JODHPUR. राजस्थान में गुरुवार को अजीब विरोधाभासी स्थिति देखने को मिली। एक तरफ राजस्थान विधानसभा में शवों के सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार को लेकर विधेयक पारित किया जा रहा था, दूसरी ओर ओसियां में कांग्रेस की ही विधायक दिव्या मदेरणा उस भीड़ का नेतृत्व कर रही थी जो बुधवार को मारे गए चार लोगों को अंतिम संस्कार नहीं होने दे रही थी और मुआवजे की मांग कर रही थीं।
राजस्थान में मृत शरीर का सम्मान विधेयक पारित
राजस्थान विधानसभा में गुरूवार को राजस्थान मृत शरीर का सम्मान विधेयक पर चर्चा हुई और इसे पारित किया गया। अहम बात यह थी कि जिस समय सदन में इस विधेयक पर चर्चा हो रही थी, उसी समय मुख्यमंत्री के गृह जिले जोधपुर के ओसियां वे चार मृत देह अंतिम संस्कार का इंतजार कर रही थी, जो बुधवार को एक वहशी रिश्तेदार के पागलपन का शिकार हुई थी। घटना के 24 घंटे बाद भी इन मृत देहों का अंतिम संस्कार नहीं हो पाया था। बुधवार शाम से ही ग्रामीण व समाज के लोग एक करोड रूपए के मुआवजे और मृत पूनाराम के दोनों बेटों को सरकारी नौकरी की मांगों पर अड़े हुए थे। इस भीड़ का नेतृत्व कांग्रेस की ही विधायक दिव्या मदेरणा कर रही थीं। आरएलपी के खींवसर विधायक नारायण बेनीवाल, भोपालगढ विधायक पुखराज गर्ग व मेडता विधायक इंद्रा बावरी व पूर्व विधायक भैराराम सियोल भी मौके पर थे।
अंतिम संस्कार घर के बाहर ही करने की मांग रखी
बुधवार तडके गंगाणियों की ढाणी निवासी पूनाराम जाट व उनके परिवार के चार सदस्यों की उनके भतीजे पप्पूराम ने हत्याकर शवों को जलाने का प्रयास किया गया था। पुलिस ने घटना की जानकारी मिलने के कुछ घंटों बाद ही हत्या का खुलासा करते हुए आरेापी को गिरफ्तार कर लिया था। मौके पर ही शवों का पोस्टमार्टम भी करवाया गया, लेकिन इस दौरान घटना स्थल पर जमा समाज के लोगों ने शव लेने से इनकार कर दिया। पीड़ित परिवार को एक करोड़ रुपए का मुआवजा, पूनाराम के बेटों को सरकारी नौकरी, आरोपी की जमीन को कुर्क कर ओरण बनाने और अंतिम संस्कार घर के बाहर ही करने की मांग रखी।
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सरकार ने कहा पांच साल में 300 घटनाएं ऐसी हो चुकी हैं
प्रदर्शन के समय ही विधानसभा में सरकार की ओर से लाए गए मृत शव का सम्मान विधेयक पर चर्चा हो रही थी। चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने इस बात का उल्लेख भी किया कि यदि यह बिल कानून बनता है तो सबसे पहले गिरफ्तारी दिव्या मदेरणा की ही होगी। राठौड़ ने इस बिल को प्रदर्श करने के प्रजातांत्रिक अधिकार का उल्लंघन बताते हुए इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि सरकार एक ओर तो मृत शरीर के सम्मान की बात कर रही है और दूसरी ओर पुलिस को शव कब्जे में लेकर जबर्दस्ती अंतिम संस्कार का अधिकार दे रही है।
5 साल में ऐसी 300 से ज्यादा घटनाएं हो चुकी
वहीं बिल पर चर्चा का जवाब देते हुए संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि शव को सड़क पर रख कर प्रदर्शन करने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के पांच साल में ऐसी 82 घटनाएं हुई थी और 30 मामले दर्ज हुए थे, वहीं पिछले पांच साल में ऐसी 300 से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं और 90 से ज्याद मामले दर्ज हो चुके है। ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ रही है, इसीलिए यह कानून लाना पड़ा है। चर्चा के बाद कानून को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।