अंकुश मोर्य, BHOPAL. शराबबंदी की तरफ कदम बढ़ाते हुए शिवराज सरकार ने अहाते बंद किए थे। सरकार की मंशा थी कि इससे शराब की खपत में कमी आएगी। बैठने की जगह न मिलने की वजह से लोग शराब पीना कम कर देंगे, लेकिन कांग्रेस का आरोप हैं कि सरकार की ये सोच पूरी तरह फेल हो गई है। कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने दावा किया हैं कि अहाते बंद होने के बाद शराब की खपत कम होने की बजाए डेढ़ गुनी तक बढ़ गई है। चौधरी ने कहा कि शराब की खपत में 140 फीसदी का इजाफा हुआ है। दूसरी तरफ सरकार को राजस्व भी नहीं मिल रहा है।
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29 फीसदी ही बढ़ा राजस्व
विधायक कुणाल चौधरी ने कहा कि प्रदेश में शराब तो बहुत बिक रही है, लेकिन सरकार को राजस्व नहीं मिल रहा। इसकी वजह ये हैं कि प्रदेश में अवैध शराब का कारोबार चल रहा है। शिवराज सरकार प्रदेश ने मध्यप्रदेश को मदिरा प्रदेश बना दिया है। सरकार चाहती है कि युवा नशे में डूबा रहे और रोजगार की बात न करें। उन्होंने आंकड़ों बताते हुए कहा कि शराब की खपत 140 फीसदी बढ़ी है, लेकिन राजस्व में सिर्फ 29 फीसदी की ही बढ़ोतरी हुई है।
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आदिवासियों को ठग रही सरकार
मप्र कांग्रेस वन एवं पर्यावरण प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. एसपीएस तिवारी ने सरकार पर आदिवासियों को ठगने का आरोप लगाया। उन्होने कहा कि सरकार आदिवासी/वनवासी भाई-बहनों के हित में कोई काम न करते हुए इनके अधिकारों का हनन कर रही है। 20 लाख तेन्दूपत्ता संग्राहक हैं और प्रतिवर्ष लगभग औसतन 20 लाख मानक बोरा तेन्दूपत्ता संग्रहण होता है और औसतन लगभग 1,200 करोड़ रुपए का तेन्दूपत्ता का व्यापार मध्यप्रदेश शासन, वन विभाग, करता है। तेन्दूपत्ता संग्राहकों की संग्रहण मजदूरी दर 3,000/- प्रति मानक बोरा है, जबकि छत्तीसगढ़ में 4,000/- प्रतिमाह बोरा है।
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