News Strike : राधा रानी पर टिप्पणी से बढ़ी पंडित प्रदीप मिश्रा की मुश्किलें, क्या इस सफाई से बनेगा काम ?

कुबेरेश्वर धाम के नाम से प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के पंडित प्रदीप मिश्रा कथाओं के जरिए बहुत सुर्खियां हासिल करते हैं। हाल के उनके एक बयान के बाद संतों ने उनकी आलोचना शुरू कर दी है। जानते हैं उनके सुर्खियां बटोरने वाले बयानों के बारे में...

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Jitendra Shrivastava
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News Strike : पंडित प्रदीप मिश्रा याद हैं आपको। याद की क्या बात है आपमें से बहुत से लोग उनके भक्त या फॉलोअर होंगे और बहुत से लोग ऐसे होंगे जो पंडित मिश्रा के कुबेरेश्वर धाम में मिलने वाले रुद्राक्ष की कतार में लग चुके हैं। वही पंडित मिश्रा एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने राधा रानी पर ऐसा बयान दिया है जो कृष्ण और राधा भक्तों को नागवार गुजर रहा है। बयान तो नहीं उनकी कथा का एक हिस्सा था जिसमें उन्होंने राधा रानी के बारे में कुछ ऐसा कहा कि कृष्ण की नगरी मथुरा में बवाल शुरू हो गया है और संतों ने भी उनकी आलोचना शुरू कर दी है। जिसके बाद पंडित प्रदीप मिश्रा बैकफुट पर हैं और अब अपनी ही कहानी पर सफाई दे रहे हैं।

पंडित मिश्रा की आदत है सुर्खियों में रहना

वैसे तो पंडित प्रदीप मिश्रा कई सालों से कुबेरेश्वर धाम के नाम से प्रसिद्धि हासिल कर चुके हैं। अपनी कथाओं के जरिए वो बहुत सुर्खियां हासिल करते हैं। उन्हें सुनने वाले सीधे उन्हें न सुन सके तो यू ट्यूब पर उनके चैनल के जरिए उनकी कथाओं को सुनते हैं। कथा वाचन के जरिए भक्तों के दिलों पर राज करने वाले पंडित मिश्रा के लिए शायद इतना ही काफी नहीं है। उन्हें आदत है सुर्खियों में बने रहने की। इससे पहले वो सबसे ज्यादा सुर्खियों में तब आए जब उनके धाम पर रूद्राक्ष वितरण की जानकारी हुई और भक्त सीहोर जाने के लिए टूट पड़े। नतीजा ये हुआ कि घंटों और मीलों लंबा जाम लगा रहा। गाड़ियां सुबह से शाम तक रेंगती रहीं फिर भी एक किमी का सफर नहीं तय कर पाईं। जाम की वजह से बहुत से लोग बीमार भी हुए। उस समय मध्यप्रदेश की धार्मिक फिजा में एक तरफ बागेश्वर धाम का नाम सुर्खियों में था जो अपनी बयान से लाइम लाइट बटोर रहे थे तो दूसरी तरफ कुबेरेश्वर धाम खबरों में छाया हुआ था। हालांकि, ये मामला व्यवस्था से जुड़ी चूक का भी था, लेकिन पंडित मिश्रा अपनी कथाओं में भी कम नहीं है। बीच-बीच में वो कुछ ऐसा बोल ही जाते हैं जो विवादों में घिर जाता है। उनके कुछ पुराने बयानों पर भी चर्चा करेंगे। पर पहले जानिए इस बार राधा रानी पर उन्होंने क्या बयान दिया है। 

108 रानियों में राधा का नाम नहीं हैः पं. मिश्रा

वायरल वीडियो के अनुसार 9 जून की बात है। पंडित प्रदीप मिश्रा ओंकारेश्वर में कथा वाचन कर रहे हैं। इसमें वे कह रहे हैं कि श्रीकृष्ण की 108 रानियों में राधा का नाम नहीं है। राधा के पति के तौर पर श्रीकृष्ण का नाम नहीं लिया जाता तो उनके पति और परिवार में कौन-कौन हैं? इस बारे में पंडित मिश्रा बता रहे हैं। उन्होंने राधा रानी के माता-पिता, उनके कामका, पति, सास और ननद के बारे में बताया। साथ ही वे यह कहते हुए भी सुने जा सकते हैं कि राधा रानी बरसाने की नहीं थीं, बल्कि वे रावल की रहने वाली हैं। उन्होंने ये जानकारी जिस कथा में दी, उसे सुनने के बाद से मथुरा में बवाल है। पहले ये बता दूं कि इस कथा में पंडित मिश्रा जिस रावल का जिक्र कर रहे हैं। वो मथुरा के पास की ही छोटी सी जगह है। खैर उनके रहने के स्थान से ज्यादा विवाद इस बात पर है कि वो राधा और कृष्ण के रिश्ते पर है। जिसमें उन्होंने राधा के पति का नाम अनय घोष बताया है और साथ में सास और ननदों के नाम भी बताए हैं। 

प्रदीप मिश्रा की विधा पर उठाए सवाल 

जो कृष्ण भक्त बरसों से राधा रानी और कृष्ण की पूजा करते हैं। जिनके जाप में ही नाम राधा कृष्ण एक साथ लिया जाता है। वो प्रदीप मिश्रा की कथा के इस अंश से सहमत नहीं है। नतीजा ये हुआ कि कथा का ये हिस्सा सुन मथुरा में बवाल शुरू हो गया है। प्रदीप मिश्रा के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज करवाने की बात हो रही है। आस्था का विषय कितना प्रागढ़ हो सकता है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा लीजिए कि मथुरा बरसाने जैसे स्थानों पर राधा रानी को लाडली नाम से पुकारा जाता है। जाहिर है प्रदीप मिश्रा के कथा के ये अंश सुनकर उनको भड़कना ही था। नतीजा ये हुआ कि संत प्रेमानंद ने पंडित प्रदीप मिश्रा की विधा पर ही सवाल उठा दिए।

प्रदीप मिश्रा क्यों हर बार ऐसे विवादित बयान देते हैं

संत प्रेमानंद के अलावा बहुत से संगठनों ने ये चेतावनी भी दी है कि प्रदीप मिश्रा को अपनी कथा के अंश पर माफी मांगनी होगी। ऐसा नहीं किया तो उन्हें मथुरा और वृंदावन आने भी नहीं दिया जाएगा। प्रदीप मिश्रा ने माफी तो नहीं मांग, लेकिन अपनी ही कथा के अंश पर सफाई जरूर पेश की। पर सवाल ये है न कि प्रदीप मिश्रा क्यों हर बार ऐसे विवादित बयान देते हैं या कथाओं के बीच ऐसे अंश सुनाते हैं कि कंट्रोवर्सी खड़ी हो जाए। उनकी कथा सुनने के लिए भरपूर लोग पंडाल में पहुंचते हैं। यू ट्यूब पर भी जबरदस्त हिट्स मिल जाते हैं। कुबेरेश्वर धाम पहुंचने वाले भक्तों की गिनती भी कम नहीं है। फिर क्या वजह है कि पंडित प्रदीप मिश्रा इस तरह की बातें करते हैं। इससे पहले भी वो ऐसे बयान दे चुके हैं जो उनकी कथाओं से ज्यादा सुर्खियां बटोर चुके हैं। 

चलिए एक सरसरी सी नजर उन बयानों पर भी डाल ही लेते हैं...

  1. पंडित प्रदीप मिश्रा ने अभी कुछ ही दिन पहले यानी कि 1 जून 2024 को छत्तीसगढ़ के दुर्ग में कहा कि हिंदू लव मैरिज न करें। हिंदुओं को 4 बच्चे पैदा करने चाहिए। इसमें से दो अपने पास रखें। एक को राष्ट्र सेवा के लिए और एक को हिंदुत्व के लिए समर्पित कर दें।
  2. 15 जून 2023 को उन्होंने भोपाल में ही कहा था कि लव जिहाद को रोकने के लिए परिवार में ही संस्कार दें और बेटियों के पास कटार रखवा दें।
  3. 29 अप्रैल 2023 को उन्होंने भिलाई में कहा कि समलैंगिक विवाह का प्रस्ताव सनातन धर्म को चोट पहुंचान वाला हो सकता है। ये श्रेष्ठ नहीं है।
  4. 16 दिसंबर 2022 को उन्होंने कहा कि हर घर से एक बेटा संघ या बजरंग दल में जरूर जाना चाहिए।
  5. 30 नवंबर 2022 को उन्होंने बाहर से इंदौर आने वाली लड़कियों के लिए कहा कि ऐसी लड़कियां इंदौर की फिजा बिगाड़ रही हैं।
  6. 24 सितंबर 2022 को प्रदीप मिश्रा के निशाने पर मंदोदरी थीं। उन्होंने कहा कि माता मंदोदरी एक सति और शिवभक्त थीं। मंदोदरी के क्षेत्र में बेटियां देह व्यापार में जाती जा रही हैं।
  7. 9 मई 2022 को नर्मदापुरम में उन्होंने संविधान बदलने की मांग की और कहा कि संविधान बदलकर इसे हिंदू राष्ट्र बनाना है।

अपने ही देवी देवताओं की पहचान बदलना सही नहीं

उनके ऐसे बयानों की फेहरिस्त काफी लंबी है। अगर सबको सुनने सुनाने बैठे तो न्यूज स्ट्राइक घंटों जारी रह सकती है। खैर ये बात सही है कि धर्म विशेष के फॉलोअर्स में जोश जगाने के लिए कथा वाचक या धर्म गुरू बहुत सी बातें करते हैं, लेकिन अपने ही देवी देवताओं की पहचान बदलना। या उनका जो अस्तित्व भक्तों के दिलों में बसा है जिसे वो पूजते हैं, उसे बदलने की कोशिश करना क्या कथा वाचकों के लिए सही है। आस्था पर चोट होगी तो क्या भक्त किसी कथा वाचक या गॉड मैन को भी बख्श देंगे, शायद नहीं। पंडित प्रदीप मिश्रा के खिलाफ राधा कृष्ण भक्तों में फूटा गुस्सा इसी बात का सबूत है।

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