता में पैठ जमाने के लिए सिंधिया को थोड़ी और मेहनत करनी होगी।