शिवम दुबे, RAIPUR. शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती आज रायपुर पहुंचे हैं। राजधानी के बोरियाकला वाले आश्रम में पत्रकारों से चर्चा की है। इस दौरान शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द ने कहा है कि धर्म और राजनीति कभी एक नहीं हो सकती है। वहीं उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री कवासी लखमा के बयान पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यहां नेता जी भेद डालने का काम कर रहे हैं।
नेता जी भेद डालने का काम कर रहेः शंकराचार्य
मंत्री कवासी लखमा के आदिवासी हिंदू नहीं के बयान पर शंकराचार्य ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। शंकराचार्य का कहना है कि कवासी लखमा बताना चाहिए कि आदिवासी क्या है हिंदू क्या है? दोनों में क्या भेद है? आदिवासी प्रकृति के पूजा करता है, तो हम भी तो प्रकृति की पूजा करते हैं। अगर आदि शब्द के कारण वह कह रहे हैं तो आदि शब्द हमारे साथ भी जुड़ा हुआ है, आदि शब्द हमारे साथ भी लगा हुआ है। हमारे बीच में कोई भेद नहीं नेताजी को केवल भेद डालना है और भेद डालकर उनका समर्थन लेना है।
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हमारे राजनेता वोट के लिए कुछ भी कह सकते हैंः शंकराचार्य
राम चरित मानस पर चल रहे विवाद को लेकर कहा कि हमारे राजनेता वोट के लिए कुछ भी कह सकते है। जिस ग्रंथ को लेकर पूरा भारत श्रृधा रखता है। उस प्रतियों को फाड़ना, जलाना पैरों से कुचलना ठीक नहीं है। भारत के नागरिकों में किसी कारण से भेद डालने का काम करे तो ऐसे लोगों को चुनाव आयोग चुनाव लड़ने से रोके। क्योंकि सरकार में रहकर ये आगे पक्षपात करेंगे। उन्होंने कहा कि धर्माचार्यों को जो काम करना चाहिए, वो आज राजनेता करना शुरू कर दिए हैं।
धर्म और राजनीति नहीं हो सकती एकः शंकराचार्य
जो धर्म के काम कर रहे हैं, उनके कार्यों में आज नेता हस्ताक्षेप कर रहे हैं। जो धर्माचार का काम कर रहे हैं उन्हें आगे बढ़ाने का काम करना चाहिए। आज के वक्त में खुद शंकराचार्य भी फैसले लेने के लिए बाध्य नहीं है। जो भी राजनितिक पार्टी का हिस्सा बन गया उसे धर्म निर्पेक्ष होना पड़ेगा। वह धार्मिक व्यक्ति नहीं हो सकता है। धर्म और राजनीति कभी एक नहीं हो सकती, आज जो लोग हिंदु राष्ट्र की बात कर रहे है वो केवल जुमला है।