NewsStrike : मध्यप्रदेश के नर्सिंग घोटाले में एक पूर्व केंद्रीय मंत्री का नाम सामने आने के बाद ये मामला हाईप्रोफाइल होता नजर आ रहा है। ये घोटाला भी गजब है। गलत करने वाले तो गलत कर ही रहे थे, जिन्हें जांच करने के लिए भेजा वो सही रिपोर्ट तैयार करने की जगह गलत का साथ देने लगे। जब से इस घोटाले का खुलासा हुआ है व्यापमं का जिन्न भी बाहर निकल आया है। कंपेरिजन व्यापमं से होना लाजमी भी है क्योंकि घोटाला बहुत बड़ा है और आशंका भी व्यापमं की तरह ही कुछ छोटे-मोटे नाम उजागर करके मामले को रफा-दफा कर देने की है।
सीबीआई से कुछ और नाम भी आ सकते हैं सामने
प्रदेश में हुआ नर्सिंग घोटाला बहुत से सवाल उठाता है। पहले सवाल ये कि नर्सिंग घोटाले में कितने रसूखदार लोग शामिल होंगे। जिन्होंने कॉलेज के हालात तो नहीं सुधारे अलबत्ता सीबीआई अफसर को ही दस लाख रुपए की रिश्वत देकर खरीद लिया। ये तो वो रकम है जिसे लेते हुए सीबीआई अफसर राहुल राज रंगे हाथों पकड़े गए। धांधली तो पहले से चल रही है। तो क्या ये मुमकिन नहीं कि सीबीआई अफसर पहले भी रिश्वत ले चुके होंगे। सवाल तो ये भी है कि क्या सीबीआई का सिर्फ एक ही अफसर इसमें शामिल है या महकमे से कुछ और नाम भी सामने आने बाकी हैं।
नर्सिंग घोटाले में कई और नाम हो सकते हैं शामिल
फिलहाल इस जांच की चपेट में सीबीआई के सिर्फ दो अधिकारियों के नाम सामने आए हैं। दो नामों के खुलासे के बाद जाहिर है ये कोशिशें भी शुरू हो चुकी होंगी कि कैसे इस मामले को जल्द से जल्द निपटाया जाए। इतने पर ही बात रोक दी जाए। सीबीआई के अलावा बात करें तो ये सुगबुगाहटें भी तेज हो चुकी हैं कि एक पूर्व केंद्रीय मंत्री के रिश्तेदार का भी कॉलेज इस लिस्ट में शामिल है। जिन कॉलेजों को क्लीन चिट दी गई है, उसमें प्रदेश के एक पूर्व केन्द्रीय मंत्री के रिश्तेदारों के भी कॉलेज शामिल हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि उनके रसूख और मदद की वजह से ही रिश्तेदारों के नर्सिंग कॉलेज खूब फल फूल रहे थे। हालांकि, ये पूर्व केंद्रीय मंत्री कौन हैं, अब तक इसका खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि अगर जांच ने धार पकड़ी तो कई सफेदपोश चेहरे बेनकाब होते जाएंगे। क्योंकि बिना राजनीतिक इंवोल्वमेंट के इतनी बड़े घोटाले को अंजाम देना आसान नहीं है। तो इस आशंका को दरकिनार नहीं किया जा सकता है कि घोटाले में कई बड़े नाम शामिल तो होंगे ही। वो सामने आएंगे या सब मैनेज हो जाएगा ये कहना मुश्किल है। फिलहाल तो जिस पूर्व केंद्रीय मंत्री के रिश्तेदार का कॉलेज होना बताया जा रहा है। उस पूर्व केंद्रीय मंत्री का नाम दबाने की भी पूरी कोशिशें शुरू हो ही चुकी होंगी।
नर्सिंग कॉलेजों में कमी की एक शिकायत पर मामले खुले
नर्सिंग घोटाले प्रदेश में 2021 से जानकारी में आया था, लेकिन सीबीआई अफसरों की संलिप्तता के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया है। यह घोटाला तब जानकारी में आया, जब एक शिकायत के आधार पर नर्सिंग कॉलेजों की जांच शुरू की गई। इस शिकायत में ये कहा गया कि सिर्फ चार कमरों में ही कई नर्सिंग कॉलेज चल रहे हैं। न तो कॉलेज में लैब है और न ही दावे के अनुसार 100 बिस्तर का अस्पताल है। कई कॉलेज में तो एक ही फैकल्टी के नाम पर भी एक ही व्यक्ति है। मामले में ग्वालियर हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद 364 नर्सिंग कॉलेजों की जांच CBI को सौंपी गई। CBI को जांच सौंपने के बाद लगा कि इसमें कोई बड़े खुलासे होंगे, लेकिन जांच कर रहे अधिकारी ही भ्रष्ट निकल गए।
