नीतीश के बाद उद्धव भी डांवाडोल, 10 दिन में INDIA को 4 झटके

पिछले हफ्ते नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ मिलने के बाद उद्धव ठाकरे के सुर भी बदले से नजर आ रहे हैं। उन्होंने सोमवार को कहा मोदीजी में आस्था दिखाई। कहा हम कभी आपके दुश्मन नहीं थे। यह बयान विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. को पांचवें झटके के रूप में देखा जा रहा है।

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BP shrivastava
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Opposition alliance I.N.D.I.A.

विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के साथी। इनमें एक-एककर फूट पड़ती जा रही है।

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NEW DELHI.पिछले हफ्ते नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ मिलने के बाद उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के सुर भी बदले से नजर आ रहे हैं। उन्होंने सोमवार को कहा 'मैं मोदीजी को बताना चाहता हूं कि हम कभी भी आपके दुश्मन नहीं थे। आज भी हम दुश्मन नहीं हैं। हम आपके साथ थे। हमने पिछली बार आपके लिए प्रचार किया था।' उद्धव का यह बयान विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. को पांचवें झटके के रूप में देखा जा रहा है। इससे पहले पिछले 10 दिनों में विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. को 4 बड़े झटके लग चुके हैं।



दसूत्र एक्सप्लेनर में जानते हैं, विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. को हाल ही में कौन-से झटके लगे हैं, इनका कितनी सीटों पर असर होगा और विपक्ष के ये झटके कैसे साफ किया बीजेपी का रास्ता…

पहला झटका: ममता बनर्जी अकेले चुनाव लड़ेंगी, 42 सीटों पर फिर बंटवारे की झंझट

I.N.D.I.A. को झटके की शुरुआत TMC प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के फैसले से हुई थी। 24 जनवरी को उन्होंने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया था।

जून 2023 में I.N.D.I.A. की पहली बैठक हुई थी, जिसमें कांग्रेस ने वेस्ट बंगाल में 10-12 सीटों की मांग की थी। ममता बनर्जी केवल दो सीटें बरहामपुर और मालदा दक्षिण देने को तैयार थीं। ये वो सीटें थीं जो कांग्रेस ने 2019 के चुनाव में जीती थीं।

पश्चिम बंगाल के अखबार संगबाद प्रतिदिन के एसोसिएट एडिटर किंगशुक प्रमाणिक कहते हैं कि ममता बनर्जी सीपीएम को हराकर बंगाल में जीतती रही हैं। सीपीएम उनका मुख्य दुश्मन है।

वो गठबंधन में सीपीएम के साथ कम्फर्टेबल नहीं थीं। ऐसे में ममता में अकेले लड़ने का फैसला लिया।

वेस्ट बंगाल में I.N.D.I.A. गठबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती बीजेपी को रोकने की है। ममता ने आधिकारिक तौर पर I.N.D.I.A. नहीं छोड़ा है, वो इस गठबंधन की बड़ी नेता हैं।

I.N.D.I.A. के सामने कोई ऑप्शन नहीं है। बीजेपी को रोकने के लिए ममता को अकेले लड़ने देना होगा। यदि ऐसा नहीं होता है तो सबसे पहले सीटों पर बंटवारे का झगड़ा होगा। किसी पार्टी को तैयारी का समय नहीं मिलेगा। इसका सीधा फायदा बीजेपी को होगा।

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दूसरा झटका: नीतीश कुमार पलटे, अब सीटों को लेकर आरजेडी और कांग्रेस में ठनेगी

पिछले जून में पटना में बिहार के सीएम नीतीश कुमार के आधिकारिक बंगले पर I.N.D.I.A. के 27 दलों की पहली बैठक हुई थी। नीतीश की अगुवाई में ये गठबंधन आगे बढ़ रहा था। नीतीश को I.N.D.I.A. गठबंधन से पीएम पद की उम्मीदवारी का दावेदार माना जा रहा था।

अचानक 27 जनवरी को नीतीश के I.N.D.I.A. छोड़ने की खबरें आईं। अगले दिन नीतीश ने 28 जनवरी को फिर से सीएम पद की शपथ ली, लेकिन एनडीए के सीएम के तौर पर।

राजनीतिक के जानकारों का कहना है कि I.N.D.I.A. गठबंधन से अचानक नीतीश कुमार का अलग होना बहुत बड़ा झटका है। एक समय नीतीश ही गठबंधन के सूत्रधार थे।

बीजेपी यह बात अच्छे से समझ चुकी थी कि अगर नीतीश को निकाल लिया तो इंडिया गठबंधन की ताकत बिखर जाएगी और यही दिख रहा है।

नीतीश के जाने के बाद अब I.N.D.I.A. गठबंधन में सीट शेयरिंग में बड़ा पेंच फंस गया है। नीतीश के बाद अब लालू बिहार में अलायंस की ड्राइविंग सीट पर हैं, वह आपने हिसाब से कांग्रेस को दबाएंगे।

जेडीयू के हिस्से की सीटों पर भी वह अपने हिसाब से कैंडीडेट्स उतारने की तैयारी में हैं।

आरजेडी कभी नहीं चाहेगी कि कांग्रेस ज्यादा सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़े। आरजेडी 20 से अधिक सीटों पर अपने कैंडीडेट्स उतारना चाहती है। उधर कांग्रेस नेशनल पार्टी होने के कारण आरजेडी को ज्यादा सीट नहीं देना चाहेगी। ऐसे में सीटों के बंटवारे को लेकर विवाद हो सकता है।

तीसरा झटका: हेमंत सोरेन गिरफ्तार, 14 सीटों पर जीत का रणनीतिकार सलाखों के पीछे

I.N.D.I.A. को तीसरा झटका 30 जनवरी को लगा जब ईडी ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से ईडी ने पूछताछ की। शाम होते-होते ये कन्फर्म हो गया कि ईडी उन्हें गिरफ्तार करने वाली है। उन्हें इस्तीफा देना होगा। अगले दिन 31 जनवरी को हेमंत सोरेन ने इस्तीफा दे दिया और ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

झारखंड की राजनीति पर नजर रखने वाले जानकारों का कहना है कि इस राज्य में I.N.D.I.A. हेमंत सोरेन के भरोसे था। उसे पता था कि हेमंत सोरेन के साथ बिना किसी विवाद के सीटों का बंटवारा हो जाएगा, लेकिन हेमंत की गिरफ्तारी से I.N.D.I.A. गठबंधन को नए सिरे से डील करनी होगी। यहां कुल 14 लोकसभा सीटें हैं। सोरेन की गिरफ्तारी से पहले कांग्रेस 9 सीटें मांग रही थी।

अंदाजा लगाया जा रहा था कि जेएमएम और कांग्रेस में 50-50 का बंटावारा हो जाता। अगर आरजेडी डिमांड करती तो कोई भी अपने खाते से उसे एक सीट देगा। अब जेएमएम के सामने चुनौती ये है कि वह किसके फेस पर चुनाव लड़ेगी ऐसे में लगता है कि कांग्रेस की मुराद पूरी हो जाएगी। वह 9 सीटों पर लड़ सकती है। हालांकि यहां जेएमएम सत्ता में है। ऐसे में टिकट बंटवारे को लेकर विवाद जरूर होगा।

चौथा झटका : बहुमत होने के बाद भी चंडीगढ़ मेयर का चुनाव हार गया I.N.D.I.A.

पहली बार I.N.D.I.A. गठबंधन मिलकर चुनाव लड़ रहे थे। जानकार मान रहे थे कि ये इस गठबंधन की पहली परीक्षा है। कांग्रेस और आप के पास अपना मेयर बनाने के लिए पर्याप्त नंबर थे। फिर भी पहली परीक्षा में गठबंधन फेल हो गया। हालांकि मेयर चुनाव में हुई धांधली पर सुप्रीम कोर्ट ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। आगे बाजी पलट भी सकती है।

चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 35 पार्षद हैं और एक सांसद का वोट है। इस तरह कुल 36 वोट हैं। जीत के लिए 19 वोट चाहिए। चंडीगढ़ नगर निगम में बीजेपी के 14, आम आदमी पार्टी के 13, कांग्रेस के 7 और एक पार्षद शिरोमणि अकाली दल का है।

चंडीगढ़ मेयर चुनाव में वहां सांसद को भी वोटिंग का अधिकार है। बीजेपी सांसद किरण खेर के वोट को भी जोड़ लें तो बीजेपी की ताकत 15 वोट है। आप और कांग्रेस की ताकत 20 वोट की है। जीत I.N.D.I.A. गठबंधन की तय दिख रही थी, लेकिन बीजेपी जीत गई।

बीजेपी मेयर कैंडीडेट के पक्ष में 16 वोट पड़े। कांग्रेस-आप के जॉइंट कैंडीडेट के पक्ष में 20 वोट पड़े। दरअसल कांग्रेस-आप के 8 वोट रिजेक्ट हो गए यानी कम हो गए। इस तरह बीजेपी जीत गई।

कांग्रेस-आप ने इस चुनाव के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है।

पंजाब की सियासत के जानकार बताते हैं कि पंजाब में I.N.D.I.A. के बैनर तले आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के एक साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावना लगभग न के बराबर है। इसका मुख्य कारण ये है कि 6 मार्च 2022 को पंजाब की सत्ता संभालने के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुवाई वाली आप सरकार ने कांग्रेसी नेताओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया है।

