BHOPAL. महाकवि निराला ने 'राम की शक्ति पूजा' में एक बिंब गढ़ा है- 'स्तब्ध है पवन चार'। यानी राम उदास बैठे हैं और इतनी खामोशी है कि चारों दिशाओं की हवा भी एकदम शांत है। इस समय देश में भी कुछ ऐसी ही स्तब्धता है। ओडिशा की रेल दुर्घटना ने सबको हिला दिया है। किसी की 'जरा' सी लापरवाही ने 288 से ज्यादा जिंदगियां लील लीं। बताया जा रहा है कि सिग्नल देने में कुछ गड़बड़ी हुई। वजह चाहे जो हो, जिनके अपने चले गए, उनकी भरपाई कौन करेगा? उन्हें ना तो किसी के आरोप दिलासा दे सकते हैं और ना ही किसी के तर्क। जोर-शोर से प्रचारित किया गया रेलवे का 'कवच' कहां है और कब तक हर पटरी को सुरक्षित करेगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। इस बीच, दिल्ली में एक सरफिरे ने एक लड़की को सड़क (जिस पर लोग आ-जा रहे थे) पर चाकू से कई वार किए, फिर पत्थर से कुचल दिया। आरोपी तो जो है, वो है, लोगों की असंवेदनशीलता की इंतेहां डराने वाली है। सोशल मीडिया पर खुद को जरूरत से ज्यादा सोशल दिखाने वाले रियल में चौंकाने की हद तक अनसोशल हो चुके हैं। इधर, एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में चुनावी सरगर्मी है। दिल्ली में 'हाथ' वालों की बड़ी मीटिंग थी, लेकिन मध्यप्रदेश के एक तेजतर्रार नेता को ही नहीं ले जाया गया। ये वही नेता हैं, जिन्होंने कभी राहुल गांधी को अपनी बुलेट पर बैठाया था। अब मीटिंग में नहीं थे तो राहुल ने उन्हें वर्चुअली जोड़ा। 'हाथ' वालों का दावा है कि मध्यप्रदेश में 150 सीटें लाएंगे। 'कमल' वाले मध्यप्रदेश में 200 सीटें लाने के दावे से टस से मस नहीं हो रहे। ज्यादा नहीं, 6 महीने में सब साफ हो जाने वाला है। इस बीच कई खबरें पकीं, कई गर्म हुईं, कुछ पकते-पकते रह गईं, आप तो सीधे अंदरखाने उतर आइए...
गोपाल-गोविंद बने मुसीबत
बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों अपने सीनियर नेताओं की बेबाकी से बैचेन हैं। गोपाल हो या गोविंद दोनों नेता अपनी-अपनी पार्टी में सबसे सीनियर हैं, दोनों में एक-सी समानता है। बीजेपी विपक्ष में आई तो गोपाल नेता प्रतिपक्ष बने और कांग्रेस विपक्ष में आई तो गोविंद नेता प्रतिपक्ष बने, लेकिन दोनों का दर्द है कि उनकी सीनियरिटी का सम्मान उनकी पार्टी में नहीं हो रहा। यही वजह है कि दोनों नेता जब भी मुंह खोलते हैं तो पार्टी के लिए मुसीबत बनते हैं, पहले गोपाल ने भूपेन्द्र के खिलाफ मोर्चा खोलकर सरकार को कटघरे में खड़ा किया। अब गोविंद ने बयान जारी कर अपनी ही पार्टी के मुखिया पर सवालिया निशान लगा दिए। हालांकि हाईकमान की फटकार के बाद दोनों के सुर बदले और दोनों ने वीडियो जारी कर अपनी सफाई भी दी।
सबै भूमि... मंत्री की
