भोपाल/सीधी. मध्य प्रदेश के सीधी में पत्रकार और 8 रंगकर्मियों को थाने में अर्धनग्न करने के मामले की देशभर में चर्चा है। मध्य प्रदेश कांग्रेस ही नहीं, राहुल गांधी ने भी घटना पर ट्वीट किया है। द सूत्र के अतुल तिवारी ने इस मामले में पत्रकार कनिष्क तिवारी और विधायक केदारनाथ शुक्ल के बेटे गुरुदत्त शरण से पक्ष जाना। पढ़िए, दोनों पक्षों ने क्या कहा...
ये बोले कनिष्क तिवारी
पूरा घटनाक्रम 2 अप्रैल का है। हम कुछ लोग प्रोटेस्ट कर रहे थे। नीरज कुंदेर मेरे पड़ोसी हैं। उनके पिता (अपने बेटे के मसले को लेकर) मेरे पास आए थे। एक पड़ोसी, एक पत्रकार होने के नाते मेरा दायित्व था कि मैं उनकी बात समझूं। वहां पर जब लोग थाने पर प्रोटेस्ट कर रहे थे तो मैं भी पहुंचा। मैंने पुलिसवालों से पूछना शुरू किया। टीआई को मेरा सवाल करना नागवार गुजरा। असल में थाने पर नीरज की फैमिली भी थी। उनकी तरफ से सवाल किया गया था कि नीरज को किस आधार पर जेल भेजा गया है। इस पर टीआई ने कहा कि आप आरटीआई लगा दीजिए। इसके तहत हम जवाब दे देंगे। उससे कन्फर्म हो जाएगा। हमने कहा कि दो-चार लोगों को ले जाइए, नीरज को दिखा दीजिए, सारी चीजें क्लीयर हो जाएंगी।
तभी टीआई के पास नगर मंडल अध्यक्ष विधायक केदारनाथ शुक्ल के भतीजे का फोन आया। मुझे लग गया कि यहां तो बड़ा खतरा है। आप वीडियो देखेंगे तो मैं वहां खड़ा हुआ था, कोई प्रोटेस्ट नहीं कर रहा था। बाद में प्रोटेस्ट तेज हुआ, पुलिस ने बदसलूकी की, हमें पकड़कर थाने के अंदर ले गए, कपड़े उतरवाए और थाने के अंदर परेड करवाई। टीआई ने मुझे टारगेट करते हुए कहा कि खबर करना चाहते हो तो पुलिस और विधायक (केदारनाथ शुक्ल) के खिलाफ नहीं लिखोगे। अगर लिखोगे तो पूरे शहर में जुलूस निकालेंगे। जब थाने में ये सब हो रहा था तो अमिलिया थाना प्रभारी अभिषेक सिंह परिहार और जमोड़ी थाना प्रभारी शेषमणि मिश्रा भी थे। एक प्राइवेट व्यक्ति अमर सिंह कल्लू भी था। कल्लू शराब माफिया है, विधायक का करीबी है। कल्लू 6 महीने जेल में भी रहा था। विधायक के साथ मैं उसकी एक हजार तस्वीरें दे सकता हूं। कल्लू ने ही हमारी तस्वीरें लीं और वीडियो कॉल करके लाइव भी किया। कल्लू ने ये सब इसलिए किया, क्योंकि मैंने विधायक के खिलाफ खबरें कीं। सच ये है कि मैंने ये खबरें किसी इंटेंशन से नहीं कीं।
मेरा यूट्यूब चैनल है, आप वहां जाकर देख सकते हैं कि मैंने सभी की खबरें चलाई हैं। बार-बार मुझसे यही कहा जा रहा था कि विधायक के खिलाफ खबरें चलाओगे, करोगे पत्रकारिता? मुझे समझ आ गया कि मैं फंस गया हूं। मुझे डर भी लग रहा था। थाने में मारपीट हुई। लॉकअप में बैठाया गया। हमने कहा कि लॉकअप में मच्छर हैं, मॉस्कीटो कॉइल दे दो, लेकिन नहीं दी गई। अमिलिया टीआई अभिषेक परिहार ने गाली-गलौज करते हुए कहा- और चलाएगा खबर, आ गए औकात में। टारगेट पर मैं ही था। उन्हें धरने का बहाना मिल गया था। हमारी अर्धनग्न फोटो वायरल हो रही थी। विधायक के समर्थक ना जाने क्या-क्या लिखकर फोटो वायरल कर रहे थे। ये मैं दिखा सकता हूं।
स्थानीय पत्रकार मेरा बहुत सपोर्ट नहीं कर रहे। इसकी भी वजह है। उन्हें विधायक की तरफ से विधायक निधि का पैसा दिया जाता है। मैं तो सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि थाने में एक पत्रकार नंगा नहीं हुआ, पूरी पत्रकार बिरादरी नंगी हुई। हमारी बिरादरी रोज नंगी ना हो, इसके लिए आवाज उठानी चाहिए। राहत इंदौरी का एक शेर है-
लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में,
