News Strike : Umang singhar, Hemant Katare का बड़ा इम्तिहान अब, क्या कामयाब होगी ये जोड़ी !

मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी तो जैसे तैसे हालातों का सामना कर ही रहे हैं। अब बारी है उमंग सिंघार और हेमंत कटारे की। अगले चंद दिन ये तय कर देंगे कि वो दमदार नेता बनकर उभरते हैं या फिर वो भी सीनियर्स की शिकायतों का शिकार होते हैं...

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Jitendra Shrivastava
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News Strike : अब तक कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ही इम्तिहान की कसौटी पर कसे जा रहे थे, लेकिन अब दो और नेताओं का टेस्ट सिर पर है। इन दो नेताओं को ये साबित करना है कि आलाकमान ने उन्हें चुनकर कोई गलती नहीं की है। सदन में अपनी पार्टी की सरपरस्ती का मौका भले ही उन्हें पहली बार मिल रहा हो, लेकिन वो इस काबिल हैं कि दमदार नजर आ सकें। ये दो नेता हैं उमंग सिंघार और हेमंत कटारे। जो कुछ ही दिन बाद शुरू होने वाले सदन में नेता प्रतिपक्ष और उप नेता प्रतिपक्ष के तौर पर नजर आने वाले हैं। 

अब उमंग सिंघार और हेमंत कटारे की बारी 

जीतू पटवारी जब से प्रदेश कांग्रेस की कमान थाम रहे हैं। तब से ही वो अपनी ही पार्टी के आला नेताओं के निशाने पर हैं। उसकी तीन वजह है कि एक तो उनका इस पद के लिए कम तजुर्बेकार होना। दूसरा उनका खुद अपनी ही सीट से हार जाना और तीसरा मालवा में कांग्रेस का लगातार कमजोर होना और अब तक कांग्रेस लोकसभा में बुरी तरह हार चुकी है। हालांकि, पटवारी के पास प्लस प्वाइंट ये है कि उन्हें अब तक भरपूर तरीके से जिम्मेदारी निभाने का मौका ही नहीं मिला है। पटवारी तो जैसे तैसे इन हालातों का सामना कर ही रहे हैं। अब बारी है उमंग सिंघार और हेमंत कटारे। अगले चंद दिन ये तय कर देंगे कि वो कांग्रेस के दमदार नेता बन कर उभर पाते हैं या फिर वो भी अपने सीनियर्स की शिकायतों का शिकार होते हैं। आपको बता दूं कि 1 जुलाई से मप्र विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होने वाला है। उमंग सिंगार और हेमंत कटारे की भूमिका पर भी हम आएंगे। उससे पहले कुछ बातें आपको सत्र के बारे में बता दूं। क्योंकि ये सत्र कई मायनों में खास होने वाला है। 

मोहन यादव सरकार पहला बजट पेश करेगी 

बहुत साल बाद इस सत्र में सदन का मुखिया यानी कि सदन के नेता का चेहरा बदला हुआ होगा। अब तक एक आम विधायक की तरह सदन में आने वाले मोहन यादव। पहली बार बतौर सीएम सदन में प्रवेश करेंगे और करीब 18 साल तक सदन में बतौर मुखिया बैठने वाले शिवराज सिंह चौहान अब इस सदन का हिस्सा बने नहीं दिखाई देंगे। 19 जुलाई तक चलने वाले इस सत्र में मोहन यादव सरकार अपना पहला बजट भी पेश करनी जा रही है। एक और खास बात ये है कि पिछले पांच साल में यह पहला अवसर है, जब विधायकों ने ऑफलाइन से अधिक ऑनलाइन सवाल पूछे हैं। इस बार विधायकों ने 4 हजार 287 सवाल लगाए हैं। इनमें ऑनलाइन सवालों की संख्या 2 हजार 386 तो ऑफलाइन की 1901 है। विधानसभा के मानसून सत्र में इस बार कुल 14 बैठके होंगी। जिसमें मोहन सरकार मानसून सत्र में सरकार 8 से 10 विधेयक ला सकती है। इसके लिए मोहन सरकार के कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट भी इसी सत्र में आने वाला है। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा बजट पेश करेंगे। जिसके लिए भी सरकार ने जनता से भी बजट बनाने को लेकर सवाल पूछे हैं।

सिंघार और कटारे दोनों को सीनियर नहीं मिलेगा साथ 

अब तक सदन में कांग्रेस की संख्या बल भले ही कम रही हो, लेकिन धुरंधर नेताओं की कमी नहीं थी। गोविंद सिंह जैसे तेजतर्रार और तजुर्बेकार नेता सदन में मौजूद थे। इसके अलावा राम निवास रावत जैसे सीनियर नेता का भी साथ था, लेकिन अब उमंग सिंघार और हेमंत कटारे दोनों को ऐसे सीनियर नेताओं का साथ नहीं मिलेगा। जो सदन के काम करने के तरीके से तो वाकिफ हैं ही। एक-एक नियम को भी अच्छे से जानते हैं और समय-समय पर सही गाइडेंस दोनों को दे सकते थे, लेकिन हालात ये हैं कि गोविंद सिंह चुनाव हार चुके हैं और राम निवास रावत पाला बदल चुके हैं। अब सीनियर मोस्ट नेताओं के नाम पर अजय सिंह और सज्जन सिंह वर्मा का साथ है, लेकिन अजय सिंह पहले से ही उखड़े हुए चल रहे हैं और सज्जन सिंह वर्मा का टेंपरामेंट कुछ अलग तरह का है। 

