/sootr/media/post_banners/1b2137400589fe34bf031452a02ca14d4b360400ff167a48d9f504a16adf4860.jpeg)
Delhi. बिप्लब देव 13 मई को गृहमंत्री अमित शाह से मिलने दिल्ली आए थे। मुलाकात के बाद दिल्ली से अगरतला लौटे और केंद्रीय नेतृत्व से मिले दिशा-निर्देशों के तहत पद से इस्तीफा दे दिया। केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव और विनोद तावड़े पर्यवेक्षक बनकर गए और उनकी अगुवाई में विधायकों ने डॉ. माणिक साहा को अपना नेता चुन लिया। माणिक साहा त्रिपुरा बीजेपी के अध्यक्ष हैं और राज्य में बीजेपी की राजनीति में काफी सक्रिय हैं। बीजेपी ने यह कदम राज्य बीजेपी के नेताओं, कार्यकर्ताओं, विधायकों की नाराजगी को देखते हुए उठाया है। माना जा रहा है कि बीजेपी ने त्रिपुरा में भी उत्तराखंड, कर्नाटक की तरह का प्रयोग किया है। साहा 2016 में ही कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए थे। पेशे से दंत चिकित्सक साहा पिछले महीने ही राज्यसभा सांसद चुने गए हैं।
डॉ. माणिक साहा बीजेपी के ऐसे इकलौते मुख्यमंत्री नहीं हैं, जो कांग्रेस या दूसरे दल से आए हैं। मौजूदा राजनीतिक नक्शा देखा जाए तो इस वक्त बीजेपी शासित पांच राज्य ऐसे हैं, जहां दूसरी पार्टियों से आने वाले नेताओं को मुख्यमंत्री बनाया गया है। आइए सभी के बारे में जानते हैं...
1. पेमा खांडू, मुख्यमंत्री अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री पेखा खांडू ने अपनी पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय से की है। पेमा ने अपनी राजनीतिक शुरुआत कांग्रेस से की। 2005 में उन्हें प्रदेश कांग्रेस कमेटी का सचिव बनाया गया। पेमा के पिता भी अरुणाचल प्रदेश के बड़े कांग्रेसी नेता रहे हैं। 2011 में उनकी मृत्यु के बाद पेमा को अरुणाचल प्रदेश सरकार के जल संसाधन और पर्यटन मंत्री की जिम्मेदारी मिली। 16 जुलाई 2016 को पेमा कांग्रेस विधायक दल के नेता चुने गए, लेकिन सितंबर 2016 में ही वह कांग्रेस के 43 विधायकों के साथ उन्होंने पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश बना ली। इसके बाद बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई। तीन महीने बाद यानी दिसंबर 2016 में वह 33 विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए और मुख्यमंत्री बन गए।
2. एन बीरेन सिंह, मुख्यमंत्री, मणिपुर
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह भी इसी सूची में शामिल हैं। शुरुआती दौर में उन्होंने अपने करियर के लिए फुटबॉल को चुना। इसके बाद सीमा सुरक्षा बल के जवान बन गए। बीएसएफ में रहते हुए वर्ष 1992 में एन बीरेन सिंह की रुचि पत्रकारिता की तरफ हुई। उन्होंने मणिपुर के ही स्थानीय अखबार नाहरोल्गी थोउदांग में नौकरी शुरू की। पत्रकारिता जगत में वो काफी तेजी से आगे बढ़ते गए। 2001 तक वो अखबार के संपादक बन गए। 2002 से उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की।
मणिपुर की डेमोक्रेटिक रेवोल्यूशनरी पीपुल्स पार्टी का दामन थाम लिया। हेनगांग सीट से चुनाव लड़े और जीत दर्ज की। वर्ष 2003 में बीरेन सिंह कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्हें मणिपुर सरकार में वन और पर्यावरण मंत्रालय का जिम्मा मिला। 2007 में उन्होंने दोबारा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इस बार ओकराम इबोबी सिंह की सरकार में उन्हें सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण मंत्रालय के साथ-साथ युवा मामलों-खेल मंत्रालय का प्रभार दिया गया।
2012 में वो लगातार तीसरी बार विधायक बने। 2016 में तत्कालीन सीएम ओकराम इबोबी सिंह से उनका विवाद बढ़ गया। इसी के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया। 2017 में एन बीरेन सिंह बीजेपी से विधायक बने और मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल की। विधानसभा चुनाव 2022 में भी वो लगातार 5वीं बार विधायक बने हैं और फिर से सीएम की कुर्सी मिल गई।
3. हिमंत बिस्वा सरमा, मुख्यमंत्री, असम
कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वालों में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का नाम भी है। असम के जोरहाट में पैदा हुए सरमा ने कांग्रेस के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। साल 2001 से 2015 तक जालुकबारी विधानसभा क्षेत्र में उन्होंने कांग्रेस का दबदबा कायम रखा। 15 साल तक वे इस सीट से विधायक रह चुके हैं। साल 2011 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी। 2015 में सरमा ने कांग्रेस छोड़ दी और बीजेपी जॉइन कर ली। साल 2016 असम में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी। इस कामयाबी के पीछे सर्बानंद सोनोवाल के अलावा हेमंत सरमा की भूमिका भी थी। 2016 में तो सर्बानंद को मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन 2021 में बीजेपी को जब दोबारा जीत मिली तो सर्बानंद को केंद्री मंत्री बनाकर हिमंत बिस्वा सरमा को मुख्यमंत्री बना दिया गया।
4. मणिक साहा, मुख्यमंत्री, त्रिपुरा
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब के इस्तीफे के बाद राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में मणिक साहा के नाम पर मुहर लगी है। मणिक त्रिपुरा बीजेपी अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद हैं। साहा पेशे से दंत चिकित्सक हैं। साहा साल 2016 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे, जिसके बाद 2020 में उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था।
5. बसवराज बोम्मई, मुख्यमंत्री, कर्नाटक
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने भी 2008 में भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा था। इसके पहले उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत 1998 में जनता दल से की थी। 2008 से 2013 के बीच जब येदियुरप्पा मुख्यमंत्री थे, तब वह जल संसाधन मंत्री भी थे। 2019 में जब दोबारा बीजेपी की सरकार बनी और बीएस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने बोम्मई को कानून मंत्री बनाया गया। 28 जुलाई 2021 को जब बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटाया तो उनकी जगह बोम्मई को ही कुर्सी सौंप दी।
11 महीने में चार राज्यों के बदले मुख्यमंत्री
पिछले 11 महीने के दौरान भाजपा ने चार राज्यों में मुख्यमंत्री बदला। उत्तराखंड में चार महीने के भीतर तीन बार मुख्यमंत्री का चेहरा बदला गया। कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा से इस्तीफा लेकर बसव राज बोम्मई, गुजरात में विजय रुपाणी के स्थान पर भूपेंद्र भाई पटेल को कमान सौंपी गई। चुनाव से उत्तर प्रदेश में भी मुख्यमंत्री बदलने की चर्चा ने जोर पकड़ा था, लेकिन वहां सत्ता में कोई बदलाव नहीं हो पाया। इस क्रम में चौथा राज्य त्रिपुरा है।