यहां सिर्फ मेरा मकां थोड़ी है...।।
कनिष्क ने ये भी बताया कि उन्हें थाने 2 अप्रैल रात 8 बजे ले जाया गया, 3 अप्रैल की रात 6 बजे निकले। जहां तक फर्जी आईडी से पोस्ट का सवाल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कमलनाथ की भी फर्जी आईडी बनी हैं। कोई भी किसी के खिलाफ कुछ लिखना चाहेगा तो फर्जी आईडी ही बनाएगा। नीरज तो जेल में है, आईडी से अब भी पोस्ट हो रही है।
ये बोले विधायक केदारनाथ शुक्ल के बेटे गुरुदत्त शरण
सबसे पहले अनुराग मिश्रा नाम के व्यक्ति की आईडी बनी। पहले तो सामान्य बातें सामने आती रहीं। वो मेरे खिलाफ भी टिप्पणियां करता रहा, लेकिन हमने इग्नोर किया। लेकिन बाद में उसकी भाषा अभद्र होती गई। मेरे साथियों ने कहा कि वो (अनुराग मिश्रा) आपको टारगेट कर रहा है। मैंने एसपी को फर्जी आईडी से पोस्ट को लेकर आवेदन दिया। इस आईडी से मेरे पिता के चरित्रहनन, मेरी बहनों के विषय में बात की गई। मेरे जीजाजी के विषय में अभद्र टिप्पणी है। ये मेरे परिवार को बदनाम करने की साजिश थी। ये सब करीब 6 महीने से चल रहा था। बाद में ट्रेसिंग से फर्जी आईडी का पता चला। कैलिफोर्निया से लेटर भी आया। फर्जी आईडी का नीरज कुंदेर (रंगकर्मी) के बना होना पाया गया। पुलिस ने नीरज को पकड़ लिया।
हम लोग राजनीतिक लोग हैं। पुलिस को भी आशंका थी। हमारे समर्थकों के मन में भी गुस्सा था। लोगों ने कोतवाली को घेर लिया। पुलिस ने 151 के तहत कार्रवाई की। नीरज को तहसीलदार के सामने पेश किया। वो जमानत की शर्तें पूरी नहीं कर पाया और उसे जेल भेज दिया गया। शाम को फर्जी पत्रकार और भूमाफिया कनिष्क ने थाने में पहुंचकर घेराव किया। उनके साथ जो लोग थे, उनके खिलाफ भी कई मामले थे। पुलिस ने कहा, आपकी जो भी मांगें हों, लिखकर दे दीजिए, जांच होगी। पुलिस ने 151 के तहत कार्रवाई करते हुए थाने में बैठा लिया। CrPC में प्रावधान है कि अगर किसी को लॉकअप के अंदर रखेंगे तो कपड़े पहनाकर नहीं रखते। अब पुलिस ने लॉकअप में कैसे रखा, ये जांच का विषय है।
इनका विंध्य में एक बघेली चैनल है। इसमें हर चीज के लिए विधायक जी यानी मेरे पिता को जिम्मेदार बताया जाता है। किसी के यहां गैस खत्म तो विधायक जिम्मेदार, किसी के यहां नमक खत्म तो विधायक जिम्मेदार। अभी सीधी में शॉर्ट सर्किट से आग लग गई तो उस व्यक्ति (कनिष्क तिवारी) ने दंगा भड़काने तक की कोशिश की। इससे पूरा प्रशासन परेशान हो गया। कनिष्क पत्रकार नहीं है। यहां के श्रमजीवी पत्रकार संघ ने ज्ञापन दिया है कि कनिष्क पत्रकार नहीं है। सीधी के किसी पत्रकार ने उनके पक्ष में ना तो लिखा, ना ज्ञापन दिया। उनकी पृष्ठभूमि कांग्रेस की है। उनके मामा ने 1998 में कांग्रेस से चुनाव लड़ा था, अजय सिंह राहुल के करीबी हैं। जब गिरफ्तार हुए तो वे शिवराज सिंह मुर्दाबाद, मध्य प्रदेश सरकार मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे। इस पर कार्रवाई होना तो तय है। कांग्रेस की पृष्ठभूमि के हैं तो घटना को हाथों-हाथ लिया।
हमारा पक्ष किसी ने नहीं जानना चाहा। क्या राजनीतिक परिवार से होना गुनाह है। राजनीतिक परिवार से होने के नाते क्या हमारे ह्यूमन राइट्स या नागरिक अधिकार सस्पेंड हो जाते हैं? मामला राजनीतिक व्यक्ति से जुड़ा था तो पुलिस फूंक-फूंककर कदम रख रही थी। उन पर तो पुलिस ने कार्रवाई की है। पुलिस ने सारी चीजों की पुष्टि करने के बाद हाथ डाला। प्रदर्शन की भी अपनी मर्यादा होनी चाहिए।