BHOPAL. मध्य प्रदेश में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने शनिवार को लोकसभा स्पीकर से सवाल पूछा है। दिग्विजय ने कहा, अब देखना यह है कि लोकसभा अध्यक्ष इटावा से बीजेपी सांसद राम शंकर कठेरिया को कब अयोग्य ठहराते हैं। कठेरिया को आगरा की अदालत ने हमले के मामले में दोषी मानकर दो साल की सजा सुनाई है, जबकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को तो सजा मिलने के 24 घंटे के भीतर ही संसद से अयोग्य घोषित कर दिया था।
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2011 में आगरा में कर्मचारियों की पिटाई का मामला
बता दें कि आगरा की एमपी/एमएलए अदालत के विशेष मजिस्ट्रेट अनुज ने 2011 में एक निजी बिजली कंपनी के कर्मचारियों की पिटाई के मामले में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मारपीट और हमले की घटना में राम शंकर कठेरिया को दोषी पाया गया है और दो साल की सजा सुनाई है। बीजेपी सांसद रामशंकर कठेरिया पर 2011 में आगरा में टोरेंट पावर लिमिटेड के कर्मचारियों की पिटाई के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई थी।
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कठेरिया की सदस्यता रद्द होती है या नहींः दिग्विजय सिंह
रामशंकर कठेरिया के मामले पर दिग्विजय सिंह ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कठेरिया को सजा सुनाई गई है। राहुल गांधी को 24 घंटे के भीतर अयोग्य घोषित कर दिया गया था। अब देखने वाली बात यह होगी कि कठेरिया की सदस्यता रद्द होती है या नहीं। देखते हैं लोकसभा अध्यक्ष इस मामले में कितनी निष्पक्षता से काम करते हैं। साथ ही दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह भी देखना होगा कि 'मोदी सरनेम' मामले में जब सुप्रीम कोर्ट ने राहुल की सजा पर रोक लगा दी है तो संसद की सदस्यता कब तक बहाल की जाती है।
क्या है राहुल गांधी पर हुई सजा का मामला
2019 में राहुल गांधी के खिलाफ उनके बयान 'सभी चोरों का सरनेम मोदी पर गुजरात के पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक पूर्णेश ने आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था। 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक में एक चुनावी रैली के दौरान राहुल गांधी ने ये टिप्पणी की थी। सूरत की सेशन कोर्ट ने 23 मार्च को इस मामले में राहुल को दोषी मानकर दो साल जेल की सजा सुनाई थी। अगले दिन उन्हें लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया। उसके बाद राहुल ने इस फैसले को सत्र अदालत में चुनौती दी थी। सत्र अदालत ने उन्हें 20 अप्रैल को जमानत दी, लेकिन सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। राहुल ने निचली अदालद के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दी। इसके बाद 15 जुलाई को राहुल ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की, इसमें गुजरात हाईकोर्ट के सजा बरकरार रखने के आदेश को चुनौती दी। राहुल का कहना था कि अगर इस फैसले पर स्टे नहीं लगाया गया तो यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर करारा प्रहार होगा।