राजीव गांधी हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला- दोषी पेरारिवलन की हो रिहाई

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Shivasheesh Tiwari
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राजीव गांधी हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला- दोषी पेरारिवलन की हो रिहाई

Delhi. सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई को एक अहम फैसला लेते हुए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Former Prime Minister Rajiv Gandhi) की हत्या (assassinated) मामले में सजा काट रहे दोषी एजी पेरारीवलन (AG Perarivalan) को रिहा करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई के लिए अनुच्छेद 142 के तहत विशेषाधिकार के तहत फैसला दिया है। इस मामले में दया याचिका राज्यपाल (Governor) और राष्ट्रपति (President) के बीच लंबित रहने पर शीर्ष अदालत ने बड़ा कदम उठाया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पेरारीवल की रिहाई की याचिका मंजूर कर ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य कैबिनेट का फैसला राज्यपाल पर बाध्यकारी है। सभी दोषियों की रिहाई का रास्ता खुला हुआ है। बता दें कि पेरारीवलन फिलहाल जमानत पर रिहा है। उसने रिहाई के लिए याचिका डालकर कहा था कि वो 31 साल से जेल में बंद है, उसे रिहा किया जाना चाहिए। 2008 में तमिलनाडु कैबिनेट ने उसे रिहा करने का फैसला किया था, लेकिन राज्यपाल ने मामले को राष्ट्रपति के पास भेज दिया था, तभी से उसकी रिहाई का मामला लंबित था।



1991 में हुई थी राजीव गांधी की हत्या 



21 मई 1991 को एक चुनावी रैली के दौरान तमिलनाडु (Tamil Nadu) में एक आत्मघाती हमले में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में पेरारिवलन समेत 7 लोगों को दोषी पाया गया था। टाडा अदालत और सुप्रीम कोर्ट ने पेरारिवलन को मौत की सजा सुनाई थी। बाद में दया याचिका की सुनवाई में देरी की वजह से पेरारिवलन की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया था। इसके बाद तमिलनाडु सरकार ने उसकी उम्रकैद को भी खत्म कर रिहा करने के लिए एक रेजोल्यूशन पास किया था। इधर, CM एमके स्टालिन ने कहा कि 32 साल से जेल में बंद पेरारिवलन को सुप्रीम कोर्ट ने रिहा कर दिया है। यह राज्य की भी बड़ी जीत है। इस फैसले ने न केवल मानवाधिकारों को, बल्कि राज्य के अधिकारों को भी बरकरार रखा है। आगे उन्होंने कहा कि राज्यपाल को राज्य के मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। राज्यपाल को राज्य के निर्णयों के लिए केंद्र से पूछने की आवश्यकता नहीं है।



​नलिनी : सोनिया ने की थी फांसी नहीं देने की अपील



मुरुगन की पत्नी नलिनी (Nalini) को 14 जून, 1991 को गिरफ्तार किया गया था। वह टीम के साथ राजीव गांधी की श्रीपेरम्बदूर रैली में शामिल हुईं। विस्फोट के बाद नलिनी और सूबा शिवरासन के साथ मौके से फरार हो गए थे। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मौत की सजा सुनाई गई। अप्रैल 2000 में कैबिनेट की सिफारिश और सोनिया गांधी की अपील पर आजीवन कारावास में बदल दिया गया था।



​नलिनी : सोनिया ने की थी फांसी नहीं देने की अपील



क्या है अनुच्छेद 142? 



संविधान में सुप्रीम कोर्ट को अनुच्छेद 142 के तौर पर एक विशेष शक्ति प्रदान की गई है। इसके तहत न्याय के लिए कोर्ट जरूरी निर्देश दे सकता है। अनुच्छेद 142 के मुताबिक जब तक किसी अन्य कानून को लागू नहीं किया जाता तब तक सुप्रीम कोर्ट का आदेश सर्वोपरि होगा। इसके तरह कोर्ट ऐसे फैसले दे सकता है जो लंबित पड़े किसी भी मामले को पूर्ण करने के लिए जरूरी हों। कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश तब तक लागू रहेंगे जब तक कि इससे संबंधित प्रावधान को लागू नहीं कर दिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्त चंद्रप्रकाश पांडेय कहते हैं, 'अनुच्छेद 142 के तहत कहा गया है कि किसी मामले में भले ही कोई कानून न बना हो, लेकिन पूर्ण न्याय की परिभाषा के तहत शीर्ष अदालत कोई आदेश पारित कर सकता है।' 



जेल में ही एमसीए किया 



जेल में आने के बाद उसने 12वीं क्लास का एग्जाम दिया, जिसमें वो 91.33 फीसदी नंबर लेकर पास हुआ। अब तक जेल में जिन लोगों ने ये एग्जाम दिया है, उसमें वो टापर है। इसके बाद उसने तमिलनाडु ओपन यूनिवर्सिटी के एक डिप्लोमा कोर्स में गोल्ड मेडल हासिल किया। इसके बाद भी उसकी पढ़ाई रुकी नहीं बल्कि उसने इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी से पहले बैचलर इन कम्प्युटर अप्लीकेशन (बीसीए) किया और फिर एमसीए।



​एजी पेरारिवलन : खरीदी थी बम को ट्रिगर करने वाली बैटरी



एजी पेरारिवलन 19 वर्ष का था जब उसे गिरफ्तार किया गया और उस पर साजिश का आरोप लगाया गया। उन्होंने राजीव गांधी को मारने वाले बम को ट्रिगर करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली बैटरी खरीदी। एक तमिल कवि के बेटे, 41 वर्षीय पर लिट्टे साहित्य की बिक्री का भी आरोप लगाया गया था।


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