BHOPAL. राजनीति का मिजाज मौसम के जैसा सर्द-गर्म बना हुआ है। बीजेपी और कांग्रेस में शह-मात का खेल चल रहा है। दिग्गज नेता भी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। कांग्रेस ने 3 राज्यों में 229 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। मध्यप्रदेश में 144, छत्तीसगढ़ में 30 और तेलंगाना में 55 नामों का ऐलान किया गया है। कमलनाथ छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ेंगे। बीजेपी की 5वीं सूची भी 16 नवंबर को आ सकती है। इसकी चर्चा भी है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ 'कोई' तो है। इधर, अफसरों में अलग ही खेल चल रहा है। कहीं फर्जीवाड़े हैं तो कहीं कोई बगावती होकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रहा है। देश में चर्चा क्रिकेट की है, दुनिया इजराइल और हमास पर अटकी है। प्रदेश, देश और दुनिया में खबरें तो और भी हैं, पर आप तो सीधे नीचे उतर आइए और 'बोल हरि बोल' के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए...
मंत्रियों के नाम पर फर्जी भर्ती
मंत्रियों को योजनाओं का फीडबैक देने के नाम पर रिसर्च करने वालों की भर्ती की गई, लेकिन इन लोगों ने किसी भी मंत्री के साथ एक दिन भी काम नहीं किया। इसका खुलासा सुशासन संस्थान और जीएडी के बीच चल रही वेतन देने की खींचतान में हो गया है। इसे व्यंग्य में कहें तो मंत्रियों को भूतों ने फीडबैक दे दिया। अब जीएडी के अफसरों ने कहा कि जब मंत्री के साथ इन्होंने काम ही नहीं किया तो इनका वेतन सरकार कैसे देगी। जीएडी के इनकार के बाद सुशासन संस्थान अब दूसरे फंड से इन लोगों का वेतन दे रहा है। बड़ा सवाल है कि मंत्री के नाम पर की गई फर्जी भर्ती के बाद इन लोगों से काम क्या लिया जा रहा है। सुशासन संस्थान के अफसर दुआ कर रहे हैं कि बीजेपी ही सत्ता में आए, यदि सरकार बदली तो ये फर्जीवाड़ा खुल जााएगा।
सिंधिया के खिलाफ कौन
बीजेपी कोर ग्रुप की बैठक के बाद एक मैसेज सोशल मीडिया पर जमकर वायरल होता है कि सिंधिया ने विधानसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। इसके बाद ये खबर कुछ मीडिया हाउस ने भी उठा ली। मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल सिंधिया की मीडिया मैनेजमेंट टीम एक्टिव हुई और खबर का खंडन किया। सवाल है कि बैठक में मौजूद दिग्गज 8 नेताओं में से कौन है, जो अंदर की आधी-अधूरी खबरें बाहर देकर सिंधिया की छवि खराब कर रहा है।
बिना प्लान मैदान में कूदे मामा
बीजेपी संगठन के दिग्गज नेता चुनाव में रोड शो, रैली और सभाओं को रोडमैप बनाने में व्यस्त हैं, उधर मामा ने प्रचार का बिगुल फूंक दिया है। मामा ने भोपाल की तीनों विधानसभा भोपाल उत्तर, गोविंदपुरा और हुजूर में रोड शो और सभाएं कर डालीं। मामा के इस एक्शन को लेकर पार्टी के कद्दावर नेता नाखुश बताए जा रहे हैं। उनका कहना है कि संगठन के प्लान के बिना मामा को मैदान में नहीं उतरना था, लेकिन इन नेताओं को कौन समझाएं, आचार संहिता लगने के बाद शिवराज अफसरों की बैठक नहीं ले सकते और खाली बैठना उन्हें आता नहीं है। ऐसे में मामा चुनाव प्रचार में नहीं कूदें तो क्या करें।
अखर गया प्रमुख सचिव का इनकार
सीएमओ के फरमान पर कल तो जो अफसर दौड़ लगाते थे, आचार संहिता लगने की जानकारी मिलते ही फाइल पर आदेश करना बंद कर दिए। सूत्र कहते हैं, चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू होते ही 5वीं मंजिल एक्टिव हुई और रुके हुए काम धड़ाधड़ करने के लिए मंत्रालय के आला अफसरों के पास पहुंचे। ऐसा ही एक फोन मजदूर वाले महकमे के प्रमुख सचिव के पास भी आया, उनसे कहा गया कि विभाग के अधीनस्थ संस्थानों में राजनीतिक नियुक्तियों के आदेश जारी करें। साहब ने तपाक से इनकार कर दिया। ऐसे ही MPPSC में सदस्य नियुक्ति वाली फाइल को स्पीड में राजभवन भेजा गया, वहां के अफसरों ने लाट साहब को आचार संहिता का ज्ञान दे दिया। इसके बाद फाइल दोगुनी स्पीड से मंत्रालय लौट आई।
कांग्रेस को मिल गई फायर ब्रांड दलित नेता
निशा बांगरे डिप्टी कलेक्टर का इस्तीफा मंजूर न करके सरकार ने उसे बड़ा नेता बना दिया। निशा ने भी खुलेआम सरकार से पंगा लेते हुए सड़क पर उतरकर मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव तक को घेरा, नतीजतन जेल की यात्रा भी करनी पड़ी। इन सबके चलते कांग्रेस को बैठे बिठाए फायर ब्रांड युवा दलित नेता मिल गई। कांग्रेस अब निशा को आगे करके सरकार को दलित विरोधी बताने में जुट गई है। निशा चुनाव लड़ पाएंगी या नहीं, लेकिन ये तय जरूर है कि राजनीति में उनके सुनहरे भविष्य के रास्ते जरूर खुल गए हैं।
सरकार की जय हो...आदेश और वसूली
चुनाव आयोग के फरमान पर तबादला आदेश आते ही साहब लोगों का दलाल नेटवर्क सक्रिय हो गया। ठेकेदारों को रात में ही घर से बुलाकर बैक डेट में फाइल्स साइन की गई। बंगला ऑफिस में देर रात तक काम चला रीडर से लेकर बाबू तक फाइल लेकर कार्यालय से बंगले तक दौड़ लगाते रहे। साहब भी मुस्कराते हुए बोल रहे थे कल मौका मिले या न मिले, अभी तो चौका मार ही दो।