जितेंद्र सिंह, GWALIOR. कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी शुक्रवार 21 जुलाई को ग्वालियर पहुंचीं और सबसे पहले वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की समाधि स्थल पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद प्रियंका गांधी मेला ग्राउंड पहुंच गई हैं। यहां वे जनआक्रोश रैली को संबोधित करेंगी और कांग्रेस के लिए विधानसभा चुनाव का शंखनाद करेंगी। मध्य प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव में ग्वालियर-अंचल की बदौलत ही कांग्रेस के हाथ सत्ता की चाबी आई थी। पर कांग्रेस को बेआबरू होकर कुर्सी छोड़ना पड़ी। वो दर्द आज भी कांग्रेस भुला नहीं पाई है। यही कारण है कि अब कांग्रेस का आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर पूरा फोकस ही ग्वालियर-चंबल संभाव पर है। ऐसे में ‘‘चुनावी शंखनाद’’ के लिए सिंधिया के गढ़ में ‘‘प्रियंका’’ को लाना बढ़ी राजनीति का हिस्सा है। प्रियंका गांधी की आमसभा शुक्रवार को सुबह 11 बजे ग्वालियर मेला ग्राउंड में होगी।
प्रियंका को लाकर कांग्रेस एक तीर से करेगी कई शिकार
चुनावी विश्लेषण करने वाले ‘‘युवा पत्रकार’’ भी मानते हैं कि ग्वालियर में ‘‘प्रियंका’’ को लाकर कांग्रेस एक तीर से कई शिकार करेगी। प्रियंका गांधी ग्वालियर की धरती पर कदम रखने के बाद सबसे पहले उस स्थान पर जाएंगी जहां से सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के पहले तक बीजेपी की राजनीति चला करती थी। उसके बाद प्रियंका मेला ग्राउंड पहुंचकर सभा को संबोधित करेंगी। वहीं, ‘‘मामा’’ की राजनीति का केंद्र ‘‘बहन और भांजी’’ की काट को ‘‘प्रियंका’’ के रूप में देखा जा रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी के लिए ‘‘प्रियंका’’ का आना काफी नुकसान दायक साबित होगा।
सिंधिया, मुद्दा और समाधि वही, बदलेंगे तो सिर्फ चेहरे
युवा पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अर्पण राउत के अनुसार इसी बार भी ग्वालियर की राजनीति का चुनावी मुद्दा, ज्योतिरादित्य सिंधिया और वीरांगना लक्ष्मीबाई की समाधि स्थल वही रहेंगे। बदलेंगे तो सिर्फ चेहरे, क्योंकि अब तक बीजेपी, सिंधिया को घेरने के लिए लक्ष्मीबाई को मुद्दा बनाकर जनता की भावनात्मक सिंपैथी को वोट बैंक में बदलने का काम करती थी। पर अबकी बार कांग्रेस लक्ष्मीबाई के बलिदान को सिंधिया के खिलाफ चुनावी मुद्दा बनाएगी। प्रियंका का पूरा फोकस महिला सशक्तिकरण, अपराध, महंगाई, भ्रष्टाचार और पटवारी परीक्षा घोटाले पर रहेगा। शिवराज सिंह ने लाड़ली बहना योजना से घर-घर में पैठ बनाई थी, लेकिन पटवारी परीक्षा घोटाला सामने आने के बाद पूरी मेहनत बेकार हो गई। प्रदेशभर के युवाओं में नाराजगी है, जिसका पूरा लाभ कांग्रेस को मिलेगा।
प्रियंका के आने का बीजेपी भी जानती है नुकसान होगा
युवा पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक कपिल शर्मा कहते हैं कि तमाम सर्वे रिपोर्ट पहले ही बीजेपी के खिलाफ हैं। बीजेपी भी मानती है कि अब यह महल से चलने वाली कांग्रेस नहीं है। पहले कभी प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को अंचल में न एंट्री मिली न मंच। पर पहली बार कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का ग्वालियर-चंबल संभाग में इस प्रकार एकजुट होना, दिखना और ताबड़तोड़ दौरा सिंधिया को उसके ही गढ़ में मात देने की तैयारी है। ‘‘प्रियंका’’ का ग्वालियर आना। सबसे पहले लक्ष्मीबाई की समाधि पर जाना। उसके बाद ‘‘सिंधिया’’ को उनके ही गढ़ में ललकारना कांग्रेस के पक्ष में चुनावी माहौल तैयार करेगा। बीजेपी भी जानती है कि प्रियंका गांधी का ग्वालियर आना उनके लिए नुकसानदायक साबित होगा।
जब समाधि पर खड़ी होकर महल की ओर देखेगी प्रियंका
युवा पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक गोपाल त्यागी की राय में कांग्रेस में एक नया जोश दिखाई दे रहा है। जोश भी उस वक्त दोगुना हो जाएगा जब लक्ष्मीबाई की समाधि पर खड़ी होकर प्रियंका सिंधिया के महल की ओर देखेंगी। अभी मुद्दा यह नहीं है कि किस का वोट किस पार्टी को मिलेगा, बल्कि शहर में चर्चा यह है कि प्रियंका लक्ष्मीबाई की समाधि से चुनावी आगाज करेंगी। ग्वालियर अंचल का चुनाव काफी रोचक होने वाला है, क्योंकि कांग्रेस चुनाव जातिगत समीकरण पर नहीं, बल्कि सिंधिया के खिलाफ लड़ेगी। सिंधिया को उनके ही गढ़ में घेरने के लिए ही कांग्रेस में पहली बार इतनी एकजुटता देखने को मिल रही है। प्रियंका के आने से यह एकजुटता और मजबूत होगी, जिसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा।
शिवराज के खिलाफ नाराजगी का फायदा साबित होगी प्रियंका
युवा पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक धर्मेंद्र त्रिवेदी का मानना है कि मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार के खिलाफ नाराजगी है। जनता के बीच बीजेपी के विधानसभा चुनाव हारने को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। कांग्रेस प्रियंका गांधी के माध्यम से महौल को वोट बैंक में बदलना चाहती है, जिसके लिए मध्य प्रदेश का ग्वालियर अंचल सबसे बेहतर साबित होगा। कांग्रेस को पिछले विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सफलता यहीं से मिली थी। उम्मीद है फिर से जनता उनका साथ देगी। ऐसे में प्रियंका को लाकर सिंधिया के गढ़ को न सिर्फ भेदने की रणनीति है बल्कि सिंधिया को अंचल में उलझाकर प्रदेश विजय करने की योजना बनाई जा रही है।