''उधर'' की पोस्टर प्लानिंग ''इधर'' कैसे आ गई, ''नंबर 2'' मंत्री की अपने ही विभाग से मात, मीटिंग में मंत्री-सांसद की तू-तू मैं-मैं

author-image
Harish Divekar
एडिट
New Update
''उधर'' की पोस्टर प्लानिंग ''इधर'' कैसे आ गई, ''नंबर 2'' मंत्री की अपने ही विभाग से मात, मीटिंग में मंत्री-सांसद की तू-तू मैं-मैं

BHOPAL. जून गुजरने के मुहाने पर है। आसमान पर छाए बादल पुरकशिश तस्दीक करा रहे हैं कि मॉनसून आ चुका है। इसके साथ ही घनघोर तपिश से निजात मिल गई है। गुजरा हफ्ता 'साहेब' के अमेरिका के राजकीय दौरे के नाम रहा। महाशक्ति की सरजमीं मोदीमय हो गई। अमेरिकी राष्ट्रपति और पत्नी, प्रशासन, वहां के कारोबारी, प्रवासी...हर किसी की जुबां पर 'साहेब' का नाम था। कोई विदेशी प्रधानमंत्री मोदी के पैर पड़ लेता है, कोई उन्हें बॉस बोलता है। भले ही अमेरिका के हित हों, लेकिन उनके मुखिया का भारत के प्रधानमंत्री को ऐसी तवज्जो देना उनके रसूख को दिखाता है। 'साहेब' विदेश में हैं, लेकिन देश में उन्हें पटखनी देने के लिए रणनीति तैयार की जा रही हैं। बिहार की धरती पर कई विपक्षी दल जुटे। कई बातें हुईं, कुछ खींचतान भी दिखी। लब्बोलुआब यही निकला कि सभी दल थोड़ा इगो को दूर रखें और आपस में राजनीति ना करें। लालू जी ने राहुल गांधी से शादी करने का बोल डाला। विपक्षी धड़े ने एकजुटता दिखाई तो बीजेपी को भी निशाना साधने का मौका मिल गया। अब विपक्षी कवायद रंग लाएगी या 'साहेब' की ही तूती बोलेगी, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। इधर, मध्य प्रदेश में चुनावी सरगर्मी बढ़ी हुई है। शिव-कमल-दिग्विजय शब्दभेदी बाण चला रहे हैं। वैसे तो प्रदेश में कई खबरें पकीं, कुछ अधपकी रह गईं, कुछ खुशबू बिखेरकर निकल गईं, आप तो बस सीधे अंदरखाने उतर आइए...





फंड पर भिड़ीं मंत्री-सांसद





एक आदिवासी जिले की जिला माइनिंग फंड की बैठक में महिला मंत्री और महिला सांसद आपस में भिड़ गए। कलेक्टर को समझ ही नहीं आया कि मामले को कैसे मैनेज किया जाए। जिला माइनिंग फंड की बैठक में मंत्री-विधायक अपने-अपने काम लेकर पहुंचे। वहीं, सांसद वीडियो कान्फ्रेंसिंग से जुड़ीं। बैठक में जैसे ही सांसद ने अपने कामों की सूची बताना शुरू की, वैसे ही मंत्री भड़क गईं, उन्होंने कहा कि जहां से चुनाव हारती हो, वहां सांसद निधि का पैसा खर्च कर देती हो, जहां से वोट मिलते हैं, वहां काम कराने के लिए माइनिंग फंड चाहिए। इस पर सांसद ने मंत्री से कहा कि अपने काम से काम रखिए, बीच में बोलने की जरूरत नहीं है। मामला आगे बढ़ा तो कलेक्टर ने हाथ जोड़कर दोनों को शांत करवाकर जैसे-तैसे मीटिंग निपटाकर चैन की सांस ली। 





