भोपाल. मध्यप्रदेश की सियासत आदिवासी (Tribal Politics) वर्ग के इर्द गिर्द घूमती नजर आ रही है। 24 नवंबर को पीसीसी चीफ कमलनाथ (Kamalnath) ने आदिवासी विधायकों (Tribal MLA) की बैठक बुलाई है। इसमें 89 ट्राइबल ब्लॉक के पदाधिकारी भी शामिल होंगे। वहीं, 22 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस का समापन मंडला (Mandla) में होगा। इस कार्यक्रम में सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj) विभिन्न योजनाओं से आदिवासी हितग्राहियों को लाभान्वित करेंगे।
टट्या भील के जन्मदिन पर BJP करेगी कार्यक्रम
4 दिसंबर को आदिवासी क्रांतिकारी टट्या भील (Tantia Bhil) का जन्मदिन है। शिवराज ने ऐलान किया है कि इस मौके पर उनकी कर्मस्थली पातालपानी में बड़ा आयोजन किया जाएगा। यहां हर साल कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। सीएम ने ट्वीट कर लिखा कि 'हम सभी के श्रृद्धा के केंद्र, जनजातीय गौरव, देश की स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक, क्रांतिकारी बलिदानी टंट्या मामा भील जी को नमन करने उनके बलिदान दिवस 4 दिसंबर को मैं पातालपानी आ रहा हूं।'
हम सभी के श्रद्धा के केंद्र, जनजातीय गौरव, देश की स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक, क्रांतिकारी बलिदानी टंट्या मामा भील जी को नमन करने उनके बलिदान दिवस 4 दिसंबर को मैं पातालपानी आ रहा हूं।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) November 17, 2021
पंचायत चुनाव को लेकर कवायद तेज
प्रदेश में जल्द ही पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी हो सकती है। इसको लेकर बीजेपी और कांग्रेस ने अभी से आदवासियों को साधने की कवायद तेज कर दी है। क्योंकि पंचायत चुनाव के बाद ही स्थिति साफ होगी कि आदिवासी वोटर किसके साथ है।
आदिवासी बाहुल्य सीटों पर समीकरण बदले
1. 2003 विधानसभा चुनाव (2003 MP election) में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 41 सीटों में से बीजेपी ने 37 सीटों पर कब्जा जमाया था। चुनाव में कांग्रेस (congress) केवल 2 सीटों पर सिमट गई थी। वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने 2 सीटें जीती थी। जबकि 1998 में कांग्रेस का आदिवासी सीटों पर अच्छा खासा प्रभाव था।
2. 2008 के चुनाव में आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या 41 से बढ़कर 47 हो गई। इस चुनाव में बीजेपी ने 29 सीटें जीती थी। जबकि कांग्रेस ने 17 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
3. 2013 के इलेक्शन में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 47 सीटों में से बीजेपी ने जीती 31 सीटें जीती थी। जबकि कांग्रेस के खाते में 15 सीटें आई थी।
4. 2018 के इलेक्शन में पांसा पलट गया। आदिवासियों के लिए आरक्षित 47 सीटों में से बीजेपी केवल 16 सीटें जीत सकी और कांग्रेस ने दोगुनी यानी 30 सीटें जीत ली। जबकि एक निर्दलीय के खाते में गई।