RAIPUR. छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले द सूत्र एक मुहिम चला रहा है। मूड ऑफ एमपी-सीजी (mood of mp cg) के तहत हमने जाना कि विधानसभा में मौजूदा हालात क्या हैं, जनता क्या सोचती है। अगले विधानसभा चुनाव में क्षेत्र का गणित क्या रहेगा। इसी कड़ी में हमारी टीम रायपुर पश्चिम विधानसभा सीट पर पहुंची। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में चार विधानसभा सीटें आती है। इनमें से सबसे ज्यादा विकसित और आधुनिक कोई सीट है तो वो है रायपुर पश्चिम। इस विधानसभा क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सुविधाओं वाला ऑडिटोरियम, हॉकी स्टेडियम, कोटा का एथलेटिक स्टेडियम, स्वीमिंग पूल, ई-लाइब्रेरी, ऑक्सी रीडिंग जोन है। रायपुर पश्चिम सीट प्रदेश की राजनीति में खासा स्थान रखती है। इस सीट से बीजेपी के राजेश मूणत रमन सरकार में कद्दावर मंत्री थे लेकिन कांग्रेस के विकास उपाध्याय ने 2018 के चुनाव में मूणत को पटखनी दे दी
प्रोफाइल
- 9वीं सदी में हुई थी रायपुर की स्थापना
सियासी मिजाज
साल 2008 में रायपुर शहरी और पश्चिम का कुछ क्षेत्र मिलाकर एक नई विधानसभा बनाई गई जोकि रायपुर पश्चिम के नाम से अस्तित्व में आई। इस सीट से पहली बार विधायक बने बीजेपी के राजेश मूणत। मूणत रमन सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री बने साथ ही बीजेपी के कद्दावर नेताओं में भी शुमार किए जाते हैं। 2013 में एक बार फिर मूणत ने जीत दर्ज की और रमन सिंह सरकार में लोक निर्माण विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभाग का जिम्मा संभाला। 2018 में कांग्रेस के विकास उपाध्याय ने राजेश मूणत को 12 हजार से ज्यादा मतों से शिकस्त दी। इस सीट पर अब तक हुए तीन चुनावों में दो बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस का कब्जा रहा। यहां जनता ने अपनी नाराजगी का इजहार चुनाव में मंत्रीजी को हराकर किया।
जातिगत समीकरण
रायपुर पश्चिम विधानसभा सीट पर ओबीसी वर्ग का दबदबा है। यहां पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं की संख्या करीब 30 फीसदी है जबकि अनुसूचित जाति वर्ग करीब 10 फीसदी और आदिवासी वर्ग करीब 3 फीसदी है। इस विधानसभा में करीब 6 फीसदी ब्राह्मण मतदाता हैं। वहीं पिछड़े वर्ग में साहू वर्ग के मतदाता करीब 14 फीसदी हैं।
मुद्दे
यहां राज्य स्तरीय और स्थानीय स्तर दोनों ही तरह के मुद्दों के भरमार है। 2018 में कांग्रेस ने जहां शराबबंदी और धान के बोनस का वादा किया था तो वहीं इलाके के कई स्थानीय मुद्दों को भी हल करने का वादा वर्तमान विधायक विकास उपाध्याय ने किया था। ऐसे में जब मुद्दों की बात आती है तो बीजेपी और कांग्रेस के नेता एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाने और दावे और वादे करने से नहीं चूकते। इलाके मे ट्रैफिक की समस्या सबसे बड़ी है।
सियासी मूड
द सूत्र ने जब इलाके के हारे हुए उम्मीदवार, प्रबुद्धजनों, वरिष्ठ पत्रकारों से चर्चा की तो उसमें भी कुछ सवाल निकल कर आए। पहला सवाल- आपने कौन कौन सी योजनाओं का लाभ इलाके की जनता को दिलवाया? दूसरा सवाल- आपके इलाके के कितने लोगों को पेंशन सुविधा मिलती है? तीसरा सवाल- इलाके में सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार रोकने के लिए क्या कदम उठाए? चौथा सवाल- खराब सड़कों के लिए कितनी राशि स्वीकृत की?
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