भोपाल. मध्य प्रदेश में 2023 विधानसभा चुनाव (Assembly Election) के लिए जमीन तैयार करना शुरू कर दी है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) 18 सितंबर को जबलपुर पहुंच दौरे पर है। शाह के इस दौरे को सीधे-सीधे विधानसभा चुनाव में आदिवासियों को लुभाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। वजह यह है कि राज्य में आदिवासियों की आबादी 2 करोड़ से ज्यादा है, जो 230 में से 84 विधानसभा सीटों पर असर डालती हैं। इसमें से 47 सीटें अनुसूचित जनजाति (ST) यानी आदिवासियों के लिए आरक्षित (Reserved) हैं।
बीजेपी की गोंड समुदाय पर नजर
शाह जबलपुर में गोंड (Gond) राजा शंकर शाह और उनके बेटे रघुनाथ शाह की समाधि पर गए। इसके बाद वह आदिवासी सम्मेलन में शामिल हुए। इस दौरान शाह के साथ मौजूद सीएम शिवराज ने आदिवासियों के लिए कई घोषणाएं की। इस दौरे की खास बात यह है कि गोंडवाना क्षेत्र जबलपुर, मंडला, छिंदवाड़ा, डिंडौरी, अनूपपुर (महाकौशल) में माना जाता है। गोंडों के प्रभाव (Impact) वाली 22 सीटें है। बीजेपी की कोशिश इन ज्यादा से ज्यादा सीटों में सेंध लगाने की है।
मप्र में आदिवासी मुद्दा अभी चरम पर
2023 में मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। सत्ताधारी बीजेपी (BJP) और कांग्रेस दोनों की ही आदिवासियों घेरने की कवायद कर रहे हैं। 6 सितंबर को कमलनाथ बड़वानी के दौरे पर गए थे। आदिवासी बहुल बड़वानी, धार, अलीराजपुर (मालवा-निमाड़) को जय युवा आदिवासी संगठन (JYAS- जयस) का गढ़ माना जाता है। मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें अनुसूचित जनजाति (ST) यानी आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। सामान्य वर्ग की 31 सीटों पर भी आदिवासी समुदाय निर्णायक भूमिका में हैं। 2003 के पहले आदिवासी वोट बैंक परंपरागत रूप से कांग्रेस का माना जाता था। बीजेपी ने इसमें सेंध लगा दी और आदिवासी कांग्रेस से छिटक गए। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 47 आदिवासी सीटों में से 30 सीटें झटक लीं, बीजेपी को 16 सीटों से संतोष करना पड़ा।
कौन थे शंकर शाह?
शंकर शाह गोंडवाना साम्राज्य के राजा थे। उन्होंने अंग्रेजी शासन के खिलाफ विद्रोह (Mutiny) का बिगुल फूंक दिया था। इसके बाद अंग्रेजों ने 18 सितंबर 1858 को शंकर शाह और उनके बेटे रघुनाथ शाह को तोप से बांधकर उड़ा दिया था। हाल ही में बीजेपी ने आदिवासी बाहुल्य (Majority) इलाके में अपनी स्थिति को समझा है। बीजेपी समझ चुकी है कि आदिवासियों को खुश किए बिना 2023 में सत्ता में वापसी होगी।
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