राम मंदिर के उद्घाटन के साथ सूर्यवंशी ठाकुरों का प्रण पूरा, 500 सालों तक नहीं पहनी पगड़ी- चमड़े के जूते, जानिए इसके पीछे की कहानी

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Pratibha Rana
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राम मंदिर के उद्घाटन के साथ सूर्यवंशी ठाकुरों का प्रण पूरा, 500 सालों तक नहीं पहनी पगड़ी- चमड़े के जूते, जानिए इसके पीछे की कहानी

BHOPAL. अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के साथ-साथ आखिरकार सरयू नदी के दोनों किनारों पर बसे 115 गांवों में रहने वाले सूर्यवंशी ठाकुर समाज की 500 साल पुरानी प्रतिज्ञा पूरी हो जाएगी। अब ये सूर्यवंशी ठाकुर 500 साल बाद पगड़ी और चमड़े के जूते पहनेंगे। दरअसल इन सूर्यवंशी ठाकुरों ने लगभग 500 साल पहले शपथ ली थी कि जब तक भगवान राम का मंदिर (Ram mandir 2024) नहीं बन जाएगा, तब तक पगड़ी और जूते नहीं पहनेंगे। अब उनका ये प्रण पूरा हो गया है।

500 साल पहले लिया प्रण हुआ पूरा

अयोध्या के सरायरासी गांव में रहने वाले क्षत्रिय समाज की पांच सौ साल पुरानी प्रतिज्ञा पूरी होने वाली है। 500 सालों से यहां के लोगों ने ना सिर पर पगड़ी पहनी, ना पैरों में चमड़े के जूते और ना ही शादियों में मंडप की छत रखी। ये लोग खुद को सूर्यवंश से जुड़ा बताते हैं। 500 साल पहले सूर्यवंशी ठाकुर गजराज सिंह ने भगवान राम के मंदिर की रक्षा के लिए मीर बाकी और अन्य मुगलों से लड़ाई लड़ी थी और शहीद हो गए थे। उसके बाद से इस वंश के लोगों ने कसम खाई थी कि जब तक भगवान राम का मंदिर फिर से नहीं बन जाएगा, तब तक वह अपने सिर पर पगड़ी, पैर में जूते और हाथ में छतरी लेकर नहीं चलेंगे। अब ये सूर्यवंशी ठाकुर इतने सालों बाद फिर से सिर पर पगड़ी और पैर में जूते पहनेंगे। खुद को सूर्यवंशी ठाकुर बताने वाले सरायरासी के रहने वाले नवाब सिंह का कहना है कि हम ठाकुर गजराज सिंह की नौवीं पीढ़ी हैं।

अब अयोध्या राम मंदिर के बारे में ये भी जानिए...

इस तरह रहेंगे कार्यक्रम

  • 17 जनवरी- रामलला के विग्रह को नगर भ्रमण के लिए निकाला जाएगा।
  • 18 जनवरी- प्राण प्रतिष्ठा की विधि प्रारंभ होगी।
  • 19 जनवरी- यज्ञ अग्नि की स्थापना की जाएगी।
  •  20 जनवरी- गर्भगृह को 81 कलश सरयू जल से धोने के बाद वास्तु की पूजा होगी।
  • 21 जनवरी- रामलला को तीर्थों के 125 कलशों के जल से स्नान कराया जाएगा।
  • 22 जनवरी- रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी।

पूरब द्वार से प्रवेश और दक्षिण से होगा निकास

राम मंदिर में पूर्वी दिशा से भक्तों को प्रवेश कराया जाएगा। जबकि रामलला के दर्शन करने के बाद भक्त दक्षिणी दिशा से बाहर निकल सकेंगे। मंदिर परिसर के अंदर अलग-अलग 44 द्वार बनाए गए हैं। इस परिसर में भगवान राम के गुरुओं का मंदिर होगा। सबरी और अहिल्याबाई माता के मंदिर भी होंगे।

रामलला के लिए खास पोशाक

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से रामलला और हनुमान जी के लिए नई पोशाक तैयार करवाई जा रही है। अयोध्या के प्रमोदवन निवासी शंकर लाल ये विशेष पोशाक बना रहे हैं। 3 पीढ़ियों से उनका ही परिवार रामलला के लिए पोशाक तैयार करता आ रहा है। मुहूर्त के अनुसार मुख्य कार्यक्रम सोमवार के दिन होगा। इस दिन रामलला को सफेद वस्त्र धारण कराए जाते हैं, लेकिन 22 जनवरी को शुभ दिन है। इसलिए शुभ काज में पीतांबरी ओढ़ाने का विधान है। यही वजह है कि भगवान के लिए पीले रंग की पोशाक बनाई जा रही है।


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