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BHOPAL. राहुल गांधी इन दिनों ब्रिटेन दौरे पर गए हुए हैं। वहां उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में लेक्चर दिया। यहां उन्होंने पेगासस मुद्दे को उछाला। अब 4 मार्च को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राहुल गांधी के पेगासस बयान पर निशाना साधा। शिवराज ने कहा कि पेगासस राहुल गांधी के फोन में नहीं, उनके दिमाग में है। पेगासस कांग्रेस के डीएनए में आ गया है। मुझे उनकी बुद्धि पर तरस आता है। कांग्रेस का नया एजेंडा है, विदेशी धरती पर भारत को बदनाम करो।
शिवराज ने ये भी कहा कि विदेशी धरती पर देश की आलोचना करना देशविरोधी कदम है। कांग्रेस और राहुल गांधी को देश और देश की जनता कभी माफ नहीं करेगी। कांग्रेस देश से साफ होती जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोगों के दिल में बसे हैं। देश की कीर्ति और प्रतिष्ठा दुनिया में चारों तरफ बढ़ रही है। पूरी दुनिया के राष्ट्र प्रमुख कहते हैं, मोदी जैसा कोई नहीं।
शिवराज के बयान पर कमलनाथ ने भी ट्वीट किया
दूसरी बात, राहुल जी के बारे में असभ्य भाषा का प्रयोग कर आप अपने बौद्धिक स्तर का प्रदर्शन कर रहे हैं। सच्चाई यह है कि पेगासस पर बात करने का उन्हें कोई अधिकार नहीं है जो मध्यप्रदेश के विधायकों को चीन में असेंबल्ड टेबलेट दिलवा रहे हैं।
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) March 4, 2023
लंदन में ये बोले थे राहुल
कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत में लोकतंत्र खतरे में है। उन्होंने कहा कि भारत में नेताओं के फोन में पेगासस था। मेरे फोन में भी पेगासस था। राहुल ने दावा किया कि उन्हें अधिकारियों ने सलाह दी थी कि वे फोन पर संभलकर बात करें, क्योंकि आपके फोन की रिकॉर्डिंग की जा रही है।
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कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत में लोकतंत्र खतरे में है। हम लोग एक निरंतर दबाव महसूस कर रहे हैं। विपक्षी नेताओं पर केस किए जा रहे हैं। मेरे ऊपर कई केस किए गए। ऐसे मामलों में केस किए गए, जो बनते ही नहीं। हम अपना बचाव करने की कोशिश कर रहे हैं।
काफी चर्चा में रहा था पेगासस मामला
पेगासस एक जासूसी सॉफ्टवेयर है, इसे स्पाईवेयर भी कहा जाता है। इसे इजरायली सॉफ्टवेयर कंपनी एनएसओ ने बनाया है। पेगासस सॉफ्टवेयर के फोन में जाते ही फोन सर्विलांस डिवाइस के तौर पर काम करने लगता है। इससे एंड्रॉयड और आईओएस दोनों को टारगेट किया जा सकता है। एक रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें दावा किया गया था कि 2019 में ही भारत में कम से कम 1400 लोगों के निजी मोबाइल या सिस्टम की जासूसी हुई थी। कहा गया कि इसमें 40 मशहूर पत्रकार, विपक्ष के तीन बड़े नेता, संवैधानिक पद पर आसीन एक बड़ा नाम, केंद्र सरकार के दो मंत्री, सुरक्षा एजेंसियों के कई आला अफसर, दिग्गज उद्योगपतियों की जासूसी कराई गई। काफी हंगामे के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।