मंत्री जी की किरकिरी





कहने को तो मुख्यमंत्री के बाद दूसरे नंबर के मंत्री हैं, लेकिन उनका सिक्का अपने विभाग में ही नहीं चलता। अब देखिए ना, चाहने वाले 6 अधिकारियों के नाम तबादला सूची में शामिल किए थे, लेकिन ऊपर वालों ने उस पर कैंची चला दी। भला हो उस बंदे का, जिसने तबादला सूची जारी होने से पहले ही लीक कर दी, जिससे मंत्रीजी की आंखे खुल गईं। अपनों का नाम ना देख मंत्रीजी के त्यौरियां चढ़ गई, उन्होंने ऊपर से नीचे तक फोन घनघना दिया। मामला गरमाता देख पूरी तबादला सूची ही होल्ड हो गई। जिनके तबादले अटक गए, वो मंत्री को भला बुरा कह रहे हैं और जिनका नाम कट गया वो अब दूसरा दरवाजा देख रहे हैं, जिससे तबादला सूची जारी हो तो उनके नाम जुड़ जाएं।





मेरा नहीं तो तेरा भी नहीं...





किसी ने खूब कहा है कि आदमी जितना बड़ा होता जाता है, उसका दिल उतना ही छोटा होता जाता है। ये बात बड़े शहर के महापौर और अध्यक्ष पर फिट बैठती है। एक बंगले को लेकर दोनों में जमकर खींचतान हुई। गृह विभाग के अफसर भी परेशान कि किसे दें, किसे नहीं। अफसर ठहरे सयाने, ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर.. वाली पट्टी पर चलते हुए बंगले को संघ की सहयोगी संस्था को अलॉट कर दिया। इसे कहते हैं- दो बंदरों की लड़ाई में बिल्ली रोटी खा गई। अब चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि महापौर पर एक मंत्री का हाथ है तो अध्यक्ष को भाईसाहब का टेका मिला हुआ है। 





पोस्टर वॉर का मास्टरमाइंड कौन?





कांग्रेस, कर्नाटक की तर्ज पर भ्रष्टाचारी सरकार होने का हमला करने की रणनीति बनाती रह गई और उधर शहर में कमलनाथ को करप्शन नाथ बताने वाले पोस्टर लग गए। पोस्टर सोशल मीडिया में वायरल हुए तो सुबह से राजनीति गरमा गई, शाम होते होते कांग्रेस ने भी 18 साल शिवराज के कुशासन और विनाश की एक रील बनाकर वायरल कर दी। अब कांग्रेस और बीजेपी दोनों में इस बात को लेकर चर्चा है कि पोस्टर वॉर का मास्टरमाइंड कौन है? कारण है कि इधर कांग्रेस से खबर लीक हुई, उधर किसी बल्लेबाज ने पोस्टर बनाकर लगा दिए। 





बुंदेलखंड के दो कलेक्टरों की टिकट कटना तय...





बुंदेलखंड के दो कलेक्टरों की टिकट कटना तय हो गई है। दोनों ही कलेक्टरों की लापरवाही से सरकार विवादों में आ गई। एक ने स्कूल में धर्म परिवर्तन के मामले को गंभीरता से नहीं लिया तो दूसरे ने प्रधानमंत्री आवास टूटने के मामले में लापरवाही कर दी। मुख्यमंत्री अभी हर जिले की बैठक कर कलेक्टर-एसपी की रिपोर्ट ले रहे हैं, चुनाव में कौन चल पाएगा, कौन नहीं। इसके बाद अफसरों को इधर-उधर गणित ज्ञान के साथ उठाया बैठाया जाएगा। निर्वाचन आयोग के तीन साल से ज्यादा जमे अफसरों को हटाने के फरमान पर अमल करते समय इन अफसरों को बदला जाएगा। 



MP News एमपी न्यूज Poster war in MP एमपी में पोस्टर वॉर BJP-Congress Strategy बीजेपी-कांग्रेस की रणनीति politics of MP BJP told Kamal Nath corruption in MP एमपी की राजनीति एमपी में बीजेपी ने कमलनाथ को बताया करप्शन नाथ