मोदी ने वंशवाद की राजनीति पर दिया था बयान, एमपी के नेता पुत्रों का क्या होगा

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मोदी ने वंशवाद की राजनीति पर दिया था बयान, एमपी के नेता पुत्रों का क्या होगा

भोपाल. आने वाले दिनों में जिन राज्यों में चुनाव होने हैं, उसमें बीजेपी अब नेता पुत्रों को टिकट नहीं देगी क्योंकि खुद पीएम मोदी ने साफ तौर पर कह दिया है कि पार्टी में वंशवाद की राजनीति नहीं चलेगी। पीएम के इस बयान के बाद बीजेपी में अंदरूनी तौर पर खलबली है। खुलकर कोई नहीं कह रहा। इधर एमपी की बात करें तो एक दर्जन से ज्यादा नेता हैं, जो 2024 में अपने बेटे-बेटियों के लिए राजनीति की जमीन तलाश रहे हैं। इसलिए एमपी के नेताओं के लिए तो ये किसी झटके से कम नहीं है क्योंकि यहां नेता पुत्र और पुत्रियों की फेहरिस्त काफी लंबी है। 





मोदी ने ये कहा था: पांच राज्यों के चुनाव नतीजे आने के बाद जब बीजेपी दफ्तर में जश्न मनाया गया, तो पीएम मोदी ने वंशवाद की राजनीति पर तगड़ा हमला किया था। मोदी ने कहा कि उन्होंने जनता को केवल इतना कहा कि परिवार की राजनीति विकास में रोड़ा है और जनता ने वंशवाद की राजनीति के खिलाफ वोट किया। पीएम मोदी ने ये भी कहा कि वो जिन मुद्दों को उठा रहे हैं। उस पर बहस होनी चाहिए। इसके बाद जब संसदीय दल की बैठक हुई तो पीएम मोदी ने सांसदों को कहा कि अगर किसी बीजेपी सांसद या मंत्री के बेटे या बेटी को टिकट नहीं मिला तो इसके पीछे मैं जिम्मेदार हूं। पार्टी में पारिवारिक राजनीति की अनुमति नहीं होगी, अन्य पार्टियों में वंशवाद की राजनीति के खिलाफ लड़ा जाएगा। परिवारवादी पार्टियां देश को खोखला कर रही हैं।





मैसेज साफ है कि अब बीजेपी आने वाले दिनों में जिन राज्यों में चुनाव होंगे वहां नेता पुत्र या पुत्रियों को टिकट नहीं देगी। ऐसे में एमपी बीजेपी में जो नेता अपने बेटे बेटियों के लिए टिकट की जुगाड़ में जुटे हैं, उनका क्या होगा। क्योंकि मध्यप्रदेश में नेता पुत्रों की लिस्ट लंबी है।





शिवराज सिंह के बेटे: इसमें पहला नाम तो सीएम शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान का ही है। कार्तिकेय, बुदनी विधानसभा सीट पर काफी सक्रिय हैं। कार्तिकेय ने यहां क्रिकेट टूर्नामेंट करवाया। 2013 और 2018 में शिवराज के प्रचार का जिम्मा कार्तिकेय ने ही संभाला था। कोरोना की दूसरी लहर में बुदनी में जिन लोगों का निधन हुआ, कार्तिकेय ने उनके घर जाकर सांत्वना दी थी। यानी वो बुदनी में काफी सक्रिय रहे लेकिन कुछ दिनों पहले ही कार्तिकेय अमेरिका चले गए। कहा गया कि हायर स्टडी के लिए गए हैं। 





सिंधिया के बेटे: सिंधिया परिवार का हर सदस्य ही राजनीति में मौजूद है। ऐसे में इस समय शिवराज के साथ-साथ सबसे बड़ा चेहरा ज्योतिरादित्य सिंधिया का है और उनके बेटे महाआर्यमन सिंधिया की पिछले दिनों जैसी सक्रियता बढ़ी, उससे कयास लगाए जाने लगे कि महाआर्यमन तैयार है पिता की विरासत संभालने के लिए। 2019 के चुनाव में महाआर्यमन ने पिता ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए प्रचार किया था और सिंधिया परिवार में पिता पुत्र की राजनीति में आने की परंपरा पिछले कई दशकों से जारी है। ज्योतिरादित्य जब कांग्रेस में थे तो महाार्यमन की एंट्री ज्यादा मुश्किल नहीं थी लेकिन अब सिंधिया बीजेपी में है।





नरोत्तम मिश्रा के बेटे: नेता पुत्रों की फेहरसिस्त में एक और नाम है सुकर्ण मिश्रा का, जो प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के बेटे है। सुकर्ण पेशे से डॉक्टर हैं और बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य है यानी राजनीति में उनकी एंट्री हो चुकी है। सामाजिक आयोजन में वो काफी सक्रिय रहते हैं। बोलने का अंदाज पिता से मिलता जुलता है। 





नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे: ग्वालियर की राजनीति के बड़े चेहरे और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह भी सक्रिय है। पिता की पूरी संसदीय सीट संभालते हैं और उन्हें उनके उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है। 2018 के चुनाव में देवेंद्र प्रताप सिंह का नाम ग्वालियर सीट के उम्मीदवार के तौर पर बड़ी तेजी से उछला था लेकिन पार्टी ने टिकट नहीं दिया। देवेंद्र प्रताप सिंह पार्टी संगठन में भी सक्रिय है। 





गोपाल भार्गव ने बेटे: हाल ही में, मैं रहूं ना रहूं, ये रहिस मेला रहना चाहिए जैसा बयान देकर सुर्खियों में आए प्रदेश के कैबिनेट मंत्री गोपाल भार्गव ने भी अभिषेक के लिए 2018 में टिकट मांगा था। अभिषेक युवा मोर्चा के पदाधिकारी भी रहे यानी राजनीति में पूरी तरह से सक्रिय है। हालांकि पार्टी में परिवारवाद को लेकर अभिषेक ने कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि पार्टी ने ये कहा है कि जो पार्टी में आए है और तत्काल टिकट मांग रहे हैं, उन्हें टिकट नहीं मिलेगा। वो तो बरसों से पार्टी में है। 





गौरीशंकर शेजवार के बेटे: इसके बाद नाम आता है मुदित शेजवार का। मुदित शेजवार गौरीशंकर शेजवार के बेटे हैं। हालांकि उन्हें 2018 में पार्टी ने सांची विधानसभा सीट से टिकट दिया था लेकिन वो उस समय कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़े प्रभुराम चौधरी से हार गए थे। अब प्रभुराम चौधरी खुद बीजेपी में हैं। इसलिए मुदित शेजवार को टिकट मिलेगा या नहीं, ये नहीं कहा जा सकता लेकिन गौरीशंकर शेजवार जोर पूरा लगाएंगे जैसा उन्होंने 2018 में लगाया था।





इन नेताओं के पुत्र भी हैं लाइन में: वैसे ही प्रभात झा के बेटे तुष्मुल झा है। जब पिता मप्र के प्रदेश अध्यक्ष थे, तब तुष्मुल झा काफी सक्रिय थे लेकिन फिलहाल राजनीति में सक्रिय नहीं है लेकिन राजनीति में आने की इच्छा तो है ही। लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष और इंदौर से लंबे समय तक सांसद रहीं सुमित्रा महाजन भी अपने बेटे मंदार महाजन के लिए टिकट मांगती रही लेकिन मंदार को टिकट नहीं मिला। बालाघाट सीट से विधायक और पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन की बेटी मौसम बिसेन के लिए गौरीशंकर बिसेन ने 2018 में टिकट मांगा था लेकिन पार्टी ने टिकट नहीं दिया। बाद में मौसम बिसेन ने 2018 में ट्वीट कर अपनी दावेदारी छोड़ी थी।





वैसे ही कृषि मंत्री कमल पटेल के बेटे सुदीप पटेल भी पिता कमल पटेल के विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं। सामाजिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं। सुदीप पटेल जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष रह चुके हैं लेकिन विवादों से उनका पुराना नाता रहा है। दुर्गेश जाट हत्याकांड में सुदीप आरोपी रह चुके हैं। नेता पुत्रों की फेहरिस्त में पूर्व मंत्री जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया का भी नाम है। जयंत मलैया दमोह सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं और पिछली बार हार के बाद जब उपचुनाव हुआ तो मलैया परिवार पर पार्टी को हराने का आरोप लगा और सिद्धार्थ मलैया को निलंबित कर दिया गया। फिलहाल मलैया परिवार हाशिए पर है लेकिन हो सकता है कि चुनाव से पहले उनकी वापसी हो या फिर ना भी हो। 





वैसे ही पूर्व मंत्री माया सिंह के बेटे पीताबंर सिंह का नाम पर सामने आता है। जब जब चुनाव होते हैं, तब नाम की चर्चा छिड़ जाती है। पीतांबर के पिता भी विधायक रहे और मां भी। ऐसे में वो स्वाभाविक उत्तराधिकारी कहे जाते हैं। कांग्रेस से बीजेपी में आए गोविंद सिंह राजपूत के छोटे बेटे आकाश राजपूत भी उनकी राजनीतिक विरासत संभालने के लिए दावेदार कहे जाते हैं। सुरखी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के दौरान आकाश राजपूत ने ही प्रचार प्रसार और बूथ मैनेजमेंट की कमान संभाली थी। टीवी सीरियलों में काम कर चुके आकाश राजपूत ने बताया था कि वो फिल्मी पर्दे से राजनीति के पर्दे पर भी आ सकते हैं।



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