MP कांग्रेस में लागू होगा केरल फॉर्मूला, राहुल तक पहुंचेगा मैनेजमेंट का रिजल्ट

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Shivasheesh Tiwari
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MP कांग्रेस में लागू होगा केरल फॉर्मूला, राहुल तक पहुंचेगा मैनेजमेंट का रिजल्ट

अरुण तिवारी, Bhopal. कांग्रेस का संगठन मजबूत करने के लिए पार्टी ने चिंतन शिविर (Chintan Shivir) में नया फॉर्मूला तैयार किया गया है। ये फॉर्मूला है यूनिट मैनेजमेंट का। अब मध्यप्रदेश कांग्रेस में यूनिट मैनेजमेंट सिस्टम लागू होने जा रहा है। ये फॉर्मूला 2014 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections) के पहले केरल में लागू किया गया था। राहुल गांधी ने इसकी कमान केरल के तत्कालीन प्रभारी दीपक बावरिया को सौंपी थी। केरल की तर्ज पर अब ये फॉर्मूला उन राज्यों में लागू किया जा रहा है, जहां पर आने वाले समय में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन राज्यों में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और गुजरात जैसे बड़े राज्य शामिल हैं। इस फॉर्मूले में पार्टी संगठन के नेताओं के साथ मौजूदा विधायकों के कामकाज का आंकलन भी किया जाएगा। 



क्या है यूनिट मैनेजमेंट फॉर्मूला 



यूनिट मैनेजमेंट के तहत प्रदेश से लेकर जिला, मंडलम और सेक्टर तक के पदाधिकारियों का रिपोर्ट कार्ड तैयार होगा। इसमें स्थानीय कार्यकर्ताओं से पदाधिकारियों के कामकाज और व्यवहार का फीडबैक लिया जाएगा। जिला कमेटी मंडलम पदाधिकारियों और सेक्टर पदाधिकारियों के काम का आंकलन करेगी। प्रदेश कमेटी, जिला कमेटी के पदाधिकारियों का रिपोर्ट कार्ड तैयार करेगी। प्रदेश स्तरीय नेताओं के काम का आंकलन प्रदेश प्रभारी के जिम्मे होगा। प्रदेश प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष ये रिपोर्ट राहुल गांधी को सौंपेंगे। इसके अलावा मौजूदा विधायकों के पांच साल के वर्क परफॉर्मेंस का आंकलन भी किया जाएगा। जनता में उनकी स्वीकार्यता और पांच साल में लोगों के बीच मौजूदगी को आधार बनाया जाएगा। इस यूनिट मैनेजमेंट में इस बात का ध्यान भी रखा जाएगा कि कहीं किसी नेता ने निजी दोस्ती—दुश्मनी के आधार पर तो रिपोर्ट कार्ड तैयार नहीं किया है। इसके लिए दिल्ली से थर्ड पार्टी सर्वे भी कराया जाएगा। जिसकी रिपोर्ट सीधे राहुल गांधी के पास पहुंचेगी। इसी वर्क परफॉर्मेंस के आधार पर नेताओं को टिकट, प्रमोशन और पार्टी से बाहर करने का रास्ता तैयार होगा। 



केरल में हुआ था फायदा 



साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर को रोकने के लिए कांग्रेस ने केरल में यूनिट मैनेजमेंट सिस्टम को लागू किया था। उस समय केरल के प्रभारी दीपक बावरिया थे। बावरिया ने प्रदेश से लेकर सेक्टर तक के पदाधिकारियों का आंकलन फीडबैक और सर्वे के आधार पर किया था। लोकसभा टिकट भी इसी आधार को ध्यान में रखकर दिए गए थे। 2009 में पार्टी को बीस में से 13 सीट मिलीं थी जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस गठबंधन ने 17 सीटें हासिल कीं। ये हाल तब था जबकि केरल में पार्टी का संगठन चरमरा गया था और उसे पिछला प्रदर्शन दोहराने की भी उम्मीद  नहीं थी। लेकिन चुनाव के पहले कांग्रेस के संगठन को फिर मजबूत किया गया और गठबंधन के सहारे कांग्रेस ने अच्छी सफलता हासिल की। 2019 में राहुल गांधी का वायनाड से चुनाव लड़ने के पीछे ये भी एक वजह रही है। दीपक बावरिया कहते हैं कि इस फॉर्मूले ने केरल बहुत काम किया था,चुनाव के परिणाम भी पक्ष में आए थे।  



एमपी में दोबारा सरकार की कोशिश



मध्यप्रदेश में 2018 में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में 114 सीटें हासिल कर सरकार तो बना ली लेकिन ये सरकार 15 महीने में ही चली गई। सरकार जाने के साथ ही एक बार फिर पार्टी का संगठन चरमरा गया। कांग्रेस के कुनबे में क्लेश बढ़ गया। 2018 में प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद कमलनाथ ने सबसे पहले छह महीने नीचे तक संगठन खड़ा करने का काम किया और इसका नतीजा ये रहा कि कांग्रेस की सरकार बनी। लेकिन अब फिर विधानसभा चुनाव पास आ गए हैं और संगठन की हालत खराब है। पार्टी के विधायक बीजेपी की शरण में जा रहे हैं। यही कारण है कि यहां पर यूनिट मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया जा रहा है। इसके तहत कार्यकर्ताओं की राय, जमीनी हकीकत और आवश्यकताओं के आधार पर नया संगठन खड़ा किया जाएगा। विधायकों को टिकट भी उनके आंकलन के आधार पर ही मिलेगा। कमलनाथ ने इस पर काम भी शुरू कर दिया है। लंबे समय से जमे जिलाध्यक्षों को हटाया जा रहा है। राहुल गांधी की मंशा के आधार पर संगठन में आमूलचूल बदलाव की तैयारी कर ली गई है। इस संबंध में राहुल गांधी की कमलनाथ से बात भी हो चुकी है। पार्टी महामंत्री केके मिश्रा कहते हैं कि इस तरह के आंकलन से पार्टी को जिताउ उम्मीदवार मिल जाते हैं और संगठन भी मजबूत होता है। 



कमलनाथ के सर्वे में दो दर्जन विधायकों की हालत खराब



2023 के विधानसभा चुनाव के लिए कमलनाथ ने पहले दौर का सर्वे करा लिया है। इस सर्वे की रिपोर्ट राहुल गांधी को भी दी गई है। पहले सर्वे में पार्टी के दो दर्जन विधायकों की हालत खराब है। इन विधायकों को कमलनाथ ने कामकाज में सुधार की हिदायत देकर छह महीने का वक्त दिया है। यदि यूनिट मैनेजमेंट में इनकी हालत नहीं सुधरी तो पार्टी मौजूदा विधायकों के ​टिकट काटकर नए चेहरों को मौका देगी। टिकट के लिए उम्र के फॉर्मूले पर भी काम शुरु हो गया है। राहुल गांधी ने इस यूनिट मैनेजमेंट फॉर्मूले को सख्ती से अमल में लाने के निर्देश दिए हैं। 


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