सोनिया गांधी की चिट्ठी का केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी का जवाब, बोले- यह दुर्भाग्यपूर्ण आपका परंपराओं की तरफ ध्यान नहीं

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Vikram Jain
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सोनिया गांधी की चिट्ठी का केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी का जवाब, बोले- यह दुर्भाग्यपूर्ण आपका परंपराओं की तरफ ध्यान नहीं

NEW DELHI. संसद के विशेष सत्र को लेकर कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी की चिट्ठी का सरकार ने जवाब दिया है। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सोनिया की चिट्ठी के जवाब में कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है, आपका परंपराओं की तरफ ध्यान नहीं है, सत्र शुरू होने से पहले बातचीत की जाएगी, बता दें कि मोदी सरकार ने संसद का विशेष सत्र बुलाया है, जो 18 से 22 सितंबर तक चलेगा। इस सत्र का एजेंडा क्या है, इसको लेकर सरकार की ओर से जानकारी नहीं दी गई।



एजेंडा पूछने को लेकर सोनिया गांधी ने लिखी थी चिट्ठी



विशेष सत्र का एजेंडा पूछने को लेकर सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को चिट्ठी भी लिखी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि विपक्ष को विशेष सत्र के एजेंडे के बारे में जानकारी नहीं है, आम तौर पर विशेष सत्र से पहले बातचीत होती है और आम सहमति बनाई जाती है, इसका एजेंडा भी पहले से तय होता है और सहमति बनाने की कोशिश होती है, यह पहली बार है कि कोई बैठक बुलाई जा रही है और एजेंडा तय नहीं है, न ही सहमति बनाने का प्रयास किया गया।



'विवाद उत्पन्न करने का प्रयास कर रही हैं'



सोनिया गांधी की चिट्ठी का जवाब अब केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने दिया है। प्रह्लाद जोशी ने अपने पत्र में कहा, यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि आप हमारे लोकतंत्र के मंदिर (संसद) के कामकाज का भी राजनीतिकरण करने और जहां कोई विवाद नहीं है, वहां अनावश्यक विवाद उत्पन्न करने का प्रयास कर रही हैं, जैसा कि आपको विदित है, अनुच्छेद 85 के तहत संवैधानिक जनादेश का पालन करते हुए संसद सत्र नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं, जो प्रावधान करता है कि राष्ट्रपति समय-समय पर संसद के प्रत्येक सदन को ऐसे समय और स्थान पर, जो वह ठीक समझें, अधिवेशन के लिए आहूत करेगा, लेकिन उसके एक सत्र की अंतिम बैठक और आगामी सत्र की प्रथम बैठक के लिए नियत तारीख के बीच छह महीने का अंतर नहीं होगा।



'सत्र बुलाने से पहले दलों से चर्चा की परंपरा नहीं'



संसदीय कार्य मंत्री ने आगे कहा पूर्ण रूप से स्थापित प्रक्रिया का पालन करते हुए ही संसदीय कार्य संबंधी मंत्रिमंडल समिति के अनुमोदन के बाद राष्ट्रपति ने संसद सत्र बुलाया है, शायद आपका परम्पराओं की ओर ध्यान नहीं है, संसद सत्र बुलाने से पहले न कभी राजनीतिक दलों से चर्चा की जाती है और न कभी मुद्दों पर चर्चा की जाती है, महामहिम राष्ट्रपति के सत्र बुलाने के बाद और सत्र आरम्भ होने के पहले सभी दलों के नेताओं की बैठक होती है, जिसमे संसद में उठने वाले मुद्दों और कामकाज पर चर्चा होती है।



'सरकार किसी भी मुद्दे पर चर्चा करने के लिए हमेशा तैयार'



पत्र के जवाब में उन्होंने आगे कहा मैं यह भी बताना चाहूंगा की हमारी सरकार किसी भी मुद्दे पर हमेशा चर्चा करने के लिए तैयार रहती है, वैसे तो आपने जिन मुद्दों का उल्लेख किया है वह सभी मुद्दे अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कुछ ही समय पूर्व मानसून सत्र के दौरान उठाए गए थे और सरकार द्वारा उन पर जवाब भी दिया गया था, सत्र की कार्यसूची हमेशा की तरह स्थापित आचरण के अनुसार उचित समय पर परिचालित की जाएगी।



मुझे पूर्ण विश्वास है संसद की गरिमा बनी रहेगी : जोशी 



उन्होंने आगे कहा- मैं यह भी फिर से ध्यान दिलाना चाहता हूं कि हमारी संसदीय कार्यप्रणाली में चाहे सरकार किसी भी दल की रही हो, आजतक संसद बुलाने के समय कार्यसूची पहले से कभी भी परिचालित नहीं की गई, मुझे पूर्ण विश्वास है कि संसद की गरिमा बनी रहेगी और इस मंच का उपयोग राजनीतिक विवादों के लिए नहीं किया जाएगा। इसके अतिरिक्त मैं आगामी सत्र को सुचारू रूप से चलाने में आपके पूर्ण सहयोग की अपेक्षा करता हूं, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय हित में सार्थक परिणाम सामने आ सकें। 



जानें किन मुद्दों पर चर्चा चाहता है विपक्ष



बता दें कि सोनिया गांधी ने अपनी चिट्ठी में कहा था कि विपक्ष इन नौ मुद्दों पर चर्चा चाहता है। इनमें महंगाई, एमएसएमई, बेरोजगारी, किसानों की मांग, अडानी मुद्दे पर जेपीसी की मांग, जातीय जनगणना, केंद्र-राज्य संबंध, चीन बॉर्डर और सामाजिक सद्भाव शामिल हैं।



बीआरएस नेता के कविता ने जताई नाराजगी



वहीं, तेलंगाना की बीआरएस पार्टी की नेता एमएलसी और पूर्व सांसद कल्वाकुंतला कविता ने सोनिया गांधी की निंदा की है। उन्होंने कहा है कि सोनिया को पीएम मोदी को लिखे गए पत्र में महिला आरक्षण विधेयक के मुद्दे को नहीं छोड़ना चाहिए था। उन्होंने कहा,'यह देखकर दुख हुआ कि कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष और सांसद सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा की तात्कालिकता को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया। 


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