मिठाई की दुकान से 850Cr के मालिक तक, कौन हैं AAP के RS उम्मीदवार अशोक मित्तल?

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Aashish Vishwakarma
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मिठाई की दुकान से 850Cr के मालिक तक, कौन हैं AAP के RS उम्मीदवार अशोक मित्तल?

अमृतसर. आम आदमी पार्टी (AAP) ने राज्यसभा उम्मीदवारों (Rajya sabha candidates) के नामों का ऐलान कर दिया है। इसमें लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (LPU) के चासंलर अशोक मित्तल (Ashok Mittal) भी शामिल हैं। मित्तल के पिता स्व. बलदेव राज मित्तल ने कभी 500 रुपए का कर्ज लेकर मिठाई की दुकान शुरू की थी। आज अशोक मित्तल के पास 850 करोड़ रुपए की संपत्ति है। मित्तल का करियर कई मायनों में खास है। आइए आपको बताते हैं उनकी जिंदगी से जुड़े रोचक फैक्ट....





500 रुपए के कर्ज से कारोबार शुरू: अशोक मित्तल के पिता बलदेव राजस्थान में मिलिट्री में ठेकेदार थे। उनके तीन बेटे रमेश, नरेश और अशोक मित्तल हैं। अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए बलदेव ने 1961 में 500 रुपए का कर्ज लेकर जालंधर कैंटोंमेंट एरिया में एक मिठाई की दुकान खोली। इसका नाम लवली स्वीट हाउस रखा। 84 में अशोक ने भी पिता के कारोबार में कदम रखा। फाउंडेशन के 25 साल बाद 1986 में ये जालंधर की सबसे प्रतिष्ठित और बड़ी मिठाई की दुकान हो गई। 2004 में बलदेव राज मित्तल का निधन हो गया था। 





गाड़ियों की डीलरशिप में एंट्री: अशोक अपने कारोबार को सिर्फ मिठाई तक सीमित नहीं रखना चाहते थे। वो दूसरे क्षेत्रों में भी संभावना तलाश रहे थे। अशोक ने इसके लिए ऑटो सेक्टर को चुना। 90 के दशक में बजाज की टू-व्हीलर आम आदमी की पहचान बन चुकी थी। इसलिए उन्होंने बजाज की डीलरशिप लेने का फैसला लिया। ऐसा कहा जाता है कि शुरूआत में अशोक को इसकी डीलरशिप नहीं मिली थी क्योंकि कंपनी एक मिठाई वाले को डीलर नहीं बनाना चाहती थी। हालांकि, बाद में उन्हें ये डीलरशिप मिल गई। 1991 में अशोक मित्तल ने लवली ऑटो के नाम से डीलरशिप शुरू की। 1996 में उन्हें मारूति सुजुकी की डीलरशिप भी मिल गई। कुछ ही वक्त में लवली ऑटो का नाम पंजाब की सबसे बड़ी ऑटो डीलरशिप में शामिल हो गया।







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एलपीयू कैम्पस।







एलपीयू की फाउंडेशन: अशोक को मिठाई और ऑटो डीलरशिप के बिजनेस में कामयाबी मिली। इसके बाद अशोक ने एजुकेशन की फील्ड में अपने कदम रखे। उन्होंने 2001 में पंजाब के फगवाड़ा में पहला कॉलेज शुरू किया। ये कॉलेज 3.5 एकड़ में फैला था। बाद में इसमें कई सारे कॉलेज शामिल होते गए। इस तरह लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी की फाउंडेशन हुई। दो साल तक चली कागजी कार्रवाई के बाद 2005 में पंजाब सरकार ने लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी को यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया। आज के समय में एलपीयू की किसी पहचान की मोहताज नहीं है। 



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