News Strike : हरियाणा में चुनाव के बाद अब एमपी में फिर से चुनाव की बारी है। बहुत जल्द उपचुनाव का बिगुल बजने की संभावना है। इस बार के उपचुनाव में सीटें भले ही कम हों, लेकिन तीन तीन नेताओं की साख जरूर दांव पर है। इसके साथ ही कांग्रेस खासतौर से जीतू पटवारी के सामने भी एक बड़ा चैलेंज है। हालांकि, कांग्रेस फिर वही पुरानी गलती दोहराते हुए नजर आ रही है। चलिए आज के इस एपिसोड में यही जानेंगे कि किन तीन चेहरों को बड़ी परीक्षा देनी है और पटवारी को साख बचाने के लिए क्या करना है।
दो सीटों पर उपचुनाव चार बड़े नेताओं की अग्निपरीक्षा
मध्यप्रदेश में अब कभी भी बुधनी विधानसभा सीट और विजयपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो सकते हैं। एक सीट शिवराज सिंह चौहान के सांसद बनने के बाद खाली हुई है और एक सीट के विधायक राम निवास रावत कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए। इसके बाद ये सीट भी खाली है। कहने को तो दो ही सीटों पर उपचुनाव है, लेकिन ये प्रदेश के चार बड़े नेताओं की अग्निपरीक्षा साबित होने जा रही है। इस अग्निपरीक्षा की आग में वो नेता भी तपेंगे पहले कई चुनाव जीत चुके हैं और जितवा भी चुके हैं तो वो नेता भी चुनेंगे जो इस परीक्षा में पहली बार शामिल होने जा रहे हैं। ये चार चेहरे जिन्हें ये परीक्षा देनी है वो हैं वीडी शर्मा, पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान, सीएम मोहन यादव और कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी। अब आप जरूर ये पूछ सकते हैं कि सिर्फ दो सीटों के लिए चार नेताओं की परीक्षा क्यों है। हम एक-एक नेता के नाम के साथ आपको बताते हैं कि इस अग्निपरीक्षा की बात में क्यों कर रहा हूं।
शुरुआत करते हैं वीडी शर्मा से...
हर चुनाव में वीडी का स्ट्राइक रेट सौ फीसदी
वीडी शर्मा बीजेपी के अध्यक्ष हैं और अगर हम ये कहें कि अभी तक हर चुनाव में उनका स्ट्राइक रेट सौ फीसदी रहा है तो भी कुछ गलत नहीं होगा। वीडी शर्मा जब से प्रदेश में बीजेपी के अध्यक्ष बने हैं, तब से बीजेपी सारे चुनाव जीतती आ रही है। उनकी सरपरस्ती में ही 2020 के उपचुनाव हुए थे और बीजेपी सत्ता में वापसी कर सकी थी। उसके बाद हुए विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी का प्रदर्शन जोरदार रहा। लोकसभा में बीजेपी ने जो लक्ष्य अपने लिए रखा था उसे वो हासिल करने में कामयाब भी रही। जिस वक्त वीडी शर्मा ने ये सारे इम्तिहान पास किए तब सिर्फ लोकसभा चुनाव 2024 को छोड़ दें तो सारे चुनाव के दौरान उनके साथ शिवराज सिंह चौहान थे। अब सीएम मोहन यादव हैं। नई सरकार और संगठन के बीच तालमेल कैसा है। ये इन उपचुनावों के नतीजे से ही जाहिर हो सकेगा।
शिवराज ने रोड शो में खोला सौगातों का पिटारा
शिवराज सिंह चौहान जिन्होंने बुधनी विधानसभा सीट से चुनाव में बहुत बड़ी जीत हासिल की थी। अब उनकी सीट पर फिर से विधानसभा चुनाव होने हैं। इस सीट पर खबर है कि शिवराज सिंह चौहान अपने बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान को टिकट दिलवाना चाहते हैं। जिस तरह बीजेपी परिवारवाद की खिलाफत करती आई है उसे देखते हुए लगता है कि ये मुश्किल काम हो सकता है, लेकिन जीत का अंतर बरकरार रखने की चुनौती जरूर है। शिवराज सिंह चौहान का जादू उनकी सीट बुधनी पर कितना कायम है इसका खुलासा सिर्फ जीत से नहीं होगा बल्कि, हार जीत के अंतर से होगा। इसलिए बीजेपी, बुधनी में चुनावी तैयारियों में जुट गई है। बुधनी में हाल ही में सीएम मोहन यादव और पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने रोड शो किया है और सौगातों का पिटारा भी खोल दिया है। कार्तिकेय सिंह चौहान की मौजूदगी के बावजूद बीजेपी ने अपने सिस्टम के अनुसार बुधनी में मुफीद उम्मीदवार की खोज तेज कर दी है। इसके लिए सर्वे भी चुका है और रिपोर्ट के आधार पर तय होगा कि बुधनी से बीजेपी का उम्मीदवार कौन हो सकता है। भाजपा संगठन ने राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा को बुधनी विधानसभा सीट का प्रभारी बनाया है। प्रत्याशी चयन में उनके सुझाव महत्वपूर्ण होंगे।
विजयपुर सीट सीएम मोहन यादव के लिए चुनौती
अब बात सीएम मोहन यादव की। मोहन यादव के सीएम बनने के बाद होने वाले इन उपचुनावों के रिजल्ट के लिए पूरी तरह से सीएम मोहन यादव ही जिम्मेदार होंगे। उनके सीएम बनने के बाद ही प्रदेश में लोकसभा चुनाव भी हुए, लेकिन इसका क्रेडिट पूरी तरह से केंद्रीय नेतृत्व को ही गया। अब सीएम को ये सीटें अपने कंधे पर रख कर जीत तक लेकर जानी है। उनके साथ भी वही शर्त जुड़ी है जो शिवराज सिंह चौहान और वीडी शर्मा के साथ जुड़ी है। पहली शर्त की जीत का अंतर बहुत कम नहीं होना चाहिए। और संगठन के साथ तालमेल से काम होना चाहिए। विजयपुर की सीट भी सीएम मोहन यादव के लिए एक चुनौती है। क्योंकि यहां कांग्रेस के कुछ नेता पहले से चुनावी फील्डिंग शुरू कर चुके हैं। बीजेपी के नाराज सीताराम आदिवासी को तो मना लिया गया है, लेकिन दलबदलुओं से कार्यकर्ताओं की नाराजगी को भी दूर करना है। यानी दल बदल कर आए राम निवास रावत को जी दिलाने की जिम्मेदारी सीएम मोहन यादव को भी उठानी है।
जीतू पटवारी के लिए बुधनी में भी चैलेंज बड़ा है
अब बात करते हैं जीतू पटवारी की। जीतू पटवारी अब तक हर चुनौती से बचते चले गए। वो प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नए नए कप्तान बने हैं। इसलिए ये कहना बिलकुल गलत नहीं है कि लोकसभा चुनाव की तैयारी करने के लिए उन्हें बिलकुल वक्त नहीं मिला, लेकिन अब उपचुनाव की परीक्षा से वो कोई भी बहाना बनाकर बच नहीं सकते हैं। इन उपचुनाव में उन्हें पहली निराशा सीताराम आदिवासी से मिली। बीजेपी नेता सीताराम आदिवासी राम निवास रावत के आने से खासे नाराज थे। कहा जा रहा था कि कांग्रेस उन्हें विजयपुर से सीट देने के फुल मूड में थी, लेकिन ऐन वक्त पर बीजपी ने आदिवासी को अपने पाले में कर ही लिया। उन्हें सहरिया जाति विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाकर। अब कांग्रेस ने नए सिरे से विजयपुर में खोजबीन जारी कर दी है। बुधनी में भी जीतू पटवारी के लिए चैलेंज बहुत बड़ा है। ये सीट तो खैर कांग्रेस के लिए नामुमकिन कही जा सकती है, लेकिन विजयपुर में ताकत झौंक दी जाए तो पटवारी कुछ कमाल तो दिखा ही सकते हैं। बुधनी में भी जीत का अंतर कम हुआ तो इसका क्रेडिट जीतू पटवारी को ही जाएगा। अब देखना ये है कि उपचुनाव की अग्निपरीक्षा में कौन पास होता है और कौन फेल।
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