NEW DELHI. बिहार के महागठबंधन में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) पार्टी के मुखिया जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन ने नीतीश सरकार से इस्तीफा दे दिया है। वे नीतीश कैबिनेट में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के मंत्री थे। उनके इस्तीफे को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विपक्षी पार्टियों को बीजेपी के खिलाफ एकजुट करने की मुहिम के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। नीतीश ने 23 जून को पटना में विपक्षी दलों की बड़ी बैठक बुलाई है, लेकिन जीतन मांझी को उसका न्योता नहीं भेजा है। बिहार सरकार से उनके बेटे के इस्तीफे को इसी नाराजगी की वजह बताया जा रहा है।
अचानक इस्तीफे की वजह
बिहार में नीतीश कैबिनेट से अचानक इस्तीफे की वजह पूछे जाने पर संतोष सुमन ने कहा कि जदयू चाहती थी कि हम अपनी पार्टी को उसके साथ मर्ज कर दें, लेकिन हमें ये मंजूर नहीं था। हम अपनी पार्टी का स्वतंत्र अस्तित्व बनाए रखना चाहते हैं, इसलिए हमारे विधायकों और समर्थकों ने जेडीयू में विलय से इनकार कर दिया। अब हम आगे अकेले संघर्ष करेंगे। उन्होंने सरकार ही नहीं महागठबंधन से भी अलग होने का ऐलान किया है।
क्यों नाराज हैं जीतन राम मांझी?
बताया जा रहा है कि डाक विभाग के क्लर्क की नौकरी छोड़कर राजनीति में उतरने के बाद बिहार के सीएम की कुर्सी तक पहुंचे जीतन राम मांझी इन दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराज चल रहे हैं। उनकी नाराजगी की वजह है कि नीतीश द्वारा 23 जून को पटना में बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों की बड़ी बैठक बुलाई में उन्हें न बुलाना है। बताया जा रहा है कि नीतीश ने सभी विपक्षी पार्टियों के नेताओं को इस बैठक में शामिल होने का बुलावा भेजा है, लेकिन बिहार के महागठबंधन में शामिल जीतन राम मांझी को उसका न्योता नहीं भेजा है।
बीजेपी के साथ जाने पर क्या बोले संतोष?
मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद संतोष सुमन ने कहा कि हम बीजेपी और एनडीए के साथ जाएंगे या नहीं ये अलग बात है। अभी तो हमने बिहार की राजनीति में अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए कदम उठाया है। नीतीश कुमार हमारा अस्तित्व खत्म करना चाह रहे हैं। हम उनकी महत्वाकांक्षाओं के लिए अपनी पार्टी कैसे तोड़ दें। हम तो हम विचारधारा की खातिर महागठबंधन में बने रहना चाहते थे, लेकिन नीतीश कुमार ने हमें ये कदम उठाने का विवश किया।
विपक्षी एकजुटता बैठक से पहले नीतीश को झटका
सरकार से संतोष सुमन का इस्तीफा ऐसे वक्त पर हुआ जब नीतीश कुमार बीजेपी के खिलाफ पूरे देश की विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने की कोशिश में जुटे हैं। उन्होंने 23 जून को पटना में विपक्षी दलों की बड़ी बैठक बुलाई है। इस बैठक में कांग्रेस से राहुल गांधी से लेकर मलिकार्जुन खरगे और समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल, टीएमसी की ममता बनर्जी, डीएमके के एमके स्टालिन समेत अन्य दलों के नेताओं के शामिल होने की सूचना है। ऐसे में बिहार में महागठबंधन में फूट और जीतन राम मांझी के बेटे का इस्तीफा नीतीश कुमार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
मांझी ने किया 5 लोकसभा सीटों पर लड़ने का ऐलान