सीट शेयरिंग पर विवाद: दूसरी वजह सीट शेयरिंग को लेकर विवाद है। कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनाव में पंजाब की 13 में से 8 सीटें जीती थी और पार्टी उसी प्रदर्शन के आधार पर अब सीटों का बंटवारा चाहती है, लेकिन आप इसके लिए तैयार नहीं है। आप नेता चाहते हैं कि सीटों का बंटवारा वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव नतीजों के आधार पर हो जब उनकी पार्टी ने प्रदेश की 117 में से रिकॉर्ड 92 सीटें जीती हैं। तीसरी वजह है मुख्यमंत्री और उनके गुट के लोग नहीं चाहते कि कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा जाए।

पांचवां झटका: उद्धव के सुर बदले, क्या एजेंसियों का दबाव

उद्धव ठाकरे ने सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ की है। जानकारों का कहना है कि बीजेपी नीतीश कुमार को वापस एनडीए में ले सकती है तो शिवसेना के लिए भी अवसर है। उद्धव उसी अवसर के लिए तारीफों के पुल बांध रहे हैं।

महाराष्ट्र के सिंधदुर्ग जिले में एक रैली में उद्धव ठाकरे ने कहा कि मैं मोदी जी को बताना चाहता हूं कि हम कभी भी आपके दुश्मन नहीं थे। आज भी हम दुश्मन नहीं हैं। हम आपके साथ थे। शिवसेना आपके साथ थी। हमने पिछली बार अपने गठबंधन के लिए प्रचार किया था। आप प्रधानमंत्री बने क्योंकि विनायक राऊत जैसे हमारे सांसद जीत कर आए। बाद में आपने हमें खुद से दूर कर दिया।

महाराष्ट्र के एक जर्नलिस्ट कहते हैं कि उद्धव ठाकरे का दिल अचानक नहीं पिघला है। हाल ही में ईडी ने आदित्य ठाकरे के खास सूरज चव्हाण को खिचड़ी घोटाले में गिरफ्तार किया है। उद्धव ठाकरे के खास रवींद्र वायकर को स्पोर्ट्स कोटे की जमीन पर फाइव स्टार होटल बनाने के मामले में दो बार पूछताछ के लिए सेंट्रल एजेंसियां बुला चुकी हैं।

ईडी का हाथ उद्धव के परिवार तक पहुंच रहा है। उद्धव काफी दबाव में हैं। ऐसे में वो मोदी सरकार को पुराने संबंधों की याद दिला रहे हैं कि आपने हमें छोड़ा है, हमने आपको नहीं। उद्धव सीधे बीजेपी को न्योता दे रहे हैं कि बातचीत का दरवाजा खुला हुआ है।

दूसरा कारण ये है कि महाराष्ट्र विकास अघाड़ी को लेकर उद्धव की कांग्रेस के साथ पटरी नहीं बैठ रही है। हाल ही में सीट बंटवारे को लेकर बयानबाजी हुई है। संजय राउत ने कहा कि कांग्रेस महाराष्ट्र में जीरो सांसद वाली पार्टी हो गई है। इसके जवाब में कांग्रेस के संजय निरुपम ने कहा था कि शिवसेना भी पहले जैसी नहीं रही है। शिवसेना में भयंकर बिखराव हुआ है। जिस पार्टी को सब छोड़कर चले गए और पता नहीं कितने बचे हैं और कितने दिन तक बचे रहेंगे?

96 सीटों पर बंटवारे की नई कवायद होगी

  • 42 पश्चिम बंगाल : ममता अलग लड़ेंगी ममता अलग लड़ेंगी इससे पश्चिम बंगाल की 42 सीटों पर फिर से बंटवारे की कवायद करना पड़ेगी।
  • 40 बिहार : नीतीश एनडीए में चले गए नीतीश के इंडिया गठबंधन से अलग होने के कारण। वहां सबसे ज्यादा विवाद की स्थिति बन सकती हे। अब वहां कांग्रेस और आरजेडी में बंटवारे पर खींचतान होगी।
  • 14 झारखंड : पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद से झारखंड में कोई चेहरा नहीं है। ऐसे में फिर 14 सीटों पर गणित बैठाना होगा।

    इस तरह से पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड की सीटों को मिला लें तो इंडिया गठबंधन को कुल 96 सीटों पर वापस से सीट बंटवारे की माथापच्ची करनी होगी।

    यदि यह भी मान लें कि उद्धव ठाकरे भी एनडीए में आ गए तो महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटें मिलाने पर ये आंकड़ा बढ़कर 144 हो जाएगा।
Nitish Kumar opposition alliance India meeting in Mumbai Uddhav Thackeray उद्धव ठाकरे