बीजेपी के गढ़ बिलासपुर में सेंध लगाने में सफल रही कांग्रेस, आगामी चुनाव में क्या फिर सफल होगी या भगवा की वापसी

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Vivek Sharma
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बीजेपी के गढ़ बिलासपुर में सेंध लगाने में सफल रही कांग्रेस, आगामी चुनाव में क्या फिर सफल होगी या भगवा की वापसी

BILASPUR. बिलासपुर शहर जो अपनी सुगंधित चावल की किस्म के लिए जाना जाता है जिसका नाम है दूबराज चावल यही नहीं हैंडलूम से बुने हुए रंगीन नरम कोसा की रेशमी साड़ियों के लिए भी बिलासपुर मशहूर है। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के यहां होने से इस जगह को न्यायधानी यानि न्याय की राजधानी भी कहते हैं। बिलासपुर का नाम बिलासा बाई केवटिन के नाम पर रखा गया है, इसका जिक्र 1902 के गजेटियर में भी किया गया है। गजेटियर के एक अंश में 350 साल पहले एक मछुआरन बिलासा के नाम पर इस शहर के नामकरण होने की बात कही गई है। बिलासपुर को बिलासा नाम की एक केंवटिन के नाम पर रखा गया है. इस बात का जिक्र भूगोल की पुस्तकों में भी देखा गया है। बिलासा को लोग देवी स्वरूप पूजते भी हैं। छत्तीसगढ़ का गठन होने के बाद से ही ये सीट पूरी तरह से बीजेपी का गढ़ साबित हुई। रमन सरकार में मंत्री रहे अमर अग्रवाल पिछले करीब 15 सालों से यहां विधायक चुने जा रहे हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस के शैलेष पांडे ने उन्हें पटखनी दे दी।



सियासी मिजाज




  • एकीकृत मध्यप्रदेश की सबसे पुरानी विधानसभाओं में से एक है बिलासपुर।


  • 1952 में बनी थी बिलासपुर विधानसभा सीट।

  • 1998 से 2018 तक ही बीजेपी के कब्जे में रही बिलासपुर विधानसभा सीट।

  • कांग्रेस के शैलेष पांडे ने 2018 में चुनाव जीता।

  • इस सीट पर हिंदू करीब 87 प्रतिशत,

  • मुस्लिम आबादी करीब 7 प्रतिशत, बाकि अन्य जातियों के वोटर्स मौजूद।



  • मुद्दे



    रायपुर के बाद बिलासपुर को राज्य का सबसे बड़ा और डेवलेप्ड शहर माना जाता है. यहां पर आधुनिक सुविधाओं के साथ-साथ हाईकोर्ट में भी है जो शहर की शान बढ़ाता है। हालांकि, कई समस्याएं ऐसी हैं जिनसे स्थानीय नागरिक परेशान हैं। नागरिकों का कहना है कि अभी सीवरेज का काम पूरा नहीं हो पाया है।  सीवरेज की मांग यहां के नागरिकों प्रमुख मांगों में से एक रही है लेकिन काम की रफ्तार लोगों की समस्या का विषय बनी हुई है। इसके अलावा बिलासपुर के पास ही बहने वाली अरपा नदी का खत्म होना यहां की प्रमुख समस्याओं में से एक रहा है। स्थानीय नागरिकों ने कई बार अरपा नदी को बचाने सत्याग्रह, आंदोलन तक किए हैं, लेकिन अभी तक उसका कोई खास असर नहीं हुआ है। 



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    क्या कहती है क्षेत्र की जनता ? 



    बीजेपी के कब्जे में 18 साल रहने के बावजूद बिलासपुर विधानसभा सीट को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता है। अब ये बात सुनने में अटपटी सी जरूर लगती है। पिछले चुनाव में मिली जीते के बाद कांग्रेस उत्साहित है। बीजेपी के गढ़ में सेंध लगाने में सफल हुए कांग्रेस विधायक शैलेष पांडे एक बार चुनावी समर में उतर सकते हैं। विधायक पांडे का दावा है कि बीजेपी के शासन में यहां कोई विकास कार्य नहीं हुए जबकि उनके कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण कार्य हुए। शहर की पहचान भी बदली है। वहीं बीजेपी के पूर्व विधायक और कद्दावर नेता अमर अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस शासन में यहां विकास कार्य पूरी तरह से ठप रहे।  



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