इससे पहले जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार से मुलाकात की थी। इस दौरान उनके साथ उनके बेटे संतोष भी मौजूद थे। तब उन्होंने नीतीश के सामने मांग रखी थी कि उनकी पार्टी 5 लोकसभा सीटों पर लड़ेगी। हालांकि, इसके बाद उन्होंने राज्यपाल राजेंद्रन विश्वनाथ आर्लेकर से मुलाकात की और प्रदेश में बदहाल शिक्षा व्यवस्था का मुद्दा उठाते हुए ज्ञापन सौंपा था। इस मौके पर जीतनराम मांझी ने खुलकर कुछ नहीं कहा, लेकिन उनके इस कदम को महागठबंधन से किनारा करने और एनडीए का दामन थामने की धमकी के तौर पर देखा जाने लगा था।
अमित शाह से मुलाकात से कर चुके हैं मांझी
इसी साल 13 अप्रैल को मांझी ने दिल्ली जाकर गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी। अमित शाह से मुलाकात के दौरान मांझी ने माउंटेन मैन के नाम से प्रसिद्ध दशरथ मांझी और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की मांग उठाई थी। मांझी और अमित शाह की मुलाकात से एक बार फिर संकेत मिलने लगे थे कि 2024 से पहले वो फिर NDA में वापस आ सकते हैं। हालांकि, मांझी हमेशा इस बात से इनकार करते आए हैं और कसमें खाते रहे हैं कि वे हमेशा नीतीश कुमार के साथ ही रहेंगे।
मांझी ने JDU से निकलकर बनाई थी हम
बिहार की राजनीति में जीतनराम मांझी को कभी नीतीश कुमार का करीबी माना जाता था। जब नीतीश कुमार ने 2014 के लोकसभा चुनाव में मिली हार की जिम्मेदारी लेते हुए सीएम पद से इस्तीफा दिया था, तब उन्होंने सीएम पद के लिए मांझी का नाम आगे बढ़ाया था। मांझी जेडीयू में रहते हुए 20 मई 2014 से 20 फरवरी 2015 तक राज्य के सीएम भी रहे। लेकिन 2015 में उन्होंने सीएम के पद से हटने से इनकार कर दिया। इसके बाद उन्हें जेडीयू से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। वे विधानसभा में सदन के नेता के रूप में विश्वास मत हासिल नहीं कर पाए और उन्हें सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा। जेडीयू से अलग होने के बाद उन्होंने हिंदुस्तान आवाम मोर्चा का गठन किया और वे एनडीए में शामिल हो गए। 2020 विधानसभा चुनाव में उन्होंने नीतीश कुमार के साथ गठबंधन किया। जब नीतीश कुमार ने बीजेपी का साथ छोड़ा और महागठबंधन के साथ सरकार बनाई तब जीतन राम मांझी भी महागठबंधन में आ गए थे।
बिहार विधानसभा की मौजूदा स्थिति
बिहार विधानसभा में कुल सीटें 243 हैं। नीतीश सरकार को बहुमत के लिए कुल 122 विधायकों का समर्थन चाहिए। विधानसभा में पार्टी और उनके विधायकों की मौजूदा स्थिति इस प्रकार है
- राजद 79
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नीतीश सरकार पर अभी कोई असर नहीं
बिहार में अभी नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार है। इस महागठबंधन में राजद के 79, जदयू के 45, कांग्रेस के 19 विधायक शामिल हैं। जबकि लेफ्ट पार्टियों के 16 विधायकों ने नीतीश सरकार को बाहर से समर्थन दिया है। वहीं, सरकार में शामिल हम (4 विधायक) के संतोष सुमन ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि अभी जीतन मांझी ने महागठबंधन से बाहर आने का औपचारिक ऐलान नहीं किया है ऐसे में नीतीश सरकार के पास हम को मिलाकर अभी 163 विधायक हैं। यदि मांझी की हम महागठबंधन से अलग भी हो जाती है, तब भी सरकार के पास 159 विधायकों का समर्थन जबकि बहुमत के लिए नीतीश सरकार को 122 सीटें ही चाहिए।