एक मंत्री जी ने तो कमाल कर दिया, अपने होटल व्यवसायी के नाम इतनी जमीन खरीदी कि अब जिले के लोग बोलने लगे हैं कि सबै भूमि...मंत्री की। मंत्री ने अपने भाई को शराब और खदानों के ठेके दिलवा दिए हैं। मंत्री जी की धुआंधार बल्लेबाजी के चलते उन्होंने उन धुरंधर मंत्रियों को भी पछाड़ दिया जो काला-पीला करने में मास्टर माने जाते थे। मंत्री जी कम बोलो पर सबसे तेज शतक मारने वाले बल्लेबाज बन गए हैं, धनकुबेर मंत्रियों की सूची में मंत्री जी की नाम टॉप-3 में शामिल हो गया है। वैसे बता दें ये मंत्री जी अपना संबंध संघ से बताते हैं और धार्मिक नगरी में इनका निवास है....बम बम भोले...।
बदलने लगी आस्थाएं
सत्ता में सबसे पहले कोई रंग बदलता है तो वो अफसर हैं, इनके सुर बदलने लगें तो समझ में आ जाता है कि मानसून किस ओर जा रहा है। अभी चुनाव में 6 माह का समय है, लेकिन अफसरों की अस्थाएं बदलने लगी हैं। श्यामला हिल्स में काका के बंगले पर अफसरों के फोन कॉल्स जाना शुरू हो गए हैं। कुछ अफसर अब अपने आप को पहले वाले मुखिया के खास बताने लग गए हैं। कुछ दोनों नाव में सवार हैं मामा से भी संबंध बनाकर रखें और काका से भी बुराई नहीं। 6 माह बाद जिसके सितारे बुलंदी पर होंगे उसका झंडा उठा लेंगे।
माननीय से बिगड़ी बडे़ साहब की बात
जांच एजेंसी के मुखिया बोले तो माननीय इन दिनों फुल एक्शन में हैं। माननीय के एक्शन से सरकार भारी टेंशन में है। सरकार और माननीय के बीच बढ़ रहे मतभेद को कम करने के लिए बड़े साहब ने प्रयास किया था, लेकिन बात बनने की बजाय बिगड़ गई। बड़े साहब के ईगोस्टिक अंदाज से माननीय ऐसे नाराज हुए कि उसके बाद से सरकार की परेशानियां बढ़ गईं। हाल ही में महाकाल मूर्ति टूटने के मामले में माननीय ने स्वत: संज्ञान लेकर भी सरकार को टेंशन में ला दिया है। माननीय का कार्यकाल अक्टूबर में खत्म हो रहा है, ऐसे में माना जा रहा है कि वे जाने से पहले महाकाल लोक पर अपनी रिपोर्ट देकर जाएंगे, यदि साहब ने नेगेटिव रिपोर्ट दे दी तो विपक्ष को बैठे बिठाए चुनाव से पहले बड़ा मुद्दा मिल जाएगा।
क्यों बेचैन हैं कलेक्टर
पीएचई के दबंग इंजीनियर को मंत्रालय के साहब लोगों ने संट क्या किया, उस जिले के कलेक्टर बेचैन हो गए। कलेक्टर साहब ने अपने संबंधों का हवाला देते हुए मंत्रालय के बड़े साहब को फोन खटखटाकर इंजीनियर को राहत देने की गुहार भी लगाई। मंत्रालय के साहब ने इस मामले में हाथ खड़े कर दिए। इसके बाद कलेक्टर साहब ने इधर-उधर भी हाथ-पैर मारे, लेकिन सफलता नहीं मिली। इंजीनियर के लिए कलेक्टर की बेचैनी चर्चा में है। अंदरखाने के लोग बता रहे हैं कि इंजीनियर उनके लिए दुधारू गाय थे, हर माह अच्छा खासा प्रोटीन-विटामिन मिल रहा था।
दाऊद पर नाराज हुए पंडित जी
पीएचई महकमे में दाऊद इब्राहिम के नाम से मशहूर इंजीनियर अब साहब के निशाने पर आ गए हैं। दरअसल, जल शक्ति मंत्रालय के चेयरमैन के प्रोटोकॉल में लापरवाही होने पर मामला इतना बिगड़ा कि विभाग के मुखिया को केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र शेखावत की नाराजगी झेलनी पड़ी। इसके बाद साहब अरे अपने पंडित जी ने दाऊद की क्लास लगा दी। इंजीनियर साहब को ये नाम साहब ने ही दिया है। हम आपको बता दें कि साहब बड़े शांत और सहज स्वभाव के हैं, लेकिन जब वे नाराज होते हैं तो अधीनस्थों की नींद उड़ जाती है।