Singrauli : एक ऐसी महापौर की कहानी जिसका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में है दर्ज 

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Arvind Mishra
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Singrauli : एक ऐसी महापौर की कहानी जिसका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में है दर्ज 

Singrauli. विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण सिंगरौली (SADA) को मर्ज कर  बनाये गये नगर पालिक निगम सिंगरौली के पहले चुनाव परिणाम के साथ- साथ एक रोचक घटनाक्रम भी जुड़ा है जो आगे चलकर रिकॉर्ड बन इतिहास के पन्नों दर्ज हो चुका है। दरअसल, वर्ष 2000 में विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण सिंगरौली को मर्ज कर नगर पालिक निगम सिंगरौली का दर्जा दे दिया गया था। इसी वर्ष महिला सामान्य सीट घोषित कर यहां नगर निगम का पहला चुनाव कराया गया था। उस समय प्रदेश में दिग्विजय सिंह  की सरकार थी। कांग्रेस सरकार ने पूर्णत: घरेलू महिला श्रीमती रेनू अशोक शाह पर भरोसा कर महापौर प्रत्याशी घोषित कर दिया था वहीं भाजपा ने श्रीमती मधु झा को मैदान में उतारा था। इन दोनों प्रत्याशियों के बीच ही केन्द्रित हो चुके इस चुनाव में लगभग 1500 मतों के अन्तर से जीत हासिल कर रेनू शाह  जहां सिंगरौली नगर निगम की पहली महापौर निर्वाचित हुईं वहीं इस जीत के साथ ही एक रिकॉर्ड भी बना दिया था। असल में चुनाव के दौरान रेनू की उम्र 25 वर्ष एक माह थी, जो उस समय देश में सबसे कम उम्र की महापौर चुनी गईं थी और इस उपलब्धि को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड ने शामिल किया था। 





हाथ का छूटा साथ, हाथी में हुईं सवार 





24 मई 2008 को भाजपा सरकार ने सिंगरौली को जिला बना देने के उपरांत 2009 में कराया गया नगरीय निकाय चुनाव (सिंगरौली नगर निगम के तीसरे) भी कुछ कम रोचक नहीं था। दरअसल इस चुनाव के दौरान कुछ ऐसा था कि भाजपा ने अपने पूर्व जिला अध्यक्ष कांति शीर्ष देव सिंह (चितरंगी तहसील क्षेत्र में स्थित वर्दी - खटाई रियासत के राजकुमार साहब) को महापौर का प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतार दिया तो वहीं कांग्रेस ने रेनू का टिकट काट कर अरविंद सिंह चन्देल को महापौर प्रत्याशी घोषित कर दिया था। वर्तमान में सिंगरौली शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष और अजय सिंह के कट्टर समर्थक माने जाते हैं। तब कांग्रेस के इस निर्णय पर रेनू शाह ने बगावत कर दी और हाथ का साथ छोड़ बसपा के हाथी पर सवार हो गईं। उनके मैदान में उतरने के साथ ही  मुकाबला त्रिकोणीय हो गया। 





'बाहरी-भितरी'  के कुचक्र ने दिलाई विजय 



नगर पालिका चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वयं भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में समर्थन जुटाने ताबड़तोड़ सभाएं भी किया था। लेकिन भाजपा के पक्ष में बहने वाली तगड़ी लहर के बीच भाजपा अपने प्रत्याशी को हारने से नहीं बचा पाई  क्योंकि सिंगरौली के कुछ असरदार व वरिष्ठ भाजपाइयों ने 'बाहरी - भीतरी' का कुचक्र रचते हुए मतदाताओं के बीच सांकेतिक भाषा में यह कहते हुए कि 'जब सिंगरौली में लाल - लाल टमाटर मौजूद बा तब चितरंगी के खटाई की कौन जरूरत बा' भ्रम फैलाना शुरू कर दिया था। नतीजतन लगभग 2700 मतों के अंतर से भाजपा प्रत्याशी को पटकनी देते हुए हाथी पर सवार रेनू शाह एक बार फिर से महापौर की कुर्सी पर काबिज हो गयी थी। उधर कांग्रेस के उम्मीदवार अरविंद सिंह को तीसरे - चौथे स्थान से ही संतोष करना पड़ा था।



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