बीजापुर विधानसभा कांग्रेस की परंपरागत सीट, नक्सल समस्या से ग्रस्त जिला; प्राथमिक विकास से कोई नाता नहीं !

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Rahul Garhwal
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बीजापुर विधानसभा कांग्रेस की परंपरागत सीट, नक्सल समस्या से ग्रस्त जिला; प्राथमिक विकास से कोई नाता नहीं !

BIJAPUR. बीजापुर, छत्‍तीसगढ़ राज्‍य का वो जिला है जो कि बस्‍तर संभाग के सबसे अंतिम छोर पर है। दंतेवाड़ा जिले से 1 मई 2007 को अलग कर बीजापुर जिला बनाया गया। बस्‍तर की जीवनदायिनी कही जाने वाली इंद्रावती नदी का ज्यादातर हिस्सा बीजापुर जिले से होकर गुजरता है। इंद्रावती नदी छत्तीसगढ़ को दो राज्‍य तेलंगाना और महाराष्‍ट्र से अलग करती है एक तरह से ये सीमा रेखा है। नक्सल समस्या से ग्रस्त ये जिला प्राथमिक विकास से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं रखता है। इसके उलट सरकार किसी की भी हो बीजापुर के विकास को लेकर बड़े-बड़े वादे जरूर करते हैं।





बीजापुर विधानसभा सीट का सियासी मिजाज





बीजापुर अविभाजित मध्यप्रदेश की सबसे पुरानी विधानसभा सीट में से एक है और आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है। 1952 में इस सीट पर पहली बार चुनाव हुआ और हीराशाह यहां से विधायक बने। बीजापुर कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है लेकिन 1967 में यहां से निर्दलीय डीएसके शाह ने बाजी मारी थी। उसके बाद 1972 में कांग्रेस ने फिर वापसी की। साल 1977 में आपातकाल के ठीक बाद जब हुए चुनाव में जनसंघ ने यहां जीत दर्ज की। महादेव अयातू यहां से जनसंघ के टिकट पर विधायक बने। इस सीट पर अब तक हुए 15 चुनावों में 9 बार कांग्रेस, 3 बार बीजेपी। 1 बार जनसंघ और 2 बार निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की। साल 2018 में यहां से कांग्रेस के विक्रम मंडावी ने जीत दर्ज की।





बीजापुर विधानसभा सीट के जातिगत समीकरण





बीजापुर में आदिवासी वर्ग की आबादी 84 फीसदी है। यहां अनुसूचित जाति वर्ग के करीब 5 फीसदी मतदाता हैं। इस इलाके में कुल मतदाता 2 लाख 55 हजार 230 है। इसमें महिला मतदाता की संख्या 1 लाख 26 हजार 567 है। तो वहीं पुरुष मतदाता की संख्या 1 लाख 28 हजार 663 हैं। इस इलाके में साक्षरता का प्रतिशत 41 फीसदी के करीब है।





बीजापुर विधानसभा के मुद्दे





नक्सल प्रभावित इस इलाके में मूलभूत सुविधाओं का अभाव तो है ही लेकिन एक बड़ी समस्या के रुप में ग्रामीणों की नारागजगी इस बात को लेकर है कि उन्हें नक्सिलयों का साथी समझकर पुलिस के जवान सलाखों के पीछे डाल देते हैं और कई बार एनकाउंटर तक कर दिया जाता है। दूसरी तरफ नक्सली पुलिस का मुखबिर समझकर ग्रामीणों को मौत के घाट उतार देते हैं। पुलिस और नक्सलियों के बीच इस खंदक की लड़ाई में पीसता है एक आदमी इसके बाद कहीं जाकर सड़क-बिजली-पानी-शिक्षा-स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दे जनता की जुबान पर आते हैं। अब इन मुद्दों को लेकर जब नेताओं से बात होती है तो दोनों पक्ष के नेता एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने से नहीं चूकते।





द सूत्र ने इलाके के प्रबुद्धजनों, वरिष्ठ पत्रकारों और आमजनता से बात की तो कुछ और सवाल निकल कर आए।







  • आप पर भ्रष्टाचार को संरक्षण देने का आरोप लगता है, ऐसा क्यों ?



  • आप पर माओवादियों से गठजोड़ के आरोप लगते हैं,क्या कहेंगे ?


  • बिजली-पानी-स्वास्थ्य की लचर व्यवस्था पर क्या कहेंगे ?


  • 4 साल में आपके करवाए कोई 4 बड़े कार्य बताएं ?






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    इन सवालों के जवाब में विधायक विक्रम मंडावी ने क्या कहा..





    बीजापुर के विधायक विक्रम मंडावी का कहना है कि बीजेपी भ्रष्टाचार के झूठे आरोप लगा रही है। मैं लगातार इलाके के लोगों के बीच रहता हूं। मेरे कभी नक्सलियों से संबंध नहीं रहे, ये झूठे आरोप हैं। अंदरुनी इलाकों में सड़कों का जाल बिछवाया है। हर चुनाव में कांग्रेस को जनता का समर्थन मिला।





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