भोपाल. आज ही के दिन साल 1946 में संजय गांधी का जन्म हुआ था। उनके बर्थडे पर पूर्व सीएम कमलनाथ ने याद करते हुए लिखा कि मेरे बेहद करीबी मित्र, सहपाठी संजय गांधी की जयंती पर कोटि-कोटि नमन। कमलनाथ और संजय की दोस्ती का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक दौर में यह नारा काफी मशहूर था- इंदिरा के दो हाथ, संजय और कमलनाथ। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी कमलनाथ को अपना तीसरा बेटा मानती थीं।
मेरा नेता संजय- कमलनाथ
23 जून 1980 को संजय गांधी की डेथ (Sanjay Gandhi Death) हुई थी। उनकी मौत को 41 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है। इसके बाद भी कमलनाथ के ड्राइंग रूम में संजय की फोटो हमेशा लगी होती थी। इसके बारे में पूछे जाने पर कमलनाथ (Kamalnath and sanjay gandhi Friendship) ने एक बार कहा था कि इंदिराजी मेरी प्रधानमंत्री हैं लेकिन संजय मेरे नेता थे और हमेशा रहेंगे।
मेरे बेहद करीबी मित्र, सहपाठी, देश की पूर्व प्रधानमंत्री स्व.श्रीमती इंदिरा गांधी जी के पुत्र स्व. संजय गांधी की जयंती पर कोटि-कोटि नमन। pic.twitter.com/yhUgdIisPx
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) December 14, 2021
जज पर कागज का गोला फेंके जाने का किस्सा
इमरजेंसी (National Emergency) के बाद 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनी। इसके बाद संजय (Sanjay Gandhi Arrest) को गिरफ्तार कर लिया गया। उनको दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखा गया था। इंदिरा को जेल में उनकी सुरक्षा की चिंता सताने लगी। कमलनाथ (Kamalnath and sanjay gandhi jail story) को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने जेल जाने के लिए एक तरकीब निकाली।
कोर्ट में जब मामले की सुनवाई चल रही थी। उसी दौरान कमलनाथ ने कागज का गोला बनाकर जज के ऊपर फेंक दिया। कोर्ट की अवमानना के आरोप में कमलनाथ को जेल हुई। उन्हें दिल्ली की तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में रखा गया। कमलनाथ और इंदिरा भी यही चाहते थे क्योंकि संजय भी तिहाड़ जेल में बंद थे। इस घटनाक्रम के बाद कमलनाथ इंदिरी की भी गुड लिस्ट में शामिल हो गए।
1980 में कमलनाथ को लोकसभा का टिकट
1980 में फूट के चलते जनता पार्टी की सरकार गिरी। देश में दोबारा लोकसभा चुनाव हुए। इस चुनाव में कमलनाथ को छिंदवाड़ा संसदीय सीट पर कांग्रेस (Congress) के टिकट पर चुनाव लड़े। कमलनाथ का प्रचार करने के लिए इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) छिंदवाड़ा आई। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि मैं नहीं चाहती कि आप लोग कांग्रेस नेता कमलनाथ को वोट दीजिए। मैं चाहती हूं कि आप मेरे तीसरे बेटे कमलनाथ को वोट दें।' यहीं से यह नारा शुरू हुआ था, 'इंदिरा के दो हाथ- संजय गांधी और कमलनाथ।'
प्लेन क्रैश में निधन
संजय का राजनीतिक करियर (Sanjay Gandhi Political Career) काफी छोटा रहा। लेकिन बताया जाता है कि प्रधानमंत्री तो इंदिरा गांधी थीं लेकिन देश संजय चलाते थे। उन्होंने परिवार नियोजन, शिक्षा, वृक्षारोपण और जातिवाद के साथ दहेज प्रथा को खत्म करने के लिए कई सारे कड़े कानून लागू किए। उनका हर विभाग और मंत्रालय में सीधा दखल था। उनके दखल के कारण ही इंद्रकुमार गुजराल ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय से इस्तीफा भी दिया था। गौरतलब है कि संजय का 23 जून 1980 में एक प्लेन क्रैश (Plane Crash) में निधन हो गया था।
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