मामले ने तूल पकड़ा जब जांच अधिकारी ही रिश्वत लेते पकड़ाए
इस जांच में 169 कॉलेजों को सूटेबल, 73 नर्सिंग कॉलेजों को डिफिसेंट और 66 को अनसूटेबल बताया गया। सूटेबल कॉलेजों की लिस्ट सार्वजनिक होते ही इसकी पड़ताल शुरू हो गई। विसिलब्लोअर और एनएसयूआई के अध्यक्ष रवि परमार ने सबसे पहले ये शिकायत की कि जिन कॉलेजों को CBI ने सूटेबल घोषित किया है, वही कॉलेज नियमों के खिलाफ चल रहे हैं। इस खुलासे के बाद सीबीआई एक बार फिर मामले की जांच पर मजबूर हुई और फिर जो खुलासे हुए वो चौंकाने वाले थे। मामले की जांच कर रहे CBI के अधिकारी ही भ्रष्टाचार में शामिल पाए गए। घोटाले की जांच कर रहे CBI के अफसर रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए। नर्सिंग घोटाले के व्हिसलब्लोअर रवि परमार की शिकायत पर ही CBI दिल्ली की टीम ने अधिकारी को पकड़ा था। दिल्ली CBI ने इंदौर, भोपाल, रतलाम समेत अलग-अलग जगहों पर छापेमारी की। इस छापेमारी में CBI के इंस्पेक्टर राहुल राज 10 लाख रुपए की रिश्वत लेते पकड़े गए। नर्सिंग कॉलेज को क्लीन चिट देने के बदले वो ये रिश्वत ले रहे थे। राहुल राज के घर से तलाशी में 7 लाख 88 हजार कैश और दो गोल्ड के बिस्किट भी बरामद हुए हैं। राहुल राज को रिश्वत देने वाले भोपाल स्थित मलय कॉलेज ऑफ नर्सिंग के चेयरमैन अनिल भास्करन, प्रिंसिपल सुमा भास्करन और एक दलाल सचिन जैन को भी CBI ने गिरफ्तार कर लिया।
CBI की गिरफ्त अब तक 13 लोग आए
दिल्ली CBI ने अब तक जो गिरफ्तारियां की उसमें दो इंस्पेक्टर समेत 13 आरोपियों को गिरफ्तार कर रिमांड पर भेज दिया गया है। इसके अलावा रतलाम नर्सिंग कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल जुगल किशोर शर्मा और भाभा कॉलेज भोपाल के प्रिंसिपल जलपना अधिकारी को भी गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार किए गए एक अन्य आरोपी रविराज भदौरिया के ठिकाने से CBI ने 84.65 लाख रुपए की जब्ती की, जबकि प्रीति तिलकवार के ठिकाने से करीब एक लाख रुपए और एक डायरी मिली है। CBI की गिरफ्त में आए 13 लोगों में दो CBI अफसर, दो प्रिंसिपल और दलाल शामिल हैं। कार्रवाई तो बहुत तेजी से हुई है, इसमें कोई शक नहीं है। अब खबर ये भी है कि जिन कॉलेजों को पहले क्लीनचिट मिल चुकी है या जिन्हें सही माना गया है। उन नर्सिंग कॉलेजों की भी फिर से जांच होगी।
बड़े नाम तो सामने आएंगे, लेकिन केस व्यापमं जैसा न हो जाए
लेकिन क्या आप ये मान सकते हैं कि जो कॉलेज नियमों को ताक पर रख कर चलाने की हिम्मत की जा सके। जहां सीबीआई अफसरों का ही सौदा हो जाए। वहां बड़े नाम शामिल नहीं होंगे। अगर शामिल हैं तो क्या ऐसे नामों की लिस्ट सामने आएगी। जिन कॉलेजों के स्टाफ ने सीबीआई अफसर को खरीद लिया वो कॉलेज किसके हैं। किसी राजनेता के हैं या राजनेता के रिश्तेदारों के हैं। या, ऐसे किसी शख्स के हैं जिनका नाता किसी दमदार अफसर से है। तह खुलती गईं तो और भी बहुत से चौंकाने वाले नाम सामने आ सकते हैं, लेकिन जिस स्तर तक अब गिरफ्तारियां हुई हैं, उसे देखते हुए लगता है कि मामला कम से कम में ही निपटा लिया जाएगा। प्रभावशाली लोगों के नाम या तो आएंगे ही नहीं और आए भी तो केस इतना कमजोर होगा कि वो आसानी से छूट जाएंगे। व्यापमं इस मामले में एक बड़ी नजीर है। जिसके नक्शे कदम पर ये केस चलता दिखाई दे रहा है।