BHOPAL : CBI की जगह ED के ज्यादा चर्चे, कभी छोटी और सुस्त एजेंसी हुआ करती थी; अब बनी शक्तिशाली

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The Sootr CG
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BHOPAL : CBI की जगह ED के ज्यादा चर्चे, कभी छोटी और सुस्त एजेंसी हुआ करती थी; अब बनी शक्तिशाली

BHOPAL. सोनिया गांधी से ईडी ने मंगलवार को पूछताछ की। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध किया। विरोध करने वालों में राहुल गांधी भी शामिल थे, जो धरने पर बैठ गए। पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। इधर इंदौर में ईडी दफ्तर पर यूथ कांग्रेस ने प्रदर्शन किया और ईडी दफ्तर के बोर्ड पर कालिख पोत दी, पुलिस ने कार्यकर्ताओं को खदेड़ा। दूसरी तरफ भोपाल में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने ED दफ्तर में बीजेपी का प्लैक्स लगा दिया। फ्लैक्स में दो कुत्ते दिखाए गए हैं जिन पर सीबीआई और ईडी लिखा है और उन्हें विपक्ष पर अटैक करने के लिए कहा जा रहा है। साल  2013 में कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले मामले में सीबीआई जांच की प्रगति रिपोर्ट में सरकार के हस्तक्षेप पर कड़ी नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई पिंजरे में बंद ऐसा तोता बन गई है जो अपने मालिक की बोली बोलता है। यह ऐसी अनैतिक कहानी है जिसमें एक तोते के कई मालिक हैं। लेकिन हाल ही में 3 अप्रैल को केंद्रीय जांच एजेंसियों के सम्मेलन में किरन रिजिजू ने कहा कि सीबीआई अब पिंजरे में बंद तोता नहीं है।





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सीबीआई की जगह ईडी के चर्चे ज्यादा





यूपीए सरकार के समय ये टिप्पणी की गई थी लेकिन सीबीआई की जगह अब ईडी के चर्चे ज्यादा हैं। ऐसा कोई दिन नहीं जब ईडी का नाम न सुनाई देता हो और ईडी पर आरोप न लगते हो। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि साल 2005 में धन शोधन निरोधक अधिनियम यानी प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 लागू होने से पहले तक ईडी एक छोटी और सुस्त एजेंसी हुआ करती थी। तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने प्रवर्तन निदेशालय को एक शक्तिशाली एजेंसी बनाया। अब वो ही ईडी कथित आईएनएक्स मीडिया घोटाले की जांच कर रहा है। 





प्रवर्तन निदेशालय ने सीबीआई की जगह कैसे ले ली, इसकी वजह है PMLA के कड़े प्रावधान







  • सीबीआई किसी कथित अपराध की जांच तब शुरू करती है, जब किसी ने अपराध के आरोप लगाए हों, शिकायत दर्ज कराई हो या एफआईआर दर्ज कराई हो। 



  • आयकर विभाग तब केस हाथ में लेता है जब बात कर चोरी की हो। 


  • प्रवर्तन निदेशालय का मुख्य काम है कि वो पैसे को गैरकानूनी गतिविधि में इस्तेमाल होने से रोके, चाहे उस पैसे पर टैक्स दिया गया हो या ना दिया गया हो।


  • प्रवर्तन निदेशालय देखता है कि कहीं आर्थिक अपराध तो नहीं हो रहा।


  • इसका पता लगाने के लिए वो शक्तिशाली PMLA कानून के तहत किसी से भी वित्तीय लेन-देन के बारे में स्पष्टीकरण मांग सकता है। 


  • ये कानून अभियुक्त पर जिम्मेदारी डालता है कि वो खुद को निर्दोष साबित करें।


  • ईडी किसी को बगैर वारंट के भी गिरफ्तार कर सकती है।


  • ईडी को लगता है कि कोई संपत्ति बेनामी है तो उसे अटैच भी कर सकता है।


  • ईडी ने कह दिया कि ये संपत्ति आपकी है, तो मतलब आपकी है। फिर चाहे असलियत में वह किसी और की ही हो।


  • PMLA की वजह से जमानत मिलना भी मुश्किल होता है, भले ही वह बाद में निर्दोष साबित हो जाएं।


  • पीएमएलए मौजूदा समय में देश का इकलौता  कानून है जिसमें जांच अधिकारी के सामने दिया गया बयान कोर्ट में सबूत के तौर पर पेश किया जा सकता है।






  • कांग्रेस ने ईडी को शक्तिशाली बनाया था अब बनी मुसीबत





    ईडी सबसे पहले कार्रवाई करता है। ये और जांच सालों तक चलती है लेकिन अभियुक्त के पैसे फ्रीज कर लिए जाते हैं और खासतौर पर नेताओं के साथ ऐसा हो तो उनकी छवि पर भ्रष्टाचार का दाग लगता है, बाद में भले ही वो छूट जाए और इसलिए आलोचक ईडी को राजनीतिक बदला लेने वाली एजेंसी बताते हैं। आरोप ये भी लगते हैं कि यदि ईडी निष्पक्ष है तो बीजेपी नेताओं की जांच क्यों नहीं करती। बहरहाल जिस कांग्रेस ने ईडी को शक्तिशाली बनाया वो ही अब उसके लिए मुसीबत बन गई है।



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