BHOPAL. अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों पर है। राम मंदिर के दर्शन के लिए रामभक्त काफी उत्सुक हैं। अयोध्या का श्रद्धा का सैलाब तो है कि साथ ही यहां रोजगार की व्यार भी खूब चल रही है। इन दिनों राम मंदिर थीम वाली बनारसी साड़ियां काफी चर्चा में है। राम मंदिर की 'थीम' पर बनी बनारसी साड़ियां फैशन की दुनिया में धूम मचा रही हैं। राम मंदिर की फोटो से विदेशों में भी इनकी डिमांड काफी बढ़ गई है। विदेशों से साड़ियों के बंपर ऑर्डर मिल रहे है।
बनारसी साड़ियों की विदेशों में भी हाई डिमांड
साड़ियों के बॉर्डर पर श्री राम लिखा होगा। ये साड़ियां लाल और पीले रंग में बनाई जा रही हैं और शिलालेख सुनहरे रंग में है। दूसरी तरह की साड़ियां कई रंगों में उपलब्ध हैं और उनके बॉर्डर पर श्री रामलिखा हुआ है। राम मंदिर की 'थीम' पर बनी बनारसी साड़ियां की कीमत 60 हजार से एक लाख तक पहुंच रही है। इन साड़ियों की डिमांड इटली, अमेरिका, सिंगापुर सहित गुजरात, महाराष्ट्र, बंगलूरू और चेन्नई में भी है। काशी के बुनकर सर्वेश श्रीवास्तव के नेतृत्व में 18 कारीगर काम कर रहे हैं। साड़ी पर पूरा काम हाथ से किया जाता है।
एक साड़ी तैयार करने में लगता है इतना समय
प्योर रेशम से बनी साड़ी पर पूरा काम हाथ से किया गया है। एक साड़ी को तैयार करने में दो महीने से ज्यादा का समय लग रहा है। 18 कारीगर मिलकर एक साड़ी पर काम करते हैं। साड़ी के साथ-साथ ये कारीगर दुपट्टे भी बना रहे हैं। दुपट्टे के दोनों किनारे उन्होंने राम मंदिर की डिजाइन बनाई है। एक दुपट्टे की कीमत 60 से 70 हजार रुपए है। एक दुपट्टा तैयार करने में तीन महीने का समय लगता है।
रेशम से बनती हैं साड़ियां
ये बनारसी साड़ियां बारीक बुने हुए रेशम से बनती हैं। इन साड़ियों की विशेषता उनके मुगल प्रेरित डिजाइन और जटिल फुल और पत्तेदार रूपों में गुथाई जाती है। यह अपने सोने के काम, छोटे विवरण, कॉम्पैक्ट बुनाई, पैलस, जाल (पैटर्न की तरह नेट), और मीना काम के लिए भी जानी जाती हैं। वाराणसी रेशम की काफी ज्यादा मांग है।