BHOPAL. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पूरी तरह मध्यप्रदेश के चुनाव पर फोकस कर दिया है। प्रदेश में कांग्रेस को मात देने के लिए शाह ने चुनावी चौसर पर अपनी गोटियां फिट कर दी हैं। प्रदेश में चुनाव से जुड़ा हर पाशा अब शाह की फेंकेगे। अमित शाह की 50 लोगों की टीम ने बीजेपी दफ्तर पर आमद दे दी है। कार्यालय के पहले माले पर शाह की टीम ने अपनी बिसात बिछा दी है। इस टीम में आईटी एक्सपर्ट के साथ सर्वे में माहिर लोगों को भी रखा गया है। ऐसा माना जा रहा है कि प्रदेश में चुनाव से जुड़ी हर गतिविधि की जानकारी सीधे अमित शाह तक पहुंचेगी और शाह के निर्देशों पर प्रदेश में ये टीम काम करेगी।
यहीं से तय होगा टिकट
सूत्रों की मानें तो इस टीम के पास शाह के प्रदेश में कराए गए चुनाव से जुड़े हर सर्वे की रिपोर्ट है। कुछ सीटों पर फिर से सर्वे कराया जा रहा है। ये सर्वे का काम भी इसी टीम के हवाले है। उम्मीदवारों से जुड़ी पूरी डिटेल भी ये टीम तैयार करेगी। सर्वे के आधार पर उम्मीदवारों को चार केटेगरी में बांटा गया है। पहली केटेगरी में जीत की गारंटी, दूसरी में जीत की संभावना, तीसरी केटेगरी में थोड़ी मेहनत से जीत का भरोसा और चौथी केटेगरी में वे लोग हैं जहां उम्मीदवार नहीं बदले तो हार तय है। इन सीटों की संख्या सबसे ज्यादा है। ऐसा माना जा रहा है कि जिन की जीत की गारंटी है उनका नाम जल्द घोषित हो सकता है। उसके बाद जीत की संभावना वाले उम्मीदवारों का नाम घोषित होगा।
दर्जन भर मंत्री-70 विधायकों पर संकट
शाह के सर्वे के आधार पर प्रदेश के 70 से ज्यादा मौजूदा विधायकों पर संकट है। इनमें करीब दर्जन भर मंत्री भी शामिल हैं। हार की आशंका वाले इन मंत्री-विधायकों की टिकट काटने में शाह कोई गुरेज नहीं करेंगे। इन दर्जन भर मंत्रियों में ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे वाले कुछ मंत्री भी शामिल हैं। शाह ने ये साफ कर दिया है टिकट उनको ही मिलेंगे जिनके जीतने में कोई शंका नहीं है। जहां पर मेहनत करनी है उनको भी ये संकेत दे दिया जाएगा।
मोदी-शाह-नड्डा के आदमकद कटआउट
पार्टी दफ्तर के बाहर तीन आदमकद कटआउट लगाए गए हैं। ये कटआउट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के हैं। पार्टी कार्यालय जाते हुए ये कटआउट पूरी कहानी कह देते हैं। इन तस्वीरों से ये साफ समझ में आ जाता है कि यहां पर सिर्फ दिल्ली की चल रही है। प्रदेश के एक भी नेता की तस्वीर वहां पर नहीं लगाई गई है। यानी मतलब साफ है कि जो होगा दिल्ली से होगा। फिर चाहे चुनाव अभियान हो, चुनाव प्रबंधन हो या फिर टिकट पर मुहर।