कांग्रेस समेत 19 दलों का नई संसद के उद्घाटन से बहिष्कार, राष्ट्रपति को ना बुलाने से नाराजगी, बोले- निरंकुश PM के खिलाफ लड़ाई जारी

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Atul Tiwari
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कांग्रेस समेत 19 दलों का नई संसद के उद्घाटन से बहिष्कार, राष्ट्रपति को ना बुलाने से नाराजगी, बोले- निरंकुश PM के खिलाफ लड़ाई जारी

BHOPAL. कांग्रेस समेत 19 विपक्षी पार्टियों ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। इन सभी ने एक संयुक्त बयान जारी किया है। बयान में कहा गया है कि लोकतंत्र की आत्मा को संसद से निष्कासित कर दिया गया है। हमें इस इमारत में कोई मूल्य नहीं दिखता है। इसलिए हमने नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने का फैसला किया है। हम इस निरंकुश प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे। 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। 28 मई को विनायक दामोदर सावरकर जयंती है, इसी दिन को उद्घाटन के लिए चुना गया है।



इन पार्टियों ने किया बहिष्कार




  • 1. कांग्रेस


  • 2. द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके)

  • 3.आम आदमी पार्टी (आप)

  • 4. शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)

  • 5. समाजवादी पार्टी

  • 6. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई)

  • 7. झारखंड मुक्ति मोर्चा 

  • 8. केरल कांग्रेस (मणि)

  • 9. विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची

  • 10. राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी)

  • 11. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी)

  • 12. जनता दल (यूनाइटेड) (जेडीयू)

  • 13. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी)

  • 14. भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (सीपीआईएम)

  • 15. राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी)

  • 15. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग

  • 17. नेशनल कांफ्रेंस

  • 18. रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी

  • 19. मारुमलार्थी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके)



  • राष्ट्रपति के अपमान का आरोप



    नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को नहीं बुलाने पर सवाल उठ रहे हैं। नेताओं का कहना है कि भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों से ना कराकर पीएम मोदी से कराना प्रेसिडेंट का अपमान है। इसलिए ही एक के बाद एक राजनीतिक दल समारोह का बहिष्कार करते जा रहे हैं। संविधान के अनुच्छेद 19 का हवाला देते हुए बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति ना केवल भारत में राज्य का प्रमुख होता है, बल्कि संसद का एक अभिन्न अंग भी होता है। वह संसद को बुलाते हैं, सत्रावसान करते हैं और संबोधित करते हैं। राष्ट्रपति के बिना संसद कार्य नहीं कर सकती है। फिर भी प्रधानमंत्री ने उनके बिना नए संसद भवन उद्घाटन करने का फैसला लिया है। यह अशोभनीय कृत्य राष्ट्रपति के उच्च पद का अपमान है और संविधान और उसकी भावना का उल्लंघन है।



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    सबके अपने-अपने तर्क



    खड़गे बोले- बीजेपी-RSS की सरकार में राष्ट्रपति का पद महज नाम का



    कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि ऐसा लगता है कि मोदी सरकार सिर्फ चुनावी फायदा उठाने के लिए दलित और आदिवासी समुदाय से राष्ट्रपति बनाती है। बीजेपी-आरएसएस की सरकार में राष्ट्रपति पद दिखावटी रह गया है। 21 मई को राहुल गांधी ने अपने सोशल मीडिया हेंडल पर लिखा- संसद के नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ही करना चाहिए, प्रधानमंत्री को नहीं। न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, कांग्रेस ने कहा- 28 मई को हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर की जयंती है। इस दिन नए संसद भवन का उद्घाटन करना राष्ट्र निर्माताओं का अपमान है। 



    आप, एनसीपी, उद्धव गुट और डीएमके ने ये कहा



    आप नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि संसद भवन के उद्घाटन समारोह में महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी को आमंत्रित ना करना उनका घोर अपमान है। यह भारत के दलित आदिवासी और वंचित समाज का अपमान है। पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से महामहिम राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं करने के विरोध में आम आदमी पार्टी उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार करेगी।



    राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रवक्ता ने बताया कि एनसीपी नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होगी। पार्टी ने इस मुद्दे पर अन्य समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों के साथ खड़े होने का फैसला किया है। उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने कहा कि सभी विपक्षी दलों ने 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने का फैसला किया है और हम भी ऐसा ही करेंगे। वहीं, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम यानी डीएमके पार्टी की सांसद तिरुचि शिवा ने कहा कि हमारी पार्टी भी नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होगी। हमने बहिष्कार करने का फैसला लिया है।



    टीएमसी के ओ'ब्रायन बोले- नई संसद का उद्घाटन पीएम के मैं, मेरा से ज्यादा कुछ नहीं



    लोकसभा में टीएमसी के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि टीएमसी 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करेगी। राज्यसभा में टीएमसी के नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने ट्विटर पर लिखा कि संसद सिर्फ एक नई इमारत नहीं है। यह पुरानी परंपराओं, मूल्यों, मिसालों और नियमों के साथ एक प्रतिष्ठान है। यह भारतीय लोकतंत्र की नींव है। प्रधानमंत्री मोदी शायद यह नहीं समझते। उनके लिए नई इमारत का उद्घाटन 'मैं, मेरा और मेरे लिए' से ज्यादा कुछ नहीं है। इसलिए हमें इससे बाहर ही समझें। उधर, भाकपा महासचिवडी राजा ने कहा कि उनकी पार्टी समारोह में शामिल नहीं होगी।



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    ओवैसी का नया प्रस्ताव



    एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि नई संसद की जरूरत है, इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता। मौजूदा संसद भवन को फायर डिपार्टमेंट की एनओसी ही नहीं है। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद पीएम ने एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसका एजेंडा एक राष्ट्र, एक चुनाव था। तकरीबन सभी पार्टियां इससे सहमत थीं। हालांकि मैंने और सीताराम येचुरी ने इसका विरोध किया था। मैंने नई लोकसभा बनाने का प्रस्ताव दिया था। उस वक्त पीएम मुझे पर बहुत नाराज हुए थे।



    ओवैसी ने कहा कि हमारा बस इस बात पर विरोध है कि पीएम नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन क्यों कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि थ्योरी ऑफ सेपरेशन ऑफ पॉवर संविधान का हिस्सा है। अगर पीएम उद्घाटन करेंगे तो ये संविधान का उल्लंघन होगा। प्रधानमंत्री को नए संसद भवन का उद्घाटन नहीं करना चाहिए। प्रधानमंत्री के अलावा राष्ट्रपति को भी इसका उद्घाटन नहीं करना चाहिए। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से इसका उद्घाटन करवाना चाहिए। अगर उनसे उद्घाटन नहीं कराया जाएगा तो हम (AIMIM) भी समारोह में शामिल नहीं होंगे।



    नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर विरोध क्यों?



    28 मई को दोपहर 12 बजे पीएम मोदी नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इस पर कांग्रेस नेताओं और कई अन्य विपक्षी नेताओं का मानना है कि पीएम की बजाय राष्ट्रपति को उद्घाटन करना चाहिए। कांग्रेस का कहना है कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति के हाथों ही होना चाहिए। राष्ट्रपति मुर्मू का नए संसद भवन का उद्घाटन लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक मर्यादा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक होगा। 



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    पीएम का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट, मोदी ने रखी थी आधारशिला



    नई संसद 862 करोड़ रुपए में बनकर तैयार हुई है। पुरानी संसद गोल है, जबकि नई तिकोनी है। प्रधानमंत्री ने 10 दिसंबर 2020 को इसकी आधारशिला रखी थी। नए संसद भवन का निर्माण 15 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था। इस बिल्डिंग को पिछले साल नवंबर में पूरा हो जाना था। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बनी ये बिल्डिंग प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इसे 28 महीने में बनाया गया।



    पुरानी बिल्डिंग से 17 हजार वर्गमीटर बड़ी है नई संसद



    पुराना संसद भवन 47 हजार 500 वर्गमीटर में है, जबकि नई बिल्डिंग 64 हजार 500 वर्ग मीटर में बनाई गई है यानी पुराने से नया भवन 17 हजार वर्ग मीटर बड़ा है। नया संसद भवन 4 मंजिला है। इसमें 3 दरवाजे हैं, इन्हें ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार नाम दिया गया है। सांसदों और VIPs के लिए अलग एंट्री है। इस पर भूकंप का असर नहीं होगा। इसका डिजाइन HCP डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने तैयार किया है। इसके आर्किटेक्ट बिमल पटेल हैं।



    नई संसद की खासियत




    • अभी लोकसभा में 590 लोगों की सीटिंग कैपेसिटी है। नई लोकसभा में 888 सीटें हैं और विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्यादा लोगों के बैठने का इंतजाम है।


  • अभी राज्यसभा में 280 की सीटिंग कैपेसिटी है। नई राज्यसभा में 384 सीटें हैं और विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्यादा लोग बैठ सकेंगे।

  • लोकसभा में इतनी जगह होगी कि दोनों सदनों के जॉइंट सेशन के वक्त लोकसभा में ही 1272 से ज्यादा सांसद साथ बैठ सकेंगे।

  • संसद के हर अहम कामकाज के लिए अलग-अलग ऑफिस हैं। ऑफिसर्स और कर्मचारियों के लिए भी हाईटेक ऑफिस की सुविधा है।

  • कैफे और डाइनिंग एरिया भी हाईटेक है। कमेटी मीटिंग के अलग-अलग कमरों में हाईटेक इक्विपमेंट लगाए गए हैं।

  • कॉमन रूम्स, महिलाओं के लिए लाउंज और VIP लाउंज की भी व्यवस्था है।



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    क्यों बनाई गई नई संसद?



    मौजूदा संसद भवन को 96 साल पहले 1927 में बनाया गया था। मार्च 2020 में सरकार ने संसद को बताया था कि पुरानी बिल्डिंग जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल (ओवर यूटिलाइज्ड) हो चुकी है और खराब हो रही है। इसके साथ ही लोकसभा सीटों के नए सिरे से परिसीमन के बाद जो सीटें बढ़ेंगीं, उनके सांसदों के बैठने के लिए पुरानी बिल्डिंग में पर्याप्त जगह नहीं है। इसी वजह से नई बिल्डिंग बनाई जा रही है।


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