SATNA: ऐसा पूर्व MLA जिसने अध्यक्ष की बाजी जीती, तब के SP के निलंबन का जोखिम उठाया, 13 घंटे जेल में काटे फिर लोकायुक्त में फंसा

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Sachin Tripathi
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SATNA: ऐसा पूर्व MLA जिसने अध्यक्ष की बाजी जीती, तब के SP के निलंबन का जोखिम उठाया, 13 घंटे जेल में काटे फिर लोकायुक्त में फंसा

SATNA: ग्राम विकास की जिला सरकार के अपने मायने हैं। ढाई दशक से ज्यादा समय पहले इसके मुखिया को लेकर चुनाव शुरू ही हुए थे। इसी चुनाव से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा है। कुर्सी अनारक्षित वर्ग के लिए थी लेकिन इसमें बैठने का सौभाग्य एससी वर्ग को मिला। यही नहीं उपाध्यक्षी की बात आई तो आज के बड़े लड़ाके को मुंह की खानी पड़ी थी। एक बात और एससी वर्ग से जिस व्यक्ति को कुर्सी मिली वह पूर्व में विधायक भी था। 





मध्यप्रदेश की नवम विधानसभा में विधायक रहे धीरेंद्र सिंह धीरू जिला पंचायत अध्यक्ष तो बन गए थे लेकिन यहां तक का सफर आसान नहीं था सियासत का पहिया ऐसा घूमा कि धीरू सदस्य तक नहीं बन पाए। मामला हाईकोर्ट पहुंचा और यह हुआ कि जब तक जिला पंचायत के वार्ड का चुनाव नहीं हो जाता तब तक जिला पंचायत अध्यक्ष के निर्वाचन नहीं होगा। स्वयं धीरेन्द्र सिंह 'द सूत्र'  को बताते हैं कि ''अनारक्षित जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट पर अध्यक्ष बनने की घोषणा के साथ ही जिला पंचायत सदस्य के लिए वार्ड क्रमांक 3 जो एससी के लिए आरक्षित था उस से नामांकन दाखिल किया था।"





 वोटिंग से पांच दिन पहले चुनाव निरस्त 





धीरेन्द्र सिंह पहले विधायक रह चुके थे लिहाजा अध्यक्ष बनने की उनकी घोषणा को तमाम राजनीतिक दलों से जुड़े जनप्रतिनिधियों ने बड़ी गंभीरता से लिया और उन्हें वार्ड का ही चुनाव ना जीतने देने की  सियासत शुरू कर दी गई।  इन सबके बीच एससी के लिए आरक्षित वार्ड से सामान्य व्यक्ति का फार्म भरा दिया गया संवीक्षा में सामने वाले का फार्म सही मानते हुए स्वीकार भी कर लिया गया लेकिन जब मतदान के 5 दिन बचे थे तभी शिकायत हुई कि एससी के लिए आरक्षित सीट पर सामान्य व्यक्ति चुनाव लड़ रहा है तब के कलेक्टर पीके दास ने  वार्ड 3 का चुनाव वोटिंग से पांच दिन पहले ही निरस्त कर दिया। चुनाव निरस्त होने पर वार्ड 3 से प्रत्याशी रहे धीरेंद्र सिंह धीरू हाई कोर्ट पहुंचे जहां उनका पक्ष कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने रखा था। प्रत्याशी की बात मान ली गई और अध्यक्ष तक का निर्वाचन रोक दिया गया। यह किस्सा वर्ष 1994 का है जब जिला पंचायत के अध्यक्ष के लिए पहली बार चुनाव कराए गए थे। 





2 वोट से चुना गया था तब का अध्यक्ष 





जिला पंचायत का पहला अध्यक्ष बनने का सौभाग्य रैगांव के पूर्व विधायक धीरेंद्र सिंह धीरू को मिला। अनारक्षित सीट पर 2 वोटों से चुनाव जीतकर धीरेन्द्र अध्यक्ष बन गए। कार्यकाल 5 साल 8 माह चला। तब उन्होंने कांग्रेस की गुंजन सिंह को अध्यक्ष के चुनाव में हराया था धीरेन्द्र को सात और गुंजन सिंह को पांच वोट मिले थे।  जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा और बसपा समर्थित उम्मीदवारों ने भी अपना भाग्य आजमाया था लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। जिला पंचायत के पहले कार्यकाल में 20 वार्ड थे। वर्तमान में 26 वार्ड हैं।





शिक्षाकर्मी घोटाला, लोकायुक्त का छापा 





पहले जिला पंचायत अध्यक्ष  के कार्यकाल की कुछ यदि चर्चित घटनाओं की बात करें तो तो पहले जिला पंचायत अध्यक्ष धीरेंद्र सिंह को अध्यक्ष रहते हुए 13 घंटे के लिए जेल भी जाना पड़ा था उन्हें यह जेल किसी एक पुराने मामले में हुई थी इतना ही नहीं जिला पंचायत अध्यक्ष रहते हुए धीरेन्द्र ने तत्कालीन पुलिस अधीक्षक के खिलाफ जिला पंचायत में निलंबन का प्रस्ताव पारित किया था उसे सरकार के पास भी कार्रवाई के लिए भेजा गया था। इन सबके अलावा जिला पंचायत अध्यक्ष रहते हुए ही धीरू के घर पर लोकायुक्त का छापा पड़ा था यह छापा शिक्षाकर्मी घोटाले से जुड़ा हुआ था।





तब उपाध्यक्षी हार गए थे सांसद गणेश 







जिला पंचायत के इतिहास उपाध्यक्ष का किस्सा भी दिलचस्प है। चौथी बार सांसद बने गणेश सिंह भी जिला पंचायत के पहले कार्यकाल में उपाध्यक्ष का चुनाव लड़ चुके हैं, दुर्भाग्य से उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। उस समय गिरधारी लाल स्वर्णकार ने हराया था। यहीं से गणेश सिंह की राजनीति को नई दिशा मिली है। दूसरे कार्यकाल में गणेश सिंह अध्यक्ष बने।अध्यक्ष रहते ही गणेश सिंह ने भाजपा से 2004 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा और सांसद बने।





उपाध्यक्ष गहरवार विधायक बने 







जिला पंचायत के उपाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह गहरवार को अपवाद स्वरूप छोड़ दिया जाए तो बाकी उपाध्यक्ष राजनीति में आज कुछ खास मुकाम हासिल नहीं कर पाए हैं। गहरवार उपाध्यक्ष के साथ-साथ जिला पंचायत के कार्यकारी अध्यक्ष भी थे।उसके बाद 2008 के विधानसभा चुनाव में वे चित्रकूट विधानसभा से विधायक चुने गए। यह विधानसभा कांग्रेस का गढ़ कही जाती थी लेकिन इसे भेदने में गहरवार ही सफल हो सके थे। 





अब तक के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष







अध्यक्ष :  धीरेन्द्र सिंह धीरू|  उपाध्यक्ष:  गिरधारी लाल स्वर्णकार



अध्यक्ष : गणेश सिंह |  उपाध्यक्ष: सुरेंद्र सिंह गहरवार



अध्यक्ष: पुष्पा गुप्ता | उपाध्यक्ष : कमलेश्वर पटेल



अध्यक्ष : गगनेन्द्र प्रताप सिंह | उपाध्यक्ष:  पुष्पराज बागरी



अध्यक्ष : सुधा उमेश प्रताप सिंह | उपाध्यक्ष : रश्मि सिंह पटेल



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