NEW DELHI. राहुल गांधी अब संसद के सदस्य नहीं रहेंगे। 24 मार्च को राहुल गांधी की संसद की सदस्यता खत्म कर दी गई। सूरत कोर्ट से 2 साल की सजा मिलने के एक दिन बाद ही ये फैसला आया है। राहुल 2019 में वायनाड (केरल) से सांसद चुने गए थे। उन्होंने तब दो जगह से चुनाव लड़ा था। अमेठी में उन्हें बीजेपी की स्मृति ईरानी से हार का सामना करना पड़ा था।
Congress party's Rahul Gandhi disqualified as a Member of Lok Sabha from the date of his conviction in the criminal defamation case over his 'Modi surname' remark, March 23. pic.twitter.com/qmr9pRTtTh
— ANI (@ANI) March 24, 2023
क्या है जनप्रतिनिधि कानून?
जनप्रतिनिधि कानून के मुताबिक अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में 2 साल से ज्यादा की सजा हुई है तो ऐसे में उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) रद्द हो जाएगी। इतना ही नहीं सजा की अवधि पूरी करने के बाद छह वर्ष तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य भी होते हैं।
राहुल के पास अब ये ऑप्शन?
राहुल गांधी की पार्लियामेंट मेंबरशिप बचाए रखने के रास्ते बंद नहीं हुए हैं। वे सदस्यता खत्म किए जाने के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। अगर सूरत सेशंस कोर्ट के फैसले पर स्टे लग जाता है तो सदस्यता बच सकती है। अगर हाईकोर्ट स्टे नहीं देता है तो फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा। अगर सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिल जाता है तो भी उनकी सदस्यता बच सकती है। यदि राहुल गांधी को ऊपरी अदालत से राहत नहीं मिलती तो वे 8 साल तक कोई चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
2024 में चुनाव लड़ पाएंगे राहुल?
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट राहुल के दोषी पाए जाने पर रोक नहीं लगाता तो वे 8 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। अगर राहुल की याचिका पर हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट सजा पर रोक भी लगा देता है, तब भी उनकी सदस्यता बहाल नहीं होगी। दरअसल, इसके लिए राहुल गांधी के दोषी पाए जाने पर भी रोक जरूरी है।
किसने क्या कहा?
कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि राहुल गांधी बेखौफ होकर बयान देते हैं। राहुल गांधी को सच बोलने की सजा मिली। असली मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश हो रही है। सरकारी संस्थाओं का दमन किया जा रहा है। देश में लोकतंत्र की हत्या हो रही है।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि संविधान के मुताबिक फैसले नहीं हो रहे हैं। लोकतंत्र, संविधान और बोलने की आजादी खतरे में है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कर्म प्रधान विश्व करि राखा, जो जस कीन्ह सो तस फल चाखा। जो जैसा करता है, उसे वैसा परिणाम भोगना पड़ता है। राहुल गांधी ने जो किया, उन्हें उसका परिणाम भोगना है।
मध्य प्रदेश के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने कहा कि आज का दिन देश में काले दिन के नाम से जाना जाएगा। देश में सच बोलने की आजादी खत्म की जा रही है। नरेंद्र मोदी की तानाशाह सरकार ने जिस तरह हमारे नेता राहुल गांधी को संसद की सदस्यता से डिस्क्वालिफाई किया है, उससे साफ लगता है कि देश में कहीं भी बोलने की आजादी नहीं है। अडाणी-अंबानी महाघोटाले करते हैं, लेकिन उनके लिए कोई कार्रवाई नहीं होती। जो सच बोलता है, उसके खिलाफ ईडी-सीबीआई को लगा देते हैं। पूरी कांग्रेस राहुल गांधी के साथ खड़ी है।
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राहुल ने 2019 में क्या बयान दिया था
राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में 13 अप्रैल 2019 को चुनावी रैली में कहा था, 'नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?' राहुल के इस बयान को लेकर गुजरात के बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ धारा 499, 500 के तहत आपराधिक मानहानि का केस दर्ज कराया था। अपनी शिकायत में बीजेपी विधायक ने आरोप लगाया था कि राहुल ने 2019 में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पूरे मोदी समुदाय को कथित रूप से यह कहकर बदनाम किया कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है? इस पर 23 मार्च को सूरत के सेशंस कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए उन्हें 2 साल की सजा सुना दी।
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