विजयवर्गीय फिर बने महासचिव: अटकलों को विराम, MP की राजनीति से दूर होने के मायने

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विजयवर्गीय फिर बने महासचिव: अटकलों को विराम, MP की राजनीति से दूर होने के मायने

इंदौर. कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) को 7 अक्टूबर को बीजेपी (BJP) के राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई है। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly Election) में बीजेपी की हार के बावजूद उनको पश्चिम बंगाल का केंद्रीय प्रभारी बनाए रखा गया है। विजयवर्गीय के दोबारा संगठन में जाने के बाद तय हो गया है कि बीजेपी उन्हें चुनाव नहीं लड़ाना चाहती है। इसी के साथ मध्यप्रदेश की राजनीति में उनको लेकर लगाए जा रहे सियासी कयासों को भी विराम लग गया है।

MP की राजनीति से फिर कैलाश की दूरी

इस समय वह मध्यप्रदेश की राजनीति में सक्रिय थे। उन्होंने हाल ही में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia), नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar), प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा (Narottam Mishra) से मुलाकात की थी। इसी दौरान बीजेपी के मुख्यमंत्रियों के बदलने का दौर जारी थी। ऐसा माना जा रहा था कि बीजेपी उन्हें प्रदेश में बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है, लेकिन फिर विजयवर्गीय को संगठन की कमान सौंपकर प्रदेश की राजनीति से दूर भेज दिया गया है। 

लालवानी ने इंदौर में अपना वर्चस्व साबित किया

2019 के लोकसभा चुनाव में विजयवर्गीय के गढ़ इंदौर से उनके टिकट की बात उठी थी, लेकिन पार्टी ने सीएम शिवराज (CM Shivraj) और पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन के भरोसेमंद शंकर ललवानी पर दांव खेला था। इस चुनाव में उन्होंने 5 लाख वोटों से जीत दर्ज कर इंदौर (Indore) की राजनीति में अपने वर्चस्व को साबित किया था।

पार्लियामेंट चुनाव लड़कर ही जाऊंगा- विजयवर्गीय

मध्यप्रदेश की एक राज्यसभा सीट पर उपचुनाव (By Election) के प्रत्याशी के तौर पर भी उनका नाम सामने आया था, लेकिन उस समय सियासी अटकलों को खारिज करते हुए विजयवर्गीय ने कहा कि ''राज्यसभा में जाने का मेरा कोई इरादा नहीं है, जब भी मुझे पार्लियामेंट में जाना होगा तो चुनाव लड़कर ही जाऊंगा।''  

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