Damoh. प्रदेश की पंचायतों में महिलाओं को अग्रणी भूमिका में लाने शुरू की गई समरस पंचायत की अवधारणा थोड़ी ही सही पर साकार होती दिखाई दे रही है। मुख्यमंत्री की इस सोच को भले ही उनकी कैबिनेट के मंत्रियों ने उतनी गंभीरता से न लिया हो लेकिन कई गांवों में समरस पंचायत को लेकर आम सहमति बनी है। दमोह जिले के हटा ब्लाॅक की सकोर ग्राम पंचायत भी उनमें से एक है। यहां पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया की पहल पर उनकी बहू ममतारानी को निर्विरोध सरपंच चुन लिया गया है। सकोर ग्राम पंचायत के समरस पंचायत बनने पर कुसमरिया ने प्रसन्नता व्यक्त की है।
जन्मभूमि के लिए कुछ न कर पाने की टीस: कुसमरिया
इस दौरान पूर्व कृषि मंत्री ने कहा कि इतने बड़े पदों पर रहने के बावजूद उनके मन में यह टीस रही कि वे अपनी जन्मभूमि के लिए कुछ न कर सके। इसलिए उन्होंने गांव में सहमति बनाकर अपनी बहू को सरपंच पर पर निर्विरोध निर्वाचित करा दिया। इतना ही नहीं गांव की सभी महिला पंच भी निर्विरोध निर्वाचित हुई हैं। कुसमरिया का मानना है कि जब रानी दुर्गावती, लक्ष्मीबाई और इंदिरा गांधी जैसी महिलाएं देश चला सकती हैं तो उनकी बहू एक छोटी सी पंचायत क्यों नहीं चला सकती। कुसमरिया की बहू उनकी राजनैतिक विरासत आगे बढ़ा पाऐंगी इस सवाल पर उन्होंने कहा कि विरासत आगे बढ़ेगी या नहीं यह उनकी बहू ममता रानी की क्षमता पर निर्भर करेगा।
हटा में 3 पंचायतें में हुआ निर्विरोध निर्वाचन
हटा जनपद सीईओ वरतेस जैन ने बताया कि हटा ब्लाॅक में आने वाली 57 ग्राम पंचायतों के नाम निर्देशन पत्रों की बुधवार को समीक्षा की गई। जिसमें 3 पंचायतों काठी, नयागांव और सकोर में निर्विरोध निर्वाचन संपन्न हो गया है। क्योंकि इन सभी पदों के लिए केवल एक-एक नामांकन सामने आया था।