NEW DELHI. अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ रणनीति बनाने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर 18 विपक्षी दलों के नेता 12 जून को पटना में जुटने वाले हैं। चुनाव में बीजेपी को केंद्र की सत्ता से बाहर करने के लिए प्रमुख विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने और साझा रणनीति तैयार करने के लिए 12 जून की तारीख तय करने को लेकर राजनैतिक गलियारों में खासी चर्चा है। बीजेपी के खिलाफ चुनावी रणनीति के लिए 12 जून का दिन चुनने को महज संयोग माना जाए या सोची समझी योजना ? ये सवाल इसलिए उठ रहा है कि क्योंकि ठीक 48 साल पहले यानी 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिग्गज समाजवादी नेता राजनारायण की याचिका पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनके चुनाव अभियान के लिए सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग मामले में दोषी करार दिया था। हाईकोर्ट ने चुनाव को अवैध बताते हुए इंदिरा गांधी का निर्वाचन रद्द कर दिया था।
ये है 12 जून 1975 का इतिहास
2024 के लोकसभा चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार को केंद्र की सत्ता से बाहर करने के लिए पटना के बापू सभागार में 12 जून 2023 को विपक्षी पार्टियों की एकजुटता के लिए एक बड़ी बैठक का आयोजन किया गया है। बैठक के लिए इस तारीख के चयन के बारे में एक संयोग है कि ठीक 48 साल पहले यानी 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस जगमोहनलाल सिन्हा ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनके चुनाव अभियान के लिए सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग मामले में दोषी पाया था। हाईकोर्ट ने चुनाव को अवैध बताते हुए इंदिरा गांधी का लोकसभा सीट से निर्वाचन शून्य करते हुए अगले 6 साल तक किसी भी तरह के चुनाव लड़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। कोर्ट ने ये फैसला राजनारायण की याचिका पर सुनाया था, जो 1971 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी से हार गए थे। उन्होंने इंदिरा गांधी के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनाव में धोखाधड़ी और सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए मुकदमा दायर किया था। इस मामले में अदालत का फैसला 4 साल बाद यानी 12 जून 1975 को आया था।
इंदिरा गांधी ने हाईकोर्ट के फैसले को दी चुनौती, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा
इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ इंदिरा गांधी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने राजनारायण की याचिका पर हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए उसे बरकरार रखा। 24 जून 1975 को सुप्रीम कोर्ट में इंदिरा गांधी को एक सांसद के रूप में मिल रहे सभी विशेषाधिकारों को रोकने का आदेश दिया था। यहां तक कि उन्हें चुनाव में वोट देने के अधिकार से भी वंचित कर दिया गया था।
25 जून 1975 को इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी किया था घोषित
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लोकनायक जयप्रकाश नारायण और मोरारजी देसाई जैसे बड़े नेताओं ने इंदिरा सरकार के खिलाफ रोजाना विरोध प्रदर्शन करने की योजना बनाई। 25 जून को जयप्रकाश नारायण ने दिल्ली में एक बड़ी रैली का आयोजन किया। जहां उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पुलिस को इंदिरा सरकार के आदेशों पर अमल नहीं करना चाहिए। इस पर इंदिरा गांधी ने जयप्रकाश नारायण के बयान को देश में विद्रोह भड़काने के प्रयास के रूप में लिया था। उसी दिन इंदिरा गांधी ने तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से आपातकाल की स्थिति घोषित करने की सिफारिश कर दी। इसके कुछ घंटों बाद ही देश के सभी प्रमुख अखबारों के दफ्तरों और उनकी प्रिंटिंग प्रेस की बिजली काट दी गई। इसके साथ ही इंदिरा सरकार ने विपक्षी पार्टियों के ज्यादातर नेताओं को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया।
12 जून को पटना के बापू सभागार में जुटेंगे विपक्ष के ये बड़े नेता
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीजेपी से नाता तोड़ने और राष्ट्रीय जनता दल से गठबंधन करने के बाद से ही विपक्षी पार्टियों को लोकसभा चुनाव के लिए लामबंद करने में जुटे हैं। उन्हीं की पहल पर 12 जून को पटना के बापू सभागार में बीजेपी और मोदी सरकार विरोधी 18 राजनीतिक दलों के नेताओं का जमावड़ा लगने वाला है। महात्मा गांधी के नाम पर बने बापू सभागार में बैठकर विपक्षी दलों के नेता अपनी एकजुटता दिखाते हुए केंद्र की सत्ता से बीजेपी को बाहर करने की रणनीति पर विचार विमर्श करेंगे। नीतीश कुमार पिछले 6 महीने में दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के बड़े विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात कर उन्हें एक मंच पर लाने की मुहिम में जुटे हैं। विपक्षी एकजुटता को लेकर वे अब तक नवीन पटनायक, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव, उद्धव ठाकरे और शरद पवार जैसे कई नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं।