अलताफ अहमद, MULTAI. नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव को लेकर न्यायालय में प्रस्तुत याचिका पर मंगलवार को न्यायालय ने नगर पालिका परिषद अध्यक्ष पद के निर्वाचन को शून्य घोषित करने का निर्णय दिया है। प्रथम जिला सत्र न्यायाधीश पीठासीन अधिकारी ने नगर पालिका परिषद मुलताई के अध्यक्ष पद का निर्वाचन अवैध और शून्य घोषित किया है। प्रथम जिला सत्र न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता और अंबेडकर वार्ड की पार्षद वर्षा दिनेश गड़ेकर द्वारा प्रस्तुत याचिका की सुनवाई उपरांत यह निर्णय दिया है।
चुनाव प्रक्रिया को चुनौती देते हुए न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की थी
प्रथम जिला सत्र न्यायाधीश ने जिला निर्वाचन अधिकारी कलेक्टर को निर्देश दिए हैं कि एक माह के भीतर पुनः नियमानुसार और विधिवत नगर पालिका अध्यक्ष मुलताई के निर्वाचन की प्रक्रिया संधारित करें। गौरतलब है कि नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में तत्कालीन भाजपा पार्षद नीतू प्रहलाद सिंह परमार ने बगावत करते हुए कांग्रेस के पार्षदों का सहयोग लेकर अध्यक्ष पद पर जीत दर्ज की थी। चुनाव के बाद अध्यक्ष पद के चुनाव में प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार भाजपा पार्षद वर्षा गड़ेकर ने चुनाव नियमानुसार नहीं होने का तर्क देते हुए चुनाव प्रक्रिया को चुनौती देते हुए न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की थी।
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चुनाव में गड़बड़ी पर अवैध घोषित करने का आग्रह किया था
न्यायालय ने मामले में सुनवाई करते हुए वर्षा गडेकर और नगर पालिका अध्यक्ष नीतू सिंह परमार को मिले वोटों में से तीन-तीन मतों को अवैध घोषित किया एवं फिर से चुनाव कराने के आदेश दिए हैं। वहीं जो चुनाव हुआ था उसे अवैध और शून्य घोषित कर दिया है। अधिवक्ता राजेंद्र उपाध्याय ने बताया कि वर्षा गडेकर की ओर से न्यायालय में जो आवेदन प्रस्तुत किया गया था। उसमें बताया गया था कि जो मत पार्षदों ने अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए डाले थे उस पर निशान लगाकर पहचान करते हुए मत डाले गए हैं इसके अलावा भी चुनाव में गड़बड़ी हुई है। जिसको लेकर उन्होंने इस चुनाव को अवैध घोषित करने का आग्रह किया था।
एक महीने के अंदर चुनाव कराने के आदेश
साथ ही न्यायालय ने बैतूल कलेक्टर को एक माह के अंदर मुलताई नगर पालिका अध्यक्ष का दोबारा चुनाव करवाने का आदेश दिया है। बता दें कि भाजपा के बागी पार्षदों की मदद से मुलताई में कांग्रेस की नीतू परमार नपाध्यक्ष बनी थी। कोर्ट के इस फैसले से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है।