News Strike : 21 साल पहले मध्यप्रदेश की राजनीति में एक बड़ा भूचाल आया। वो साल सिर्फ एक बदलाव का नहीं था। बल्कि एक इतिहास था। जिसकी इबारत लिखी गई साल 2003 में और आज तक वही इबारत मध्यप्रदेश का भविष्य बन रही है। उस समय वो सियासी भूचाल लाने वाली नेता कहां है। वही नेता जो करीब डेढ़ से दो साल पहले तक तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नाक में दम कर रही थी। वो नेता अब कहां है और खामोश क्यों हैं। उस नेता के बारे में बात करेंगे। सिर्फ वही नहीं अब न्यूज स्ट्राइक में बात होगी प्रदेश के हर उन नेता की जो राजनीति में अपनी खास पहचान और फ्लेवर के लिए जाने जाते रहे हैं। कभी न्यूज मेकर रहे ये नेता खामोशी के साथ कहां हैं, क्या कर रहे हैं। यही जानेंगे न्यूज स्ट्राइक के आने वाले एपिसोड्स में। आज शुरुआत करते हैं उस नेता से। जिसका जिक्र मैंने कुछ ही देर पहले किया था।
करीब दो साल पहले शराबबंदी को लेकर मचाया था हल्ला
उमा भारती ( Uma Bharti ), ये नाम जब भी सुनाई देता है तब लगता है कि फिर कोई सियासी बवंडर आने वाला है। करीब दो साल पहले या उससे थोड़ा सा कुछ पहले तक उमा भारती ने शराबबंदी को लेकर हल्ला मचा रखा था। कभी किसी दुकान पर पत्थर फेंके तो कभी शराबबंदी को लेकर ट्वीट्स की झड़ी लगा दी। इसके बाद मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए। अयोध्या में राम मंदिर में पहली बार पूजन हुआ। फिर लोकसभा चुनाव हुए, लेकिन उमा भारती की उपस्थिति वैसे दर्ज नहीं हो सकी। जैसी होती रही है। उनकी आवाज की वो खनक और उनकी मौजूदगी की वो धमक अब उस तरह सुनाई नहीं देती। जैसे कुछ समय पहले तक थी।
कर्नाटक के हुबली कांड की वजह से उमा ने कुर्सी छोड़ी थी
मध्यप्रदेश का निजाम बदलने के बाद से उमा भारती न सिर्फ खामोश हैं। बल्कि, कहीं गुम सी भी हैं। अब वो गाहेबगाहे कोई ट्वीट करती भी हैं तो वो अपने किसी वरिष्ठ को याद करने का होता है। गंगा से जुड़ा होता है या फिर मप्र सरकार की तारीफ का होता है। अभी कुछ ही दिन पहले उमा भारती सुर्खियों में थीं। उस की वजह थी एक फेक वीडियो। इस वीडियो में आईपीएस अधिकारी डी रूपा को ये दावा करते हुए दिखाया गया कि उन्होंने उमा भारती को गिरफ्तार कर लिया है। आपको बता दें डी रूपा कर्नाटक की गृह सचिव बन चुकी हैं। कर्नाटक के ही हुबली कांड की वजह से उमा भारती ने कुर्सी छोड़ी थी। फेक वीडियो बनाने वाला आरोपी गिरफ्तार हो चुका है। जिसके बाद पूर्व सीएम ने मोहन सरकार को इस शीघ्र कार्रवाई के लिए धन्यवाद देते हुए ट्वीट भी किया है।
उमा भारती करीब छह साल तक बीजेपी से बाहर रहीं
बहरहाल हम वापस आते हैं कर्नाटक और हुबली कांड पर। हुबली कांड की वजह से नैतिकता के आधार पर उमा भारती ने सीएम पद से इस्तीफा दिया था और अपनी कुर्सी बाबूलाल गौर को सौंप कर गई थीं। हालांकि, बाबूलाल गौर आम आदमी पार्टी की आतिशी की तरह दूसरी कुर्सी रख कर नहीं बैठे। ये बात अलग है कि उनके मन में कोई खोट नहीं था। आलाकमान का इशारा मिलता तो वो उमा भारती की वापसी पर कुर्सी छोड़ देते, लेकिन ये इशारा उमा भारती के लिए नहीं, शिवराज सिंह चौहान के लिए मिला। शिवराज सिंह चौहान सीएम बनकर प्रदेश में आए। उसके बाद से उमा भारती सत्ता में वापसी के लिए बेचैन ही नजर आईं। अपने ही मेंटोर रहे लालकृष्ण आडवाणी से उनका विवाद हुआ। फिर बीजेपी से बाहर हुईं और भारतीय जनशक्ति के नाम से उन्होंने अपनी पार्टी बनाई।
शायद उमा भारती ये मान बैठी थीं कि वो दिग्विजय सिंह की सरकार को उखाड़ कर प्रदेश में बीजेपी की सरकार को मजबूती दे सकती हैं तो उन्हीं तेवरों के साथ बीजेपी को भी चुनौती दे सकती हैं। पर यहीं वो गलत साबित हुईं। अपनी जिस फायरब्रांड इमेज के साथ उमा भारती ने दिग्गी सरकार को सत्ता से बाहर किया वो फायद अपनी ही पार्टी के खिलाफ काम नहीं आई। उमा भारती करीब छह साल तक बीजेपी से बाहर रहीं। साल 2011 में उनकी फिर बीजेपी में वापसी हुई। उन्हें उत्तरप्रदेश में बीजेपी को सरकार में लाने का जिम्मा सौंपा गया। इस मिशन में भी उमा भारती खरी उतरीं। जिसके बाद उन्हें नरेंद्र मोदी की सरकार में जल संसाधन और गंगा पुनरुद्धार मंत्री भी बनी।
उमा भारती ने शिवराज सरकार पर भी सवाल उठाए
मध्यप्रदेश से उमा भारती का मोह खत्म नहीं हुआ। गंगा की जिम्मेदारी संभाल रही उमा भारती मध्यप्रदेश में शराबबंदी को लेकर सक्रिय हो गईं। उन्होंने अक्टूबर 2022 में ये ऐलान कर दिया कि जब तक शराब नीति को खुद नहीं देख लेतीं, उसे लागू नहीं होने देंगी। तब तक कुटिया में ही रहने के ऐलान के साथ अमरकंटक में डेरा डाल लिया। इसके कुछ ही दिन बाद उनके कार्यालय से मैसेज आया कि उमा भारती एक मंदिर से फेसबुक लाइव करने वाली हैं, लेकिन क्यों, इसका कोई जवाब नहीं मिला। उमा भारती का मंदिर के सामने से लाइव शुरू हुआ जो देखते ही देखते मंदिर के पास स्थित एक शराब दुकान के बाहर हंगामे में तब्दील हो गया। इस मौके पर उमा भारती ने शिवराज सरकार पर भी सवाल उठाए और लिखा कि शराब बंदी करने की कि इच्छाशक्ति सरकार में होना चाहिए। इसी साल सात नवंबर से उन्होंने प्रदेशव्यापी आंदोलन का भी ऐलान कर दिया था। इससे पहले उमा भारती पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को भी इस मामले में पत्र लिख चुकी थीं।
उमा के बयान बीजेपी की सत्ता पर ही सवाल उठा रहे थे
2022 गुजरते-गुजरते उनके ऐसे वीडियो भी वायरल हुए जिसमें वो लोधी समाज से ये कहते हुए नजर आईं कि किस पार्टी को वोट देना है समाज खुद तय करे वो ये नहीं कहेंगी कि वोट सिर्फ बीजेपी को ही दें। उमा भारती के ये तेवर उन दिनों शिवराज सरकार के लिए मुसीबत का सबब बन रहे थे। उमा भारती कभी ट्विटर पर तो कभी पब्लिकली ऐसी बयानबाजियां कर रही थीं जो बीजेपी की सत्ता पर ही सवाल उठा रहे थे। चुनाव साल यानी कि साल 2023 में उन्हें मैनेज करने की पूरी कोशिश की गई। आलाकमान की फटकार, आरएसएस की डांट के बाद उमा भारती के तेवर भी बदले। फरवरी 2023 में उमा भारती शिवराज सिंह चौहान पर फूल बरसाती नजर आईं। अब तक प्रदेश की आबकारी नीति की खिलाफत कर रही उमा भारती उसी आबकारी नीति को देश का रोल मॉडल बताती भी दिखीं। उमा भारती के निवास पर पहुंचे शिवराज सिंह चौहान ने भी उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया।
आबकारी का मामला छोड़ सरकारी अस्पतालों को पकड़ा
