चंडीगढ़. पंजाब कांग्रेस में मची सियासी उठापटक के बीच सूबे की सरदारी चरणजीत सिंह चन्नी के हाथ आ ही गई। 20 सितंबर यानी सोमवार को चन्नी 17वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। कांग्रेस ने पहली बार दलित चेहरे पर दांव खेलकर प्रदेश की दलित आबादी को साधने का काम किया है। वहीं, सुखजिंदर सिंह रंधावा और ओपी सोनी ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। राहुल गांधी के चलते शपथ ग्रहण करीब 20 मिनट लेट हुआ। उधर, 19 सितंबर को रेस में आगे चल रहे अंबिका सोनी, सुनील जाखड़ और सुखजिंदर सिंह रंधावा को पीछे छोड़ते हुए हरीश रावत ने अचानक मुख्यमंत्री के रूप में चमकौर साहिब से विधायक चरणजीत चन्नी के नाम का ट्वीट कर सबको चौंका दिया था। शनिवार यानी 18 सितंबर को कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस्तीफा दे दिया था। नाराजगी के चलते अमरिंदर शपथ ग्रहण में भी नहीं आए।
सिद्धू बोले- ये ऐतिहासिक
एक समय तो पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिद्धू खुद भी सीएम की दौड़ में शामिल थे, लेकिन पार्टी प्रभारी हरीश रावत ने उन्हें यह कहकर शांत कर दिया कि आप प्रधान हैं। आप पर बड़ी जिम्मेदारी है। नाम पर मोहर लगने के बाद रविवार को ही चन्नी राज्यपाल से मिलने पहुंचे और उन्होंने मुख्यमंत्री के तौर पर विधायक दल का समर्थन पत्र सौंपा। सिद्धू ने कहा-ऐतिहासिक, पंजाब का पहला दलित मुख्यमंत्री नामित करने का फैसला इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। यह संविधान और कांग्रेस की भावना का सम्मान है।
चन्नी ने पार्षद से की थी शुरुआत
- अमरिंदर सरकार में तकनीकी शिक्षा मंत्री रहे चन्नी उनके धुर राजनीतिक विरोधी रहे हैं। अगस्त में चन्नी के नेतृत्व में ही विधायकों ने अमरिंदर के खिलाफ बगावत की थी। तब उन्होंने साफ कहा था, हमें कैप्टन पर भरोसा नहीं है।
32% दलित वोटों पर निगाहें
पंजाब में 32 फीसदी दलित वोट हैं। पार्टी ने चन्नी के जरिए उन्हें लुभाने की कोशिश की है। चन्नी के नाम से ही नवजोत सिंह सिद्धू अपनी दावेदारी से पीछे हटने का तैयार हुए। वहीं, सिख बनाम गैर सिख को लेकर पार्टी में बनी टकराव की स्थिति भी टल गई। शिरोमणि अकाली दल-बसपा ने गठबंधन के बाद दलित डिप्टी सीएम बनाने की घोषणा की थी। बीजेपी पूर्व मंत्री विजय सांपला के नेतृत्व में चुनाव लड़ना चाहती है।
पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री
58 वर्षीय चन्नी पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री हैं। इस पद के लिए नामित होने से पहले कैप्टन मंत्रिमंडल में राज्य के तकनीकी शिक्षा मंत्री थे। वह चमकौर साहिब निर्वाचन क्षेत्र से तीन बार विधायक रहे। 2015 से 2016 तक पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे और मार्च 2017 में कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया।