छत्तीसगढ़ में मोहन भईया का नुस्खा क्या है, किसके साथ हुआ गजब संयोग और कौन हैं जो खुद का रिकॉर्ड खुद ही तोड़ते हैं?

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Yagyawalkya Mishra
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छत्तीसगढ़ में मोहन भईया का नुस्खा क्या है, किसके साथ हुआ गजब संयोग और कौन हैं जो खुद का रिकॉर्ड खुद ही तोड़ते हैं?

मोहन भईया का नुस्खा



मोहन भईया यानी पीसीसी चीफ के नाम पूरा हफ्ता ही गुजर गया। मोहन मरकाम हटने वाले हैं से लेकर हटना हुआ तय तक का सफर खबरों ने तय कर लिया। लेकिन फिर वही हुआ यानी कुछ नहीं हुआ। मोहन मरकाम पीसीसी में कक्ष में बैठे बिही और पपीता खा रहे थे। इस सहाफी की ओर प्लेट बढ़ाते हुए मोहन भईया मुस्कुराते हुए बोले बिही पेट ठंडा करता है और पपीता दिमाग। सहाफी कुछ पूछता उसके पहले ही बोले- 'खुद को ठंडा रखोगे तो बाकी को ठंडा करने में आसानी होती है।'



अगर ये संयोग है तो गजब संयोग है



शांत सरल सहज व्यवहार के धनी टीएस सिंहदेव संयोग से एक दिन पहले दिल्ली गए। संयोग से संगठन प्रभारी कुमारी सैलजा भी दिल्ली उसी विमान से गईं। संयोग से लोकसभा गए, संयोग से वहीं सोनिया जी मिल गईं, संयोग से समय भी मिल गया और सोनिया जी से बात भी हो गई। इसके पहले संयोग एक और हुआ, सीपी यानी कांग्रेस प्रेसिडेंट मल्लिकार्जुन खड़गे से भी मुलाकात हो गई। संयोग ऐसा हुआ कि कुमारी सैलजा से भी इसी दिन चर्चा हुई। संयोग का संयोग देखिए, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत भी दिल्ली में थे। इस इन संयोगों के महासंयोग से यदि मरकाम जी बिही पपीता ना खाएं तो भला और क्या करेंगे।



आंकड़े में तो खेल हैं, पर दोनों चुप ये तो बड़ा झोल है



बस्तर इलाके से आने वाले सांसद जी ने लोकसभा में 5 साल के नक्सल वारदातों के आंकड़े मांग लिए। केंद्र सरकार ने जवाब के साथ दावा किया 77 फीसदी की कमी आई है। गौर से देखने पर पता चला ये तुलना 2010 से की गई थी। अब मसला 5 साल का है तो तुलना 12 बरस पहले के आंकड़े से क्यों? 2019 से लेकर फरवरी 2023 तक 894 घटनाएं दर्ज हैं, जबकि फोर्स ने 285 बार कार्रवाई की है यानि कि हमला किया है। 113 जवान शहीद हुए हैं जबकि 247 आम नागरिक मारे गए हैं, यानी कुल 360। जबकि इतनी ही अवधि में 203 नक्सली रिकॉर्ड में मारे गए हैं। अब इस पर बीजेपी का संसद में जवाब 2010 से आज की तुलना करता है, ताकि अपनी पीठ थपथपाई हो सके। परंपरा का पालन राज्य सरकार भी कर रही है, दावा यही कि हिंसा में 77 फीसदी कमी लेकिन ब्यौरे पर चुप्पी। सांसद भी नजाकत भांप चुप बैठे हैं।



ईडी को मिलेगी शराबियों की दुआ



ईडी के छापों और कार्रवाई के केंद्र में प्रदेश का आबकारी विभाग है। ताबड़तोड़ छापे, लिखत-पढ़त वाले कागज के साथ डिजिटल अभिलेख भी ईडी टांग ले गई है। आबकारी के शक्ति पूंज कर्ताधर्ता विधाता त्रिपाठी जी और उनके अनन्य प्रिय भी ईडी ऑफिस की मेहमाननवाजी हासिल कर चुके हैं, कयास हैं आगे भी अतिथि सत्कार होगा, लेकिन इस फेर में शराबियों का भला हो गया है। 31 मार्च से दारू का रेट फिर तय होना था, किस ब्रांड की नई शराब ली जाए या ना ली जाए ये तय होता है। ये सब भाग्य सीएसएमसीएल से ही लिखा जाता था, लेकिन इस बार कुछ नया हुआ ही नहीं जो था जैसा था बस बढ़ा 2 पैटर्न पर काम हो गया। रेट नहीं बढ़ा इस बात पर मदिरा प्रेमियों की दुआएं तो मिलेंगी ही ईडी को।



शौक-ए-दीदार अगर है तो नजर पैदा कर



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ये तस्वीर नवगठित जिले एमसीबी से आई है। किसी क्रिकेट प्रतियोगिता की तस्वीर है। कलेक्टर साहब हंसते मुस्कुराते ट्रॉफी के साथ फोटो खिंचाते दिख रहे हैं। क्रिकेट है भी ऐसा खेल, अपना देश तो क्रिकेट को यूं भी दीवानवार पसंद करता है। दीवानगी में हो जाता है, जैसे इसमें कलेक्टर साहब जी, क्षेत्रीय विधायक के पैरों के पास बैठे दिख रहे हैं, लेकिन ये ना कलेक्टर साहब की गलती है ना विधायक साहब का इरादा, गलती कैमरे की है, ऐसी तस्वीर खींचकर दर्ज क्यों किया कैमरा?



फिर लौट आए पुरंदेश्वरी की लीक पर



सख्त मिजाज और हालात को भांपने वाली डी पुरंदेश्वरी जब बीजेपी प्रभारी थीं तो उन्होंने 3 बरस पहले ही कहा था, धर्म और धर्मांतरण अहम मुद्दा होगा। चेहरा कमल निशान होगा। फिर एक दिन बीच बैठक में डी पुरंदेश्वरी की रवानगी की खबर आ गई। शिव प्रकाश, ओम माथुर, अजय जामवाल की तिकड़ी ने मोर्चा संभाला। संघ भी हालिया दिनों की बैठक में बौद्धिक दे गया। गजब देखिए कि मामला फिर से उसी राह पर आ गया है जो पुरंदेश्वरी दिखा गई थीं। धर्म धर्मांतरण, पार्टी में दूसरी और तीसरी पीढ़ी को कमान और चुनाव में चेहरा कमल निशान। बाकी जय जय मोदी तो खैर रहेंगे ही।



कौन साहबान हैं जो खुद का रिकॉर्ड खुद ही तोड़ते हैं



मंत्रालय में बैठै थिंक टैंकर्स हों या ओल्ड पीएचक्यू में बैठे ट्रबल शूटर, दोनों ही अपने महकमे के उन फील्ड में तैनात साहबान से परेशान हैं जो खुद का रिकॉर्ड खुद ही तोड़ने में जुटे हुए हैं। मंत्रालय वाले थिंक टैंकर हों या ट्रबल शूटर दोनों के सामने उत्तर और उपरी मध्य छत्तीसगढ़ का प्रशासनिक नक्शा सिर दर्द है। मसला ये है कि जिस मसले पर घुड़की लगाते हैं, पता चलता है अगले हफ्ते उसको बंद करके नई वाली दुकान खोल दी गई है। गोया कि चुनौती हो पिछली बार पकड़े थे इस बार हमको पकड़ के दिखाओ तो जाने, लेकिन मसला ये है कि ऊपर बैठे साहबान को फिर भी सब दिख रहा है।



तू डाल-डाल मैं पात-पात



पिछले चुनाव में झारो झार वोट के पीछे घोषणा पत्र बहुत बड़ा कारण था। कर्मचारी हो या व्यापारी या किसान या मजदूर या महिला सब ने जी भरके नेह बरसा दिया। लेकिन कई अहम वादे पूरे हुए ही नहीं। नियमितीकरण हो या शराबबंदी, सीएम साहब चुप हैं। अब जबकि अगला चुनाव आ गया है तो लोग वादा खिलाफी पर भड़क रहे हैं। कोई फोन करके पूछ रहा है तो कोई रैली के साथ घोषणा पत्र बनाने वाले सिंहदेव जी के दरवाजे आ धमक रहा है। शुरू में लगा ये तो सिंहदेव साहब की फजीहत हो रही है। लेकिन सधे पगे सिंहदेव तू डाल-डाल तो मैं पात-पात की तर्ज पर साफ बोल रहे हैं 'मेरे हाथ कुछ नहीं जो है वो सीएम साहब के ही हाथ है।' वे जोड़ देते हैं 'आप लोग सारे हालात जानते हैं।' अब ऐसा बोलकर वे किसकी लोकप्रियता बढ़ा रहे हैं और किसके लिए सहानुभूति हासिल कर रहे हैं, ये समझना इतना मुश्किल नहीं है।



सुनो भई साधो



1. गौधन गौठान गौ मूत्र और डीएमएफ, जांच के क्रम में अगला नंबर किस का है?



2. आईएएस साहबान के मुख्यालय छोड़ने का ब्यौरा आरटीआई से मांगने की कवायद के पीछे कौन है?


टीएस सिंहदेव TS Singhdev Politics of Chhattisgarh छत्तीसगढ़ की राजनीति PCC Chief Mohan Markam पीसीसी चीफ मोहन मरकाम Recipe of Mohan Markam D Purandeshwari मोहन मरकाम का नुस्खा डी पुरंदेश्वरी