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Bhopal. नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह अपनी नई भूमिका के साथ अभी सदन में पहुंचे भी नहीं हैं और सत्तापक्ष द्वारा उनकी बात को अनसुना करना शुरू कर दिया है। नेता प्रतिपक्ष की मांग को दरकिनार करते हुए मध्यप्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र 25 जुलाई 2022 से आयोजित किया जाएगा। यह सत्र पांच दिन का होगा। डॉ. सिंह मध्यप्रदेश विधानसभा के आसन्न मानसून सत्र से सदन में नेता प्रतिपक्ष पद की शुरूआत करने वाले हैं।
मध्यप्रदेश विधानसभा सचिवालय ने आसन्न मानसून सत्र के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। राज्यपाल द्वारा दी गई अनुमति के तहत मानसून सत्र पांच दिन का होगा। इसकी शुरूआत 25 जुलाई से होगी और 29 जुलाई तक चलेगा। आमतौर पर मानसून सत्र जून के अंत में ही शुरू होता है और जुलाई के आरंभ में ही संपन्न हो जाता है। मगर इस समय पंचायत एवं नगरीय निकायों के चुनावों के चलते सदन का मानसून सत्र भी इस बार पिछड़ गया है। नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद डॉ. सिंह ने सीएम को पत्र लिखकर मांग की थी कि मानसून सत्र कम से कम 20 दिनी रखा जाए। डॉ. सिंह ने 21 जून को ये भी कहा कि विधानसभा सत्र की अवधि 5 दिन से बढ़ाकर कम से कम 3 हफ्ते की जाए।
कांग्रेस शासनकाल के विधानसभा सत्रों का हवाला देते हुए डॉ. सिंह ने आरोप लगाया था कि भाजपा सरकार में विधानसभा के सत्र केवल शासकीय कार्य निपटाने का जरिया बन गए हैं। इनमें प्रदेश की गरीब जनता की समस्याओं से जुड़े मुद्दो और जन समस्याओं पर चर्चा ही नहीं हो पाती। इसलिए कम से कम 20 दिन का सत्र रखा जाए। इसके साथ ही उन्होंने पंचायत व नगरीय निकाय चुनावों के बाद ही सत्र बुलाने की मांग अपने पत्र में रखी थी। मौके की नजाकत और अपने विधायकों की व्यस्तता को देखते हुए सरकार ने सत्र तो चुनावों तक टाल दिया है। पूर्व सीएम व पीसीसी चीफ कमलनाथ द्वारा नेता प्रतिपक्ष के पद से इस्तीफा देने के बाद डॉ. गोविंद सिंह को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस ने बनाया है। पद मिलने के बाद कोई सत्र अभी तक नहीं हुआ है। डॉ. सिंह सदन में नेता प्रतिपक्ष की अपनी पारी मानसून सत्र से ही करने वाले हैं।
राष्ट्रपति चुनाव: निकाय चुनावों से फ्री होते ही विधानसभा में वोट डालेंगे विधायक
पंचायत और नगरीय निकायों से फ्री होते ही प्रदेश के सारे विधायको को विधानसभा पहुंचकर वोट डालना होगा। इसके लिए सभी को मानसून सत्र के एक सप्ताह पहले भी राजधानी आकर लौटना पड़ेगा। असल में 18 जुलाई को नए राष्ट्रपति के लिए मतदान होना है। विधानसभा सचिवालय ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। विधायकों की परेशानी यह है कि इसी दिन निकायों के रिजल्ट आना है। चुनावों के रिजल्ट आते ही सभी विधायकों को विधानसभा पहुंचना होगा। इस बार विधानसभा सचिवालय को राष्ट्रपति चुनावों के मद्देनजर अलग से व्यवस्था करना पड़ रही है। अमूमन विधानसभा सत्र के दौरान ही राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया होती है।
पहले 11 जुलाई से सत्र की थी तैयारी
राज्य सरकार पहले 11 जुलाई से मानसून सत्र की तैयारी कर रही थी। प्रारंभिक तौर पर बनाए गए प्रस्ताव में 11 से 22 जुलाई तक मानसून सत्र आयोजित होना था। ताकि राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया भी इसी बीच में पूरी करा ली जाए। मगर नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह के पत्र के साथ ही नगरीय निकाय चुनावों की तिथि् घोषित हो गई। इससे पूरा कार्यक्रम चुनाव बाद चला गया है। नेता प्रतिपक्ष ने अपने पत्र में राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए किसान, युवाओं, महंगाई, बेरोजगारी, महिला सुरक्षा, कानून व्यवस्था आदि से जुड़े मुद्दों पर विस्तार से चर्चा कराने की जरूरत बताई थी। अपने पत्र में नेता प्रतिपक्ष ने पुराने सात आयोगों की लंबित रिपोर्ट का भी हवाला दिया था।