REWA. नगर निगम रीवा के चुनाव में पहली मर्तबा मेयर और पार्षद पदों पर उम्मीदवार उतारने वाली आम आदमी पार्टी के प्रभाव पर चर्चा होने की बजाय एक बार पुन: बसपा और सपा से होने वाले लाभ और नुकसान का लेखा-जोखा कांग्रेस एवं भाजपा लगाने में जुट गई है। सियासी जानकार मानते हैं कि दोनों दलों ने भले ही अपरिचित चेहरों को मैदान में उतारा है लेकिन सपा-बसपा जातिगत वोट अपने पाले में ले जाने में कामयाब हो गए तो कांग्रेस-भाजपा में से किसी एक की खाट खड़ी हो सकती है। गौरतलब है कि शनिवार को नगर निगम चुनाव में नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि तक 13 व्यक्तियों ने उम्मीदवारी जताई है। प्रत्याशियों की वास्तविक स्थिति 22 जून के बाद स्पष्ट हो पाएगी। जब इनमें से कोई नामांकन वापस ले लेगा।
किसका बिगड़ेगा खेल
नगर पालिक निगम रीवा के चुनावी बिसात अब पूरी तरह से बिछ चुकी है। इस बार 13 प्रत्याशी मैदान में हैं। पहली मर्तबा आम आदमी पार्टी भी नगर निगम चुनाव में शिरकत कर रही है। इसके अलावा भाजपा,कांग्रेस, सपा, बसपा, शिवसेना और एनसीपी एवं अन्य हैं।इस सब के बावजूद सीधा मुकाबला कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच ही हो रहा है, अन्य की भूमिका वोट कटवा की रहेगी। ये बात और है कि जातीय समीकरण में यही पार्टियां किसी की हार और किसी की जीत का सबब बनती रही हैं। खासकर बसपा जिसने निगम चुनाव में यह रोल बखूबी निभाया है। बहरहाल बसपा ने प्रत्याशी तो उतार दिया लेकिन उतनी दमदारी से चुनाव लडऩेे के संकेत नहीं दिए। अलबत्ता जयप्रकाश उर्फ जेपी कुशवाहा मैदान में उतारा है। कयास लगाए जा रहे थे कि बसपा खोई जमीन वापस पाने के लिये किसी वैश्य या मुस्लिम को प्रत्याशी बना सकती है. जिनके वोट चुनाव के नतीजे को बदलने की कूवत रखते है। ये बात और है कि सपा के उम्मीदवार के रूप में चिकित्सा मणि गुप्ता भी मैदान में है लेकिन वे कितना वैश्य समाज का वोट खींच पाते हैं इस पर संशय है। मुस्लिम समाज से अब्दुल वफाती अंसारी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भी महापौर का चुनाव लड़ रहे हैं।
ये हैं उम्मीदवार
कांग्रेस अजय मिश्रा बाबा, भाजपा प्रबोध व्यास, शिवसेना श्रीकृष्ण गुप्ता, धनंजय सिंह निर्दलीय, नूरूल हसन निर्दलीय, रामानुज बसपा, शैलेन्द्र कुमार निर्दलीय, जेपी कुशवाहा बसपा, चिकित्सामणि गुप्ता सपा, देवेन्द्र शुक्ला निर्दलीय, प्रेम नाथ जायसवाल निर्दलीय, रामचरण शुक्ल निर्दलीय, अब्दुल वफाती अंसारी निर्दलीय और आप के इंजी. दीपक सिंह है.
कांग्रेस के बागी पर आप का दांव
युवक कांग्रेस से सियासत की पारी शुरू करने वाले इंजी. दीपक सिंह ने टिकट न मिलने से कुछ दिन पहले ही पार्टी छोड़ दी। अब आम आदमी पार्टी ने महापौर पद के लिये इंजी. दीपक सिंह पर दांव खेला है। पहली बार निगम चुनाव में उतरी आम आदमी पार्टी के लिये दीपक सिंह आगे का मार्ग कैसे प्रशस्त कर पायेगें, यह तो आने वाला समय बताएगा लेकिन इंजी. दीपक सिंह ओबीसी में पटेल समाज से तालुकात रखते है और इस वर्ग के नगर निगम में करीब 8 हजार वोटर है। जिन पर दीपक सिंह की राजनीतिक उम्मीदें टिकी है| आम तौर पर ओबीसी में पटेल (कुर्मी) वर्ग कुछ अरसे से भाजपा और कांग्रेस के बीच बटा हुआ है।