सदन में बहस के लिए बर्निंग इश्यूज है नर्सिंग घोटाला

उमंग सिंघार और हेमंत कटारे को हर सवाल सोच समझकर उठाना है और हर मुद्दे पर सोच समझकर बात करनी है। अगर दोनों ठीक रणनीति से आगे बढ़े तो इस बार सरकार को घेरने में कामयाब हो सकते हैं। क्योंकि इस बार बहस के लिए कुछ बर्निंग इश्यूज सामने हैं जिसमें सबसे आगे है नर्सिंग घोटाला। नर्सिंग घोटाले में कांग्रेस चाहें तो विद्यार्थियों के भविष्य को लेकर सवाल खड़े कर सकती है। केंद्रीय स्तर पर नीट का मामला पहले से ही गर्माया हुआ है। जिसके तार भी मध्यप्रदेश से जुड़ चुके हैं। खुद कांग्रेस के नेता राहुल गांधी मध्यप्रदेश को इस तरह की धांधलियों का एपिसेंटर बना चुके हैं। ऐसे में इस नई नवेली जोड़ी के पास सरकार से सवाल पूछने का अच्छा मौका है। इस मामले पर कांग्रेस काम रोको प्रस्ताव भी लाने जा रही है। इसमें दोनों किस तैयारी से उतरते हैं। वो उनकी कामयाबी साबित करेगा। 

व्यापमं घोटाले के स्तर पर नर्सिंग कॉलेज घोटाला

विधानसभा सचिवालय के सूत्रों की मानें तो इस बार नर्सिंग घोटाले में सीबीआई अफसरों की गिरफ्तारी समेत प्रवेश परीक्षाओं में कथित तौर पर गड़बड़ी और कानून व्यवस्था से जुड़े मसलों पर विधायकों ने ज्यादा सवाल लगाए है। इसके अलावा किसानों की समस्याओं से जुड़े सवाल भी हैं। पेयजल की दिक्कत, नल जल योजनाओं को लेकर भी कई विधायकों ने सवाल लगाए हैं। नेता प्रतिपक्ष ने नर्सिंग घोटाले को लेकर एक पोस्टर भी जारी किया ही है। इसमें लिखा है कि मध्यप्रदेश में व्यापमं घोटाले के स्तर पर नर्सिंग कॉलेज में घोटाला हुआ है। नेता प्रतिपक्ष यानी उमंग सिंघार ने जनता से भी अपील की है कि मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में इस घोटाले को उजागर करने में मदद करें। उन्होंने आगे लिखा कि आपके पास नर्सिंग घोटाले से संबंधित जो भी जानकारी, दस्तावेज, फोटो, वीडियो, कॉल रिकॉर्डिंग और अन्य जानकारी हो तो व्हाट्सएप या ईमेल आईडी पर भेजें। उन्होंने आगे लिखा कि जानकारी देने वालों की पहचान पूरी तरह गोपनीय रखी जाएगी। उनकी इस पहल से ये संकेत तो मिल ही रहा है कि उनका रवैया आक्रमक होने जा रहा है।

इस जोड़ी को सदन में दमदार दिखना ही है

हालांकि, कुछ पुराने केस दोनों की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। उमंग सिंघार पर एक महिला दुष्कर्म के आरोप लगा चुकी है। हालांकि, इस मामले में हाईकोर्ट से उन्हें राहत मिल चुकी है और महिला की एफआईआर इस बिनाह पर निरस्त हो चुकी है कि दोनों के बीच पति पत्नी के रिश्ते रहे हैं। हेमंत कटारे पर पत्रकारिता की एक छात्रा ने शोषण के आरोप लगाए थे। हालांकि, ये पूरा मामला बेहद नाटकीय था। खुद उस छात्रा ने बाद में इसे पॉलिटिकल प्रपोगेंडा बताया था और हेमंत कटारे के खिलाफ साजिश करार दिया था। कुछ समय पहले छात्रा कुछ अन्य कारणों के चलते सुसाइड कर चुकी है। कुल मिलाकर इन दोनों मामलों में कोई दम नहीं बचा है। लेकिन विपक्ष की आवाज दबाने के लिए कभी भी कोई भी हथियार निकाला जा सकता है। आखिर राजनीति भी तो नाम साम दाम दंड भेद का ही है। ऐसे में इन सब मामलों से एहतियात बरतते हुए इस जोड़ी को सदन में दमदार दिखना है। उनकी ये परीक्षा कुल 19 दिन जारी रहेगी। जिसमें ये तय होगा कि ये दोनों भी अपनों के ही निशाने पर आते हैं या विरोधी दल की नाक में दम कर पाते हैं।

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