News Strike : कहते हैं डूबते को तिनके का सहारा, पर क्या कभी ये सुना है कि डूबते को डूबे हुए का सहारा। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के हालात कुछ ऐसे ही दिख रहे हैं, लेकिन जो दिखाई दे रहा है क्या वाकई हालात वैसे ही हैं। या किसी डूबे हुए पर भरोसा करके कांग्रेस नया किनारा पाने की कोशिश में है। ये सारे सवाल जुड़े हैं राहुल गांधी और कमलनाथ की एक तस्वीर से। जिसमें दोनों साथ में दिखे, हंसते मुस्कुराते हुए, जैसे कभी कोई गिले शिकवे थे ही नहीं। इस फोटो को देखकर पटवारी कांग्रेस में तो खलबली मची ही बीजेपी के नेता भी इसकी तह तक जाने में लग गए, लेकिन इस तस्वीर की हकीकत क्या है ये मैं आपको बताता हूं क्योंकि माजरा जितना दिख रहा है उससे ज्यादा संगीन है।
लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में दूसरा सरप्राइज एपिसोड
नए साल की शुरुआत मध्यप्रदेश कांग्रेस के लिए किसी सरप्राइज के साथ हुई थी। कांग्रेस ने जाहिर करने की पूरी कोशिश की कि वो सख्त फैसले ले सकती है और अपने दिग्गज नेताओं को दरकिनार भी कर सकती है। इसके बाद प्रदेश की कमान जीतू पटवारी को सौंप दी गई और प्रदेश में विधानसभा का चेहरा बना दिए गए उमंग सिंगार।
इसके बाद कांग्रेस में दूसरा सरप्राइज एपिसोड शुरू हुआ लोकसभा चुनाव से पहले। जब ये खबर आने लगी कि कमलनाथ अपने बेटे नकुलनाथ समेत बीजेपी में जा सकते हैं। ये एपिसोड इतना ड्रेमेटिक था कि कमलनाथ के घर पर कब कौन सा झंडा लगा कौन सा उतरा, फिर कौन सा लगा तक पर मीडिया की नजर थी। हालांकि, झंडों की जुबानी कोई पुख्ता खबर बाहर नहीं आई। कुछ देर बाद ये क्लियर हो गया कि कमलनाथ कहीं नहीं जा रहे हैं। हालांकि, कमलनाथ अपना गढ़ बुरी तरह हार गए। गढ़ यानी कि छिंदवाड़ा. यहां से उनके बेटे नकुलनाथ को कांग्रेस ने टिकट दिया था। इस हार के बाद कमलनाथ बहुत दिन तक सक्रिय राजनीति से गायब ही दिखाई दिए। अटकलें ये भी लगीं कि बीजेपी जाने को तैयार कमलनाथ से अब आलाकमान खफा है, लेकिन एक तस्वीर ने सारी फिजा ही बदल दी। इस तस्वीर में राहुल गांधी अपनी जानी पहचानी व्हाइट टीशर्ट में हैं तो कमलनाथ भी सफेद कुर्ते में ही दिख रहे हैं। दोनों के फेस एक्सप्रेशन साफ कर रहे हैं कि दोनों के दरमियान मिटिंग भी बहुत खुशनुमा ही रही।
अब फोकस करना है महाराष्ट्र इलेक्शन पर
इस तस्वीर से खलबली तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों खेमों में मची, लेकिन बीजेपी ने इस खलबली को चटखारे का रूप देने की कोशिश की और कुछ नेताओं ने ट्वीट भी किए कि जीतू पटवारी की छुट्टी होने वाली है। कांग्रेस के बहुत से नेता भी ये नहीं समझ सके कि अचानक ये मुलाकात क्यों हुई। एक बार फिर ये अटकलें जोर पकड़ने लगीं कि जीतू पटवारी बार-बार नाकाम साबित हो रहे हैं इसलिए अब कमलनाथ ही दोबारा जिम्मेदारी संभालेंगे भले ही ये काम वो पर्दे के पीछे रह कर करें, लेकिन ये सारी अटकलें फिलहाल तक बेबुनियाद ही हैं। खैर इसलिए ही इन्हें अटकलें भी कहा जाता है। असल में कमलनाथ एक दो दिन पहले ही एक्टिव नहीं हुए हैं। बल्कि वो पिछले करीब डेढ़ से दो महीने से एक्टिव हैं। पार्टी से जुड़े कुछ अहम फैसले तो वो ले ही रहे हैं। खबरे ये भी हैं कि राहुल गांधी और उनके बीच हरियाणा चुनाव में मिली हार पर कुछ खास चर्चा भी हुई है। दोनों नेता इस नतीजे पर भी पहुंचे कि जो बीत गई सो बात गई। अब फोकस करना है महाराष्ट्र इलेक्शन पर। क्योंकि कांग्रेस के लिए ये भी एक इंपोर्टेंट चुनाव है।
दूध की जली कांग्रेस छाछ भी फूंक-फूंक कर पी रही है
राजनीति के मैदान में नौसिखिए से लगातार मंझे हुए खिलाड़ी बनते जा रहे राहुल गांधी को शायद ये अहसास हो चुका है कि महाराष्ट्र में उन्हें कमलनाथ जैसे तजुर्बेकार नेता की जरूरत पड़ेगी। कमलनाथ का सहारा लेना कांग्रेस के लिए एक बड़ी मजबूरी भी है। हरियाणा में सहयोगी दलों पर हुई बयानबाजी को लेकर कांग्रेस को इंडिया गंठबंधन में ही बहुत नुकसान झेलना पड़ा। इसके बाद कांग्रेस ने महाराष्ट्र चुनाव का बिगुल बजने से पहले ही नेताओं को ताकीद कर दिया की सहयोगी दलों पर बयान देने से पहले हर पहलू को समझ लें। हालांकि, इसके बाद भी कांग्रेस महाराष्ट्र में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। महाअघाड़ी मोर्चा में कांग्रेस यहां शरद पवार की एनसीपी और शिवसेना यूबीटी के साथ गठबंधन में है। दूध की जली कांग्रेस यहां छाछ भी फूंक फूंककर पी रही है। इसलिए कमलनाथ को अब महाराष्ट्र में अहम जिम्मेदारी देने की पूरी प्लानिंग है।
तस्वीर बताती है कि कमलनाथ का कद कतई कम नहीं हुआ
असल में कमलनाथ कांग्रेस के सबसे तजुर्बेकार और सीनियर लीडर हैं। फिलहाल सीनियोरिटी के मामले में वो कांग्रेस की सबसे पहली पंक्ति में आते हैं। जिनके संबंध भी दूसरी पार्टियों के लीडर्स से काफी बेहतर हैं। इन लीडर्स में खुद शरद पवार और उद्धव ठाकरे भी शामिल हैं। इनसे बातचीत और तालमेल बनाने का अहम काम कमलनाथ के जिम्मे हो सकता है। वैसे भी जब पाटी नेताओं का कोई बयान कहीं बात बिगाड़ दे संभालने के लिए किसी समझदार नेता का होना बहुत जरूरी है। कमलनाथ इसी भूमिका में महाराष्ट्र में हो सकते हैं। इसलिए अगर मैं ये कहूं कि कमलनाथ भले ही छिंदवाड़ा न जीत सके हों फिर भी ऐसे मजबूत तिनके हैं जो कांग्रेस की नैयार को बुरी तरह डूबने से तो बचा ही सकते हैं। शायद इसलिए ये तस्वीर शेयर की गई है और ये मैसेज देने की कोशिश की गई है कि कमलनाथ का कद कतई कम नहीं हुआ है। हालांकि, इसका आगे चल कर मध्यप्रदेश की राजनीति पर कितना असर पड़ेगा। ये फिलहाल कहना मुश्किल है।
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