शिवराज सिंह से मुलाकात के बाद उमा भारती कुछ महीने तो खामोश रहीं, लेकिन फिर शिवराज सिंह चौहान की सरकार को घेरने का बहाना ढूंढ लिया। उमा भारती ने आबकारी का मामला छोड़कर सरकारी अस्पतालों का हाल पकड़ लिया। उमा ने ट्वीट किया कि 1980 में जैसा सुकून मुझे मेरी मां से मिला था, शिवराज ने वैसा ही सुकून नई आबकारी नीति बनाकर दिया। अब निजी और सरकारी अस्पताल के भयावह अंतर ने मुझे बैचेन कर दिया है। जो हाल सरकारी और निजी अस्पताल के अंतर का है, वहीं सरकारी और निजी स्कूल का है। गरीब निजी अस्पतालों-स्कूलों में फीस भरने में असमर्थ है। उमा भारती ने ये भी लिखा कि चुनाव में चार महीने बाकी हैं लेकिन इतने समय में कुछ तो व्यवस्थाएं ठीक की ही जा सकती हैं। चार महीने बाद चुनाव हुए। बीजेपी की वापसी भी हुई, लेकिन शिवराज सिंह चौहान से मुखिया का ताज छिन गया। उसके बाद से उमा भारती भी खामोश हैं। जनवरी 2024 में उन्होंने जरूर ये कहा कि पद छिन जाने के बाद शिवराज सिंह चौहान पर क्या गुजर रही है ये बताने के लिए वो उनकी मुखिया नहीं है।
मोहन सरकार बनने के बाद उमा भारती मुद्दे को भूलीं
इसके बाद उमा भारती ने कुछ ट्वीट किए अयोध्या से। जहां वो राम मंदिर के उद्घाटन अवसर पर शामिल हुईं। इस साल हुए लोकसभा चुनाव में जब उन्हें टिकट नहीं मिला तब भी उमा भारती का जवाब आया कि उन्होंने खुद चुनाव न लड़ने की इच्छा जताई है। वो दो साल तक चुनाव लड़े बगैर सिर्फ गंगा मैया की सेवा करना चाहती हैं। इसके कुछ दिन बाद उमा भारती ने गंगा के किनारे से कुछ पिक्स पोस्ट की और सवाल भी किया कि क्या गंगा की स्वच्छता को बरकरार रखा जा सकता है। इस बीच ये खबर भी आई कि उमा भारती के गृह जिले टीकमगढ़ के एक गांव डूडा में शराब बेचने और खरीदने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस नियम को तोड़ने पर जुर्माना भी लगेगा। एक तरह से देखा जाए तो ये उमा भारती की मुहिम ही है जो सफल होती दिख रही है, लेकिन मोहन सरकार बनने के बाद उमा भारती जैसे इस मुद्दे को भूल ही बैठी हैं। इसलिए ये सवाल उठना लाजमी है कि उमा भारती अब कहां हैं।
बृज क्षेत्र की यात्रा के बाद उमा भारती का क्या होगा मिशन?
राम जन्मभूमि आंदोलन में एक्टिव रहीं उमा भारती इन दिनों ब्रज की भूमि पर दिन बिता रही हैं। वो एमपी से भले ही दूर हों, लेकिन राम और कृष्ण की पावन धरती से बिलकुल दूर नहीं हैं। उमा भारती इन दिनों 42 दिन की बृज क्षेत्र की यात्रा पर हैं। भाई दूज से शुरू हुई उनकी ये यात्रा 14 दिसंबर 2024 तक चलने वाली है। इस दौरान वो मौन व्रत पर रहेंगी। ये यात्रा पूरी होने के बाद उमा भारती का मिशन क्या होगा। क्या वो मध्यप्रदेश का रुख करेंगी और फिर किसी मुद्दे पर अपनी ही सरकार को घेरेंगी। या एमपी से शिवराज की विदाई के बाद अब उमा भारती भी शांत हैं और दूसरे मुद्दों पर गौर कर रही हैं। ये भी हो सकता है कि राम मंदिर की तरह वो मथुरा में कृष्ण मंदिर के लिए किसी आंदोलन से जुड़ जाएं या नया आंदोलन शुरू कर दें। कहीं उनकी ये बृज यात्रा इसी बात का संकेत तो नहीं है।
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