NEW DELHI. अब नई संसद के उद्घाटन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर भारत के राष्ट्रपति द्वारा नई संसद का उद्घाटन करने के लिए लोकसभा सचिवालय और भारत सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट के वकील सीआर जया सुकिन ने याचिका दायर की है। इसमें कहा गया- उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को शामिल नहीं करके भारत सरकार ने भारतीय संविधान का उल्लंघन किया है। ऐसा करके संविधान का सम्मान नहीं किया जा रहा। याचिका में ये भी कहा गया है कि संसद भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। संसद राष्ट्रपति और दो सदनों राज्यसभा और लोकसभा से मिलकर बनती है। राष्ट्रपति के पास किसी भी सदन को बुलाने और सत्रावसान करने की शक्ति है। साथ ही संसद या लोकसभा को भंग करने की शक्ति भी राष्ट्रपति के ही पास है।
चार दल उद्घाटन में शामिल होंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इस पर जमकर सियासत हो रही है। कई विपक्षी दलों का कहना है कि देश की संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को करना चाहिए, प्रधानमंत्री को नहीं। विवाद के बीच कुछ विपक्षी दल इस उद्घाटन समारोह का हिस्सा होंगे। अकाली दल, बीजू जनता दल, जगन मोहन रेड्डी की पार्टी YSRCP और मायावती की बसपा इस समारोह में हिस्सा लेंगी।
जगन मोहन रेड्डी बोले- ऐसे आयोजन का बहिष्कार लोकतंत्र की भावना के अनुरूप नहीं
YSR कांग्रेस की ओर से आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी ने ट्वीट किया- इस भव्य और विशाल संसद भवन को राष्ट्र को समर्पित करने के लिए मैं पीएम नरेंद्र मोदी को बधाई देता हूं। संसद, लोकतंत्र का मंदिर होने के नाते, हमारे देश की आत्मा को दर्शाती है और हमारे देश के लोगों और सभी राजनीतिक पार्टियों की है। ऐसे शुभ आयोजन का बहिष्कार करना लोकतंत्र की सच्ची भावना के अनुरूप नहीं है। सभी राजनीतिक मतभेदों को दूर करते हुए मेरा अनुरोध है कि सभी दल इस आयोजन में शामिल हों। लोकतंत्र की सच्ची भावना में मेरी पार्टी इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में शामिल होगी।
I congratulate @narendramodi ji for dedicating the grand, majestic and spacious Parliament building to the nation. Parliament, being the temple of democracy, reflects our nation's soul and belongs to the people of our country and all the political parties. Boycotting such an…
— YS Jagan Mohan Reddy (@ysjagan) May 24, 2023
NDA ने की बहिष्कार करने वालों दलों पर साधा निशाना
इसके अलावा भाजपा को समर्थन देने वाले संगठन यानी NDA का कहना है कि वह 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के 19 राजनीतिक दलों के निर्णय की स्पष्ट रूप से निंदा करता है। एनडीए के बयान में कहा गया- 'यह फैसला केवल अपमानजनक नहीं है, यह हमारे महान राष्ट्र के लोकतांत्रिक लोकाचार और संवैधानिक मूल्यों का भी घोर अपमान है। अफसोस की बात है कि इस तरह के तिरस्कार का यह पहला मामला नहीं है। पिछले 9 साल में इन विपक्षी दलों ने बार-बार संसदीय प्रक्रियाओं के लिए बहुत कम सम्मान दिखाया है, संसद सत्रों को बाधित किया। यह हालिया बहिष्कार लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अवहेलना की उनकी टोपी में सिर्फ एक और पंख है।'
आप ये खबर भी पढ़ सकते हैं...
जयराम रमेश का पीएम पर कटाक्ष
कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष किया। जयराम रमेश ने कहा- यह एक व्यक्ति का अहंकार और आत्म-प्रचार की इच्छा है, जिसने पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति को संवैधानिक विशेषाधिकार से वंचित कर दिया। उन्हें मोदी द इनोग्रेट (उद्घाटन) कहना चाहिए।
इन दलों ने किया उद्घाटन समारोह का विरोध
कांग्रेस, डीएमके (द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम), AAP, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), समाजवादी पार्टी, भाकपा, झामुमो, केरल कांग्रेस (मणि), विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची, रालोद, टीएमसी, जदयू, एनसीपी, सीपीआई (एम), आरजेडी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, नेशनल कॉन्फ्रेंस, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और मरुमलार्ची द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (एमडीएमके)।
गुलाम नबी आजाद ने नई संसद को जरूरी बताया
डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के प्रमुख गुलाम नबी आजाद ने भी नई संसद के उद्घाटन को लेकर मचे विवाद के बीच एक अहम बयान दिया। उन्होंने कहा, जिस समय पीवी नरसिम्हा राव पीएम थे, शिवराज पाटिल स्पीकर थे और मैं संसदीय कार्य मंत्री था। तब शिवराज जी ने मुझसे कहा था कि एक नया और बड़ा संसद भवन 2026 से पहले बनकर तैयार होना चाहिए। नया भवन तब से बनाना जरूरी था। ऐसे में यह तो अच्छा हुआ कि अब बन गया है। मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता कि उद्घाटन समारोह में कौन शामिल होगा या कौन बहिष्